सावधान सुविधा नहीं आपके के लिए नुकसान पैदा कर सकता हैं स्मार्टफोन
आजकल स्मार्टफोन को कई लोगों के लिए पर्सनल कंप्यूटर बन गया है। बातचीत के अलावा, हम अब मूवी देखने,गेम खेलने और वर्चुअल रियलिटी जैसे काम हमारे हैंडसेट पर ही कर लेते हैं। लेकिन जहां स्मार्टफोन आधुनिक सुविधा का प्रतीक है,वहीं लगातार इसके खतरे भी सामने आ रहे है। 24 घंटे सातों दिन हमारे साथ रहने वाला स्मार्टफोन किस तरह सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है,स्मार्टफोन का यह अहम फीचर लोकेशन ट्रैक कर लेता है। सेल टॉवर के मल्टीलैटरेशन के जरिए या फिर इंटीग्रेटिड जीपीएस चिप के जरिए। अगर आपने अपने फोन पर जीपीएस डिसेबल भी कर दिया है तो भी दूसरे सेंसर से इस ट्रैक करना संभव है। लोकेशन डेटा का जाहिर होना कोई खतरा प्रतीत नहीं होता, लेकिन किसी तरह की ऑनलाइन धोखाधड़ी या फिशिंग अटैक के लिए कई बार लोकेशन डेटा बंद करना ठीक रहता है।
स्मार्टफोन एप अधिकतर जरूरत से ज़्यादा जानकारी के बारे में पूछते हैं। और हम अपनी इच्छा से एप परमिशंस के लिए सहमति देते हैं। लेकिन हमें थोड़ा संदेह होना चाहिए कि आखिर इस नए गेम को हमारे कॉन्टेक्ट्स,जीपीएस और कैमरे की जरूरत क्यों है। हमारी सलाह है कि हमेशा भरोसेमंद सोर्स जैसे गूगल प्ले स्टोर,एप स्टोर से ही एप डाउनलोड करें। मुफ्त वाई-फाई कनेक्शन वाकई बढ़िया लगता है, लेकिन कई बार यह निजता का हनन बन जाता है। जिन फीचर्स के चलते वाई-फाई हॉटस्पॉट आपको अच्छे लगते हैं, शायद वही हैकर्स के लिए भी फायदे का सौदा बन जाते हैं क्योंकि नेटवर्क कनेक्शन करने के लिए किसी ऑथेंटिकेशन की जरूरत नहीं होती। इसके जरिए हैकर्स किसी नेटवर्क पर अनसिक्योर्ड डिवाइस को एक्सिस कर लेते हैं। हर कोई यह स्वीकार करता है कि उनके पीसी को अतिरिक्त सिक्योरिटी की जरूरत है और इसीलिए यूजर्स ऐंटीवायरस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते हैं। लेकिन स्मार्टफोन यूज़र्स के लिए ऐंटीवायरस सॉफ्टवेयर की जरूरत के बारे में अभी बहुत ज़्यादा स्पष्टता नहीं हैं, जबकि फोन में खूब निजी जानकारियां मौज़ूद रहती हैं।
स्मार्टफोन के कैमरे भी सुरक्षा के लिए खतरा हैं। इन कैमरों को एक्टिवेट किया जा सकता है और इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन मालिक की जासूसी के लिए हो सकता है। जाने-माने हैकर और लेखर केविन मिटनिक का कहना है कि ऐसा फोन में फिजिकल ऐक्सिस के जरिए सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर या फिर रिमोट एक्सप्लॉइटेशन के जरिए संभव है।
हर स्मार्टफोन में एक माइक्रोफोन होता है, और यह सुरक्षा के लिहाज़ से एक और खतरा है। हममें से अधिकतर लोगों को इस बात का डर सताता रहता है कि कहीं कोई हमारी निजी बातें तो नहीं सुन रहा। माइक्रोफोन का इस्तेमाल डेटा इकट्ठा करने के लिए भी किया जा सकता है। विंडोज़ यूज़र के लिए हर हफ्ते सिक्योरिटी पैच मिलना उनकी जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन बात जब फोन की आती है तो चीजें आईओएस के लिए तो बेहतर हैं।लेकिन ऐंड्रॉयड के लिए अपडेट्स कम आती हैं। इसके साथ ही हर यूज़र्स के पास ऐंड्रॉयड का लेटेस्ट वर्ज़न भी नहीं होता,जो कि आमतौर पर ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है। चीन द्वारा कुछ स्मार्टफोन निर्माताओं के मोबाइल्स में कथित रूप से सेंध लगाने की खबरें हैं। यह जानकारी उस समय सुर्खियों में आई जब अमेरिका की खुफिया एजेंसियों ने अमेरिकी नागरिकों से इन कंपनियों के फोन ना खरीदने की सलाह दी। इसके पीछे वजह थी कि ‘पिछले दरवाजे’ से यूज़र्स का डेटा विदेशी सरकार के साथ साझा किए जाने की संभावना है।