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सूखे की मार झेल रहा है राष्ट्रपति का यह पैतृक गाव

कानपुर देहात, 14 सितम्बर : जहां एक तरफ केन्द्र सरकार किसानों के हित के लिए कई योजनाएं ला रही है। वहीं, राष्ट्रपति का पैतृक जनपद सूखे की मार झेल रहा है। सूखे के कारण जनपद के किसानों की हालत खस्ता है। अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों के चेहरे पर परेशानियों की लकीरें साफ नजर आ रही हैं।

कानपुर देहात में साधारण परिवार से ताल्लुख रखने वाले महामहिम रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद से पूरे देश की नजर उनके पैतृक ग्राम और जनपद पर है। हर इंसान को उनके बारे में जानने की लालसा भी है पर जनपद में फैली समस्याएं कहीं न कहीं अधिकारियों की पोल खोल रही है। पानी न बरसने के चलते धरती अंगारे उगल रही है, जिससे बीहड़ पट्टी समेत क्षेत्रीय किसानों की फसलें सूखने की कगार पर है। इससे अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं।

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भगवान से आस लगाए बैठे किसानों की जब उम्मींदे टूट गई तो अब वो सरकार से आस लगा बैठे हैं पर अभी तक जनपद को लेकर कोई सुविधा नहीं दी गई। हालांकि चंद दिनों पहले कुछ किसानों का ऋण माफ किया गया था पर अभी जो किसान इस योजनाओं से दूर हैं उनकी समस्या का निदान कैसे होगा। गर्मी के मौसम में तैयार होने वाली धान, मक्का, उड़द, बाजरा, तिली, अरहर आदि फसलें पानी के अभाव में नष्ट होती जा रही हैं। 

पिचौरा गांव निवासी किसान अंजेश कुमार ने बताया कि बीते माह से बारिश न होने के कारण परेशान हूं| यदि फसल सूख गयी तो बच्चों की पढ़ाई व घर का खर्चा कहां से चलेगा। इसी प्रकार क्योंटरा निवासी बहादुर ने बताया कि कुदरत की मार से परेशान हैं। खेती के अतिरिक्त और कोई रोजगार नहीं है। अब देखना ये है कि राष्ट्रपति के जनपद की समस्याओं का निदान कैसे होगा। 

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