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सुप्रीम कोर्ट ने गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई पर केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली,06 सितम्बर : गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करनेवाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम ने कहा कि लोगों को कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। इसके लिए एक प्रक्रिया होनी चाहिए। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि विजिलेंटिज्म बढ़ना नहीं चाहिए और इसके खिलाफ कोई कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें ये देखेंगी कि ऐसी घटनाएं न हों। राज्य सरकारें एक सीनियर पुलिस अधिकारी को ऐसी शिकायतों की देखरेख के लिए नियुक्त करें।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जय सिंह ने कहा कि गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए केंद्र सरकार केवल बयान देती है। इसके लिए कड़े दिशानिर्देश देने की जरुरत है। ये पूरे देश का मसला है। केंद्र को दिशानिर्देश देने की जरुरत है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम केंद्र को निर्देश दे रहे हैं।

सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि ये महज कानून-व्यवस्था का मामला है । इसका इंदिरा जय सिंह ने विरोध किया ।

समलैंगिक संबंध निजता का मामला है या नहीं, शुक्रवार को सुनवाई

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वो किसी भी तरह के निजी विजिलेंस का समर्थन नहीं करता है। केंद्र की ओर से सालिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा था कि ये राज्य का मसला है और इससे केंद्र का कोई लेना-देना नहीं है। सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने कहा कि उनका की घटना में पर्याप्त क़दम उठाए गए हैं। 

कोर्ट ने सालिसिटर जनरल का बयान रिकॉर्ड कर लिया और केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि गो रक्षा को लेकर हिंसा के मामले में अपना हलफनामा दाखिल करें।

कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने याचिका दायर कर मांग की है कि गोरक्षा दलों पर बैन लगाया जाए। याचिका में कहा गया है कि गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र सरकार ने गोरक्षकों को ट्रकों की चेकिंग के लाइसेंस दे रखे हैं। इन गोरक्षकों को दिया गया लाइसेंस रद्द किया जाए।

याचिका में देशभर में गोरक्षा के नाम पर हिंसा फैलानेवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और छह राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था। 

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