सपा भी साॅफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे पर लड़ेगी लोकसभा चुनाव
लखनऊ,17 जनवरी (हि.स.)। विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस की तर्ज पर समाजवादी पार्टी भी साॅफ्ट हिन्दुत्व के एजेंडे पर काम करने की तैयारी कर रही है। यही आधार भी बनाकर पार्टी चुनाव मैदान में जाने का विचार कर रही है। इसके लिए पार्टी भजन कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रमों का सहारा लेगी। साथ ही गांवों में अपने नुमाइदें भी बनाएगी। जो ग्रामीणों की समस्याओं को सुनकर उन्हे निपटाने का प्रयास करेंगे।
सपाई सूत्रों की माने तो इस बार पार्टी चुनाव में अपनी मुस्लिमवादी छवि से अलग सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि के सहारे उतरेगी। इसके लिए रणनीति भी बनाना शुरू कर दी गयी है। कार्यकर्ताओं से कहा गया कि सपा सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच कार्यकर्ता किसी भी कीमत पर पहुंचाए साथ मोदी और योगी सरकार की खामियां को भी पोल खोली जानी चाहिए।
कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि केन्द्र सरकार के चार साल व योगी सरकार के नौ माह के कार्यकाल का लेखा-जोखा लेकर मतदाताओं के पास जाएं। उनके झूठे वादों की पोल जनता के बीच में जाकर खोले।
सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी के मुताबिक कार्यकर्ता गांवों में चैपाल लगाएंगे और लोगों के दुख-दर्द को दूर करेंगे। सरकारी अफसर समस्याओं का निराकरण नहीं करते हैं तो आंदोलन करेंगे और अगर जेल भी जाना पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे। इसके अलावा अपने क्षेत्र में बूथ एजेंट बनाने के साथ ही भजन-कीर्तन करके लोगों को जोड़कर मोदी और योगी सरकार की पोल खोलेंगे।
राजनैतिक जानकार डा. दिलीप अग्निहोत्री के मुताबिक नरेन्द्र मोदी राजनीति को जिस तरह से जनसमर्थन मिला। उसने देश की राजनीति का माहौल बदल दिया है और इसमें जो धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर आडंबर किये जा रहे थे, उसमें बदलाव आ गया। इस तरह की राजनीति ने धर्मनिर्पेक्षता के खोखले दावे की पोल खोल दिये। जिस तरह की हवा देश और सूबे में बनी है, उसके बाद किसी भी पार्टी के लिए बहुसंख्यक समुदाय की बात किए बिना राजनीति करना मुश्किल है। वास्तविक और सच्ची धर्मनिर्पेक्षता ही राजनीति में सर्वोपरि माना जा रहा है।
उधर भाजपा प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी कहते हैं कि यह वह लोग हैैं जिन्होंने आतंकवादियों के मुकदमें वापस लिए। कार्यसेवकों पर गोलियां चलवाई हैं। शुरू से ही लैपटाॅप बांटने पर भी भेदभाव किया है। तुष्टीकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया है। ऐसे लोगों को जनता अब समझ चुकी है। इसीलिए इन्हे सबक सीखा रही है। आगे भी सिखाती रहेगी।