स्कूलों में शारीरिक दंड को सख्ती से रोका जाए : बाल विकास मंत्री
National.नई दिल्ली, 15 फरवरी = केन्द्रीय महिला और मेनका गांधी ने शारीरिक दंड समाप्त करने के लिए स्कूलों से महिला और बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन करने का अनुरोध किया है।
मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे अपने पत्र में मेनका गांधी ने उत्तर प्रदेश के एक स्कूल में चिंतित करने वाली शारीरिक दंड देने की घटना के बारे में चिंता व्यक्त की है। मेनका ने कहा कि आरटीई एक्ट की धारा 17 के तहत शारीरिक दंड दिये जाने पर प्रतिबंध है। उन्होंने जावड़ेकर से अनुरोध किया कि सरकारी तथा निजी स्कूलों को निर्देश दिये जाएं कि वे दिये गये दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करें।
दिशा-निर्देशों में बच्चों को शारीरिक दंड या उत्पीड़न करने के मामलों में तुरंत कार्रवाई करने के लिए विशेष निगरानी कक्ष का गठन करने के लिए भी कहा गया है। इनमें यह भी सुझाव दिया गया है कि शारीरिक दंड निगरानी कक्ष (सीपीएमसी) को शारीरिक दंड दिये जाने से संबंधित शिकायतों की सुनवाई 48 घंटों के अंदर करनी चाहिए। दिशा-निर्देशों में यह भी सुझाव दिया है कि स्कूलों के शिक्षकों को लिखित में यह वायदा करना होगा कि वे ऐसे किसी कार्य में शामिल नहीं होंगे जो शारीरिक दंड, मानसिक उत्पीड़न या भेदभाव करने के समान माना जाता हो। इनमें यह भी कहा गया है कि स्कूलों को शारीरिक दंड, उत्पीड़न और भेदभाव का वार्षिक रूप से सामाजिक ऑडिट कराया जाना चाहिए।