हिन्दी को बनाया जाए संवाद की भाषा-योगी आदित्यनाथ
लखनऊ, 22 जनवरी (हि.स.) उ.प्र. हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हिन्दी को संवाद की भाषा बनाया जाए। आज की आवश्यकता के अनुरूप लेखन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो भी समाज अपनी प्रतिभा के सम्मान को संजोता है, उसका संरक्षण करता है, उसके संवर्धन में अपना योगदान देता है, उसका भविष्य भी उज्ज्वल होता हैः
उन्होंने कहा कि साहित्य में सबका हित निहित होता है और उसी तरह हम सबका हित छिपा होता है अपने समाज में, अपनी संस्कृति में, अपने राष्ट्र में। हमारा हित इन्हीं दायरों में निहत होना चाहिए। मुख्यमंत्री सोमवार को पांच कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर हिन्दी संस्थान द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हिन्दी संस्थान ने बिना राग द्वेष के साहित्यकारों का चयन किया है। हिन्दी के साथ अहिन्दी भाषाई साहित्यकारों का भी सम्मानित कर हम गौरवान्वित हो रहे हैं। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, कश्मीर व देश के अन्य क्षेत्रों से भी साहित्यकार यहां पर आए हैं। यानि पूरे भारत को समेटने का जो प्रयास इस सम्मान समारोह के माध्यम से हुआ है, वास्तव में यही भूमिका हिन्दी की होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साहित्य का मतलब ही होता है जिसमें सबका हित हो। वह साहित्य ही क्या जिसमें संस्कृति व राष्ट्रीयता का बोध न हो।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साहित्यकार हमेशा सृजनशीलता को लेकर रचना करता है और मीडिया उसके नकारात्मक पक्ष को देखता है। साहित्यकार और पत्रकार दोनों की भूमिका अहम है। रामायण व रामचरित मानस को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ साहित्य बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की क्या आवश्यकता है उसे ध्यान में रखकर रचनाएं करने की जरूरत है। बिना चिंतन के रचना संभव नहीं है। आप सभी की रचना प्रेरणादायी हो। समाज को सर्वोपरि मानकर रचना करें।
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों को चुनना चुनौती से कम नहीं था। सदानन्द जी और उनकी टीम ने उस काम को पूरा किया। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति व राष्ट्र के प्रति कुछ कर गुजरने की भावना को लेकर आगे बढ़े। ऐसी कामना करता हूं।
इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि पहली बार सम्मान पाने वालों को कोई जुगाड़ नहीं करना पड़ा। पहली बार किसी मुख्यमंत्री द्वारा अपने कर कमलों द्वारा सम्मानित किया गया, यह भी अपने आप स्मरणीय है।
उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के चित्त में जैसी राजनेताओं को लेकर छवि होती है वैसा वह लिखता है। लेकिन सच्चाई में कुछ और होता है। इससे योगी जी व मोदी जी परे हैं। आपकी सृजनशीलता एक नई दिशा देने को अग्रसर हों। श्री दीक्षित ने कहा कि अब नई गीत की रचना का समय है। हमारा अतीत रचनात्मकता व सृजनशीलता का रहा है। आप भी उस दिशा में आगे बढ़ते हैं और आगे बढ़ेंगे ऐसी कामना करता हूं।
समारोह में भारती भारत से सम्मानित डॉ. आनंद प्रकाश दीक्षित ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाय। अंग्रेजी के वर्चस्व के कारण हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं का नुकसान हो रहा है। त्रिभाषा सूत्र ठीक से लागू होना चाहिए। दक्षिणी राज्यों को भी विश्वास में लेना चाहिए। हिन्दी संस्कृतनिष्ठ भाषा है। इसका विरोध नहीं होना चाहिए। हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं की उपेक्षा करके अंग्रेजी भोकते हैं। यह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं में हमारे शोध की स्थिति भी दयनीय है। हिन्दी समेत अन्य भारतीय भाषाओं की अनदेखी न की जाय। शासन व प्रशासन की भाषा में भारतीय भाषाओं का सरलीकरण बहुतायत में उपयोग किया जाय।
साहित्यानुशीलन समिति, मद्रास के अध्यक्ष इन्दल राज वैद्य ने कहा कि इस संस्था का हिन्दी की समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान है। इस संस्था की सदस्यता का कोई शुल्क नहीं लिया जाता। साहित्य रचना ही इस संस्था की पूंजी है।
कार्यक्रम में कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने कहा कि यह सारस्वत समारोह है। हिन्दी संस्थान के लिए गौरव का क्षण है। इस बार 99 पुरस्कार दिये जा रहे हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के बारे में विस्तृत प्रकाश डाला और सम्मानों की संख्या तथा सम्मानित राशि में मुख्यमंत्री से वृद्धि करने का निवेदन किया। निदेशक शिशिर ने आभार व्यक्त किया। वन्देमातरम के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
डॉ. आनंद प्रकाश भारत भारती से सम्म्मानित
हिंदी साहित्य के विद्वानों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से वर्ष 2016 के दिये जाने वाले इन पुरस्कारों के तहत सर्वोच्च भारत-भारती सम्मान से डॉ. आनंद प्रकाश दीक्षित को सम्मानित किया गया। उन्हें पांच लाख रुपये सम्मान राशि भी प्रदान की गई। वहीं चार लाख रुपये सम्मान राशि वाला हिंदी गौरव सम्मान लखनऊ की डॉ. विद्याबिंदु सिंह को, बाराबंकी के आनन्द मिश्र ’अभय को लोहिया साहित्य और लखनऊ के नेत्रपाल सिंह को अवंतीबाई साहित्य सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा चार लाख रुपये सम्मान राशि की ही श्रेणी में बीकानेर के डॉ. नन्द किशोर आचार्य को महात्मा गांधी साहित्य सम्मान और दिल्ली के डॉ. महेश चन्द्र शर्मा को पं. दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान दिया गया, जबकि राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन सम्मान के लिए मद्रास की संस्था साहित्यानुशीलन को सम्मानित किया गया।
साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित विद्वान-सम्मान राशि दो लाख
डॉ. रामशरण गौड़, प्रो.जय प्रकाश, डॉ. गणेश नारायण शुक्ल, डॉ. वेद प्रकाश अभिताभ, मधुकर अष्ठाना, विजय रंजन, डॉ. श्रीराम परिहार, प्रो. सुरेंद्र दुबे, डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, बल्देव भाई शर्मा को साहित्य भूषण सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा दो लाख रूपए सम्मान राशि वाले अन्य सम्मानों में डॉ. आद्याप्रसाद सिंह ’प्रदीप को लोकभूषण सम्मान, डॉ. मंजुला चतुर्वेदी, कला भूषण सम्मान, डॉ. हरिशंकर मिश्र को विद्या भूषण सम्मान, देवेंद्र मेवाड़ी को विज्ञान भूषण सम्मान, राजनाथ सिंह ’सूर्य को पत्रकारिता भूषण सम्मान, सत्यदेव टेंगर को प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान, भगवती प्रसाद द्विवेदी को बाल साहित्य भारती सम्मान, शिव नारायण मिश्र को मधुलिमये साहित्य सम्मान, डॉ. हरिजोशी को पं. श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान और डॉ. राम अवतार सिंह को विधि भूषण सम्मान प्रदान किया गया।
इसके साथ ही डॉ. सुवास कुमार को एक लाख रूपए सम्मान राशि वाला हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान और पचास हजार रूपए सम्मान राशि वाले विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से प्रो. प्रेमसुमन शर्मा और डॉ. प्रणव शर्मा शास्त्री सम्मानित किया गया।
सौहार्द सम्मान-सम्मान राशि दो लाख
सौहार्द सम्मान कुल 14 लोगों को प्रदान किया जा रहा है। इनमें मनोहरमयुम यमुना देवी (मणिपुरी), प्रकाश भातम्ब्रेकर (मराठी), डॉ. बाबू कृष्ण मूर्ति (कन्नड़), प्रो. ओमप्रकाश पाण्डेय (संस्कृत), डॉ. जे.एल. रेड्डी (तेलुगु), नंद कुमार मनोचा ’वारिज’ (पंजाबी), डॉ. गंगेश गुंजन (मैथिली), वी. रवींद्रन (मलयालम), डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन (तमिल), छत्रपाल (जोगिन्दर पाल सराफ) (डोंगरी), डॉ. यासमीन सुलताना नकवी (उर्दू), डॉ. मंजु मोदी (उड़िया), डॉ. शशि शेखर तोषखानी (कश्मीरी) और रामनिरंजन गोयनका (असमिया) हैं।
वर्ष 2016 में प्रकाशित पुस्तकों पर पचास हजार धनराशि वाले पुरस्कार
सूर पुरस्कार से रमाशंकर, मलिक मुहम्मद जायसी पुरस्कार से डॉ. ज्ञानवती दीक्षित, श्रीधर पाठक पुरस्कार से डॉ. दिनेश पाठक ’शशि, राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार से चंदेश्वर ’परवाना, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से डॉ. शिवमंगल सिंह ’मंगल, कबीर पुरस्कार से डॉ. अजय कुमार सिन्हा, तुलसी पुरस्कार से आचार्य पण्डित उमाशंकर मिश्र ’रसेंदु, भारतेंदु हरिश्चन्द्र पुरस्कार से रवीन्द्र प्रताप सिंह, भगवानदास पुरस्कार से डॉ. देवव्रत चौबे, महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार से डॉ. सुशील कुमार पांडेय, डॉ. धीरेंद्र वर्मा पुरस्कार से रविनंदन सिंह, बीरबल साहनी पुरस्कार से डॉ. दया शंकर त्रिपाठी, प्रेमचन्द पुरस्कार से डॉ. प्रणव भारती, जयशंकर प्रसाद पुरस्कार से शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ, रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार से डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय, आचार्य नरेंद्र देव पुरस्कार से सरला अवस्थी, सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार से डॉ. नुजहत फात्मा, निराला पुरस्कार से डॉ. गोपाल कृष्ण शर्मा ’मृदुल, केएन भाल पुरस्कार से डॉ. विनीता सिंघल, बालकृष्ण शर्मा ’नवीन पुरस्कार से आरती मिश्र ’आश्चर्य, यशपाल पुरस्कार से शंकर सुल्तानपुरी, हजारी प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार से डॉ. योगेश, पं. रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार से डॉ. बीरेन्द्र कुमार चंद्रसखी, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ’अज्ञेय पुरस्कार से अमित कुमार, सरस्वती पुरस्कार से कृष्ण मुरारी ’विकल, महादेवी वर्मा पुरस्कार से शीला शर्मा, हरिशंकर परसाई पुरस्कार से डॉ. चंद्रभानु शर्मा, विजयदेव नारायण साही पुरस्कार से कौशलेंद्र को सम्मानित किया किया गया।
वर्ष 2016 में प्रकाशित पुस्तकों पर बीस हजार धनराशि वाले सर्जना पुरस्कार
सोहन लाल द्विवेदी पुरस्कार से डॉ. मोहम्मद अरशद खान, वंशीधर शुक्ल पुरस्कार से केशव प्रसाद वाजपेयी, भिखारी ठाकुर पुरस्कार से डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त, नजीर अकबराबादी पुरस्कार से दुर्गा प्रसाद त्रिपाठी ’निर्भीक, अयोध्या सिंह उपाध्याय ’हरिऔध पुरस्कार से चंद्रपाल सिंह ’चंद्र, नंद किशोर देवराज पुरस्कार से सुरेश कुमार सिंह, गुलाब राय पुरस्कार से पं. हरि ओम शर्मा ’हरि, भोलानाथ तिवारी पुरस्कार से डॉ. राधेश्याम पाठक, आचार्य रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी पुरस्कार से डॉ. राजीव रस्तोगी, अमृतलाल नागर पुरस्कार से करुणा पांडे, आनंद मिश्र पुरस्कार से प्रतापनारायण मिश्र, रामबिलास शर्मा पुरस्कार से डॉ. अखिलेश निगम ’अखिल, ईश्वरी प्रसाद पुरस्कार से डॉ. अशोक चांदोरकर, बलबीर सिंह ’रंग पुरस्कार से गणेश गंभीर, डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार से डॉ. कुसुम द्विवेदी ’मानसी, रामप्रसाद विद्यार्थी ’रावी पुरस्कार से योगेंद्र शर्मा, जगदीश गुप्त पुरस्कार से प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव एवं मंजुलिका लक्ष्मी, धर्मयुग पुरस्कार से डॉ. विजय प्रकाश त्रिपाठी, विद्यावती कोकिल पुरस्कार से डॉ. शोभा अग्रवाल ’चिलबिल, शरद जोशी पुरस्कार से अर्चना चतुर्वेदी, नरेश मेहता पुरस्कार से आनंद को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त पच्चीस हजार की राशि वाले हरिवंश रायबच्चन युवा गीतकार सम्मान से दयाशंकर प्रसाद को सम्मानित किया गया।