सोशल मीडिया पर इसलिए शिवराज सिंह चौहान को बनाया ‘अंगद’ , कांग्रेस ने कहा ……
भोपाल (ईएमएस)। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने चार मई को भोपाल आगमन के दौरान राज्य सरकार की तुलना अंगद के पैर से करते हुए दावा किया था कि अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ही जीत होगी। उनके इस बयान ने अब वीडियो की शक्ल ले ली है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो की लोकप्रियता पर बीजेपी खुश है, जबकि कांग्रेस ने एतराज जताया है। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने कहा कि वीडियो को सामने लाकर बीजेपी ने अपने बौद्धिक स्तर का परिचय दे दिया है। इस जिस समय का यह कथानक है उस समय सत्ता में रावण था, जबकि श्रीराम वनवास पर। इस समय कौन सत्ता में है और कौन वनवास में यह बताने की जरूरत नहीं है। अच्छी बात यह है कि अब वनवास के 14 साल पूरे हो चुके हैं। उन्होंने दावा किया अब असली रामराज्य आने वाला है।
सोशल मीडिया पर बटोरी सुर्खियां
यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहा है। वीडियो में एमपी के सीएम शिवराज सिंह को अंगद के रूप में दिखाया गया है। कांग्रेस के नवनियुक्त पर्देश अध्यक्ष कमलनाथ को वीडियो में रावण के रूप में दिखाया गया है। जबकि, कांग्रेस की चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया को रावण के पुत्र मेघनाथ के तौर पर पेश किया गया है। वीडियो में दिखाने की कोशिश की गई है कि शिवराज सिंह के नेतृत्व में राज्य सरकार अच्छा काम कर रही है और कांग्रेस तमाम उपायों से उसे सत्ता से बेदखल करने की कोशिश कर रही है।
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इस लिए चौहान को बनाया अंगद
वीडियो में दिखाया गया है कि अंगद बने सीएम शिवराज सिंह चौहान, रावण यानि कमलनाथ के दरबार में पैर जमाए खड़े हैं और कोई उनका पैर नहीं उठा पाता। कांग्रेस ने इस वीडियो पर कड़ा ऐतराज जताया है। जबकि बीजपी इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाम दे रही है। कांग्रेस प्रवक्ता मानक अग्रवाल ने कहा कि यह कांग्रेस नेताओं के छवि ध्वंस का प्रयास है। उन्होंने कहा कि काग्रेस ने हाल के दिनों में जिस तरह राज्य में बढ़त हासिल की है, उससे बीजेपी के नेता बौखला गए हैं।
नवंबर के आसपास होने हैं चुनाव
एमपी में इसी साल नवंबर के आसपास चुनाव होने हैं। यहां पिछले पंद्रह सालों से बीजेपी सत्ता में है। यही वजह है कि बीजेपी ने खुद को अंगद की तरह पेश किया है। इस तरह उसने यह संकेत देने की कोशिश की है कि वह एक बार फिर सत्ता में बनी रहने वाली है। भले ही कांग्रेस में संगठन के स्तर पर कितने ही प्रयाय किए जाएं, राज्य में सत्ता परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। दूसरी ओर कांग्रस ने संगठन के स्तर पर बदलाव करते हुए कमलनाथ को पार्टी की राज्य इकाई का नेतृत्व सौंपते हुए संगठन में नए सिरे से जान फूंकने की कोशिश की है।