आईएनएस निर्भीक और निर्घाट का सफर खत्म
मुंबई, 12 जनवरी : भारतीय नौसेना ने आईएनएस निर्भीक और निर्घाट को सेवामुक्त कर दिया है। दोनों जंगी जहाजों ने राष्ट्र सेवा में लगभग तीन दशक बिताए हैं। आईएनएस निर्भीक और निर्घाट को क्रमशः 30 और 28 साल की सेवा के बाद गुरुवार को नौसेना के डॉकयार्ड पर सेवामुक्त कर दिया गया। समारोह के दौरान दोनों जहाजों को पारंपरिक तरीके से अंतिम विदाई दी गई।
कार्यक्रम में फ्लैग ऑफिसर वेस्टर्न फ्लीट रियर एडमिरल आरबी पंडित माैजूद थे। आरबी पंडित ने सबसे पहले आईएनएस निर्घाट की कमांडिंग की थी। इसके अलावा रिटायर्ड कमांडर वीआर नाफाडे और रिटायर्ड कमांडर एस. मैमपुल्ली भी कार्यक्रम में मौजूद थे। दोनों कमांडरों ने आईएनएस निर्भीक और निर्घाट को कमीशन किया था। दोनों कमांडरों को गेस्ट ऑफ ऑनर दिया गया।
दोनों जंगी बेड़ों को साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कराची हार्बर पर नौसेना की आक्रामक कार्रवाई को सफलतापूर्वक निभाने का सम्मान हासिल है। कराची हार्बर पर भारतीय नौसेना के स्क्वॉड्रन में शामिल इन दोनों जंगी जहाजों के पास गौरवशाली विरासत है। अपनी विरासत के साथ निर्भीक और निर्घाट को नए अवतार में क्रमश: 21 दिसम्बर 1987 और 15 दिसम्बर 1989 को पूर्व सोवियत संघ ने भारत को सौंपा था। दोनों जहाजों में 70 नाविकों व सात अधिकारियों का दल तैनात रहता था।
दोनों जहाजों में चार जमीन से जमीन तक मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम श्रेणी की मारक क्षमता से लैस एके 176 गन और एके 630 की कैलिबर गन तैनात रहती थीं। लगभग तीन दशकों में दोनों जहाजों ने ऑपरेशन विजय और पराक्रम जैसे कई अभियानों में सफलतापूर्वक हिस्सा लिया। कई अवसरों पर निर्भीक और निर्घाट को गुजरात में भी तैनात किया गया था। कमांडर आनंद मुकुंदन और कमांडर मोहम्मद इकराम दोनों जहाजों के अंतिम कमांडिंग ऑफिसर रहे। (हि.स.) ।