अगले लोकसभा चुनाव में बड़ी राजनीतिक भूमिका निभाएगी विश्व हिंदू परिषद
नई दिल्ली (ईएमएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का चेहरा ही नहीं बदला, बल्कि रणनीति भी बदल दी है। परिषद के अंतरर्राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर वीएस कोकजे और कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर आलोक कुमार की ताजपोशी बता रही है कि संघ का यह अनुषांगिक संगठन अब 2019 के चुनाव में एक बड़ी राजनीतिक भूमिका में होगा और मुद्दा होगा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण। सूत्र बताते हैं कि कोकजे और आलोक कुमार जैसे नरम हिंदुत्ववादी चेहरे को शीर्ष नेतृत्व सौंप कर संघ ने वीएचपी का सिर्फ चेहरा ही नहीं बदला है, बल्कि पूरी रणनीति भी बदलने के संकेत भी दे दिए हैं। अब वीएचपी अतिवादी हिंदुओं की भीड़ की नुमाइंदगी करने वाला सिर्फ एक दल नहीं, बल्कि वैचारिक आंदोलन की अगुवाई करने वाला संगठन दिखाई देगा।
पिछले दो दशकों से प्रवीण तोगडिया और अशोक सिंघल के उग्रवादी चेहरे और शैली की पहचान बनी वीएचपी अब सौम्य और संतुलित चेहरे में तब्दील होगी। कोकजे संभवत: ऐसे नेता होंगे जो न तो माथे पर लाल टीका लगाते हैं और न ही वीएचपी के पारंपरिक धोती-कुर्ता के लिबास में दिखाई देते हैं। सूत्रों का कहना है कि यह बदलाव एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसकी पटकथा एक साल पहले ही लिख दी गई थी। संघ और मोदी सरकार 2019 के पहले कानूनी दांव-पेंच में फंसे राम मंदिर मुद्दे को सुलझाना चाहती है, जिसका रोडमैप तैयार कर लिया गया है। अब मामला सड़क की लड़ाई से कहीं ज्यादा वैचारिक और कानूनी लड़ाई पर आकर टिक गया है। अब वीएचपी को उन्मादी कार्यकर्ताओं की भीड़ की नहीं, बल्कि विचारशील नेतृत्व की जरूरत है। बताया जाता है कि इस रणनीति के तहत ही संघ के सहसरकार्यवाह वी. भगैया एवं सरकार्यवाह भैयाजी जोशी की इंदौर एवं नागपुर में कोकजे के साथ कई बार बैठकें हो चुकी हैं। वीएचपी के दिसंबर-2017 की भुवनेश्वर बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव इसी रणनीति के तहत किया गया था। लेकिन प्रवीण तोगड़िया की नाराजगी के कारण यह ताजपोशी तब टल गई थी।
तोगड़िया दो बार के अध्यक्ष राघव रेड्डी के समर्थन में थे। बता दें कि वीएचपी के 52 साल के इतिहास में कभी चुनाव नहीं हुआ, इसलिए इन हालातों को टालने के लिए भरसक प्रयास भी हुए। लेकिन बात नहीं बनीं। संघ के स्वयंसेवक एवं हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे कोकजे एवं दिल्ली के संघचालक रह चुके कानून के जानकार आलोक कुमार को फिर यह दायित्व दिया गया कि वे अपनी बात वीएचपी के सभी प्रतिनिधियों और सह संगठनों तक पहुंचाएं। 192 सदस्यों वाली वीएचपी में बजरंग दल समेत कई मठ मंदिर ट्रस्ट सहभागी हैं। संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक ने बताया कि तोगड़िया के नेतृत्व में वीएचपी एक अधिनायकवाद के तौर पर हावी हो गई थी। गोरक्षा वाले मामले पर उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए प्रधानमंत्री पर तंज करते हुए ट्वीट किया था, कसाइयों को क्लीनचिट और गोरक्षकों का दमन। तोगड़िया की एक किताब अयोध्या मामले में सरकार और संघ की किरकिरी कर रही थी। वहीं लगातार बयान देकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। लग रहा था कि तोगड़िया संघ, सरकार, वीएचपी सबसे ऊपर हो गए हैं। जब वीएचपी संघ की कमान से बाहर होती दिखाई दी, तो एक ही रास्ता बचा था कि तोगड़िया को बाहर का रास्ता दिखाया जाए।