पटना, 12 जनवरी= बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समान नागरिक संहिता पर अपना रुख साफ करते हुए देश में इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी प्रयासों को एक सिरे से खारिज कर दिया है | परिवार, धर्म, अलग-अलग परम्पराओं के आधार पर समान नागरिकता के लिए केंद्र के विधि आयोग की प्रश्नावलियों पर अपनी असहमति जताते हुए विधि आयोग को पत्र लिखा है जिसकी प्रति मीडिया में भी जारी की गई | प्रश्नावलियों पर सवाल उठाते हुए कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि प्रश्नावलियां इस तरह तैयार की गई हैं कि जवाब एक विशेष तरीके से ही दिया जाए | उन्होंने कहा कि उत्तर के विकल्प बेहद कम हैं और ऐसे हैं कि इस महत्वपूर्ण विषय पर कोई भी अपनी राय नहीं रख सकता है | साथ ही प्रत्येक प्रश्न का जवाब भी नहीं दिया जा सकता है |
भारत के संविधान के अनुछेद 44 का हवाला देते हुए कुमार ने लिखा कि इसके तहत समान नागरिक संहिता की बात तो की गई है जिसे संविधान निर्माताओं ने माना था कि यह कालांतर में ही सम्भव हो सकेगा जिसकी वजह से इसे संविधान के मूल अधिकार में शामिल नहीं किया गया था | कुमार ने जानना चाहा है कि क्या समान नागरिक संहिता के लिए वर्तमान समाज में व्यापक सहमती बन गई है? उन्होंने कहा कि वर्तमान सन्दर्भ में मुसलमान समुदाय के सभी वर्गों ने इसे ठुकरा दिया है और किसी भी धर्म तथा वर्ग का इसे समर्थन नहीं है |
कुमार के अनुसार भारत में अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं और शादी-विवाह, तलाक, गोद लेने की प्रक्रिया, उत्तराधिकार, पैत्रिक सम्पत्ति में अधिकार जैसे निजी मामलों में सभी अपने-अपने क़ानून को मानते हैं | इसके अलावा अंतर्जातीय और दूसरे धर्म में विवाह होने और अन्य मामलों पर भी अलग क़ानून हैं |
समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए ऐसे सभी कानूनों और परम्पराओं को समापत करना होगा| उन्होंने लिखा है कि समान नागरिक संहिता लागू करने हेतु ऐसे कानूनों को समाप्त करने के लिए लिये न तो संबंधित पक्षों और समुदायों और ना ही राज्य सरकारों से अभी तक कोई परामर्श किया गया है और ना ही देश में अभी इसके लिए वातवरण बन पाया है | प्रस्तावित समान नागरिक संहिता के लिए संबंधित पक्षों वर्गों और समुदायों से भी इस विषय पर कोई राय नहीं ली गई है|
कुमार ने लिखा कि ऐसी परिस्थिति में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केद्र की ओर से भेजी गई प्रश्नावलियों पर जवाब देना असम्भव है| उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से केंद्र को विभिन्न समुदायों और वर्गों के अलग-अलग कानूनों को समाप्त करने और समान नागरिक संहिता जैसे विषय पर संसद, विधान सभाओं तथा समाज के हर वर्ग में व्यापक रूप से बहस और चर्चा कराने का सुझाव दिया| कुमार का मानना है कि ऐसे संवेदनशील विषय पर हड़बड़ी में निर्णय लेने की बजाए सभी धर्मों और वर्गों से विचार-विमर्श करने, उनकी राय लेने और आम सहमती बन जाने के बाद ही कोई भी कदम उठाना देश हित में होगा |
विगत मंगलवार को बिहार कैबिनेट में भी इस पर चर्चा कर अपनी सरकार की स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के पक्ष में फ़िलहाल नहीं हैं | भाजपा से नीतीश कुमार की बढ़ती नजदीकियों के बीच , समान नागरिक संहिता के लिए केंद्र के राज्यों के विचार जानने के तरीके को गलत मानते हुए कुमार की केंद्र को दी गई सलाह से, बिहार में सतारूढ़ महागठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी राहत की सांस ले रहे हैं| उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष बीएस चौहान ने पिछले साल अक्टूबर महीने में 16 बिंदुओं की एक प्रश्नावली बिहार सरकार को भेजी थी और हर मुद्दे पर हां या ना में जवाब मांगा था जिस तरीके पर नीतीश सरकार को आपत्ति थी |