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सपा का यह पूर्व मंत्री कैसे बना गया , बीपीएल कार्ड धारक से BMW कार का मालिक !

यूपी पुलिस ने आखिरकार गैंगरेप केस में फरार चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को गिरफ्तार कर ही लिया. मंगलवार को उनके बेटे और भतीजे को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही पुलिस ने इस केस के सभी सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. इस तरह महज 10 साल में फर्श से अर्श तक पहुंचने वाले गायत्री एक बार फिर फर्श पर पहुंच गए हैं.

कभी बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे…..

साल 2002 में वह बीपीएल कार्ड धारक हुआ करते थे, लेकिन उन पर 942 करोड़ से अधिक की संपति अर्जित करने का आरोप लगता रहा है. गायत्री प्रजापति ने अपने हलफनामे में बताया था कि उनके पास कुल 10 करोड़ की संपत्त‍ि है. इसमें उनके पास 1 करोड़ 17 लाख 55 हजार रुपये और पत्नी के नाम 1 करोड़ 68 लाख 21 हजार रुपये की चल संपत्ति है. गायत्री के पास 5 करोड़ 71 लाख 13 हजार रुपये और उनकी पत्नी 72 लाख 91 हजार 191 रुपये की अचल संपत्ति है. गायत्री के पास 100 ग्राम, तो पत्नी के पास 320 ग्राम सोना है. इसके साथ ही एक पिस्टल, रायफल और बंदूक के साथ उन्होंने गाड़ी में एक जीप दिखाया है.

15 मार्च; यूपी सरकार के सबसे विवादस्पद मंत्रियों में शुमार गायत्री प्रसाद प्रजापति साल 2002 तक गरीबी रेखा के नीचे आते थे. साल 2012 में उन्होंने अपनी कुल संपत्ति 1.83 करोड़ रुपये बताई थी. साल 2009-10 में उनकी सालाना आय 3.71 लाख रुपये थी. लेकिन वही गायत्री प्रसाद प्रजापति अब बीएमडब्लू जैसी लग्जरी कार से चलते हैं. 

पहली बार 2012 में विधायक बने…

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फैजाबाद के अवध विश्वविद्यालय से कला में स्नातक करने वाले गायत्री प्रसाद प्रजापति पहली बार 2012 में विधायक बने. इसके बाद ऊंचाइयां छूते चले गए. कभी मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन धूमधाम से मनाकर सपा के शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने वाले गायत्री कब सपा परिवार के करीबी बन गए पता ही नहीं चला. उनको फरवरी 2013 में सिंचाई राज्य मंत्री बनाया गया. इसके बाद स्वतन्त्र प्रभार खनन मंत्री पद से नवाजा गया. जनवरी 2014 में उनको इसी विभाग में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया.

महज एक साल में गायत्री के हुए तीन प्रमोशन

आरोप लगाया जाता है कि बतौर खनन मंत्री गायत्री ने अकूत संपत्ति एकत्र कर ली. इसी बीच हाई कोर्ट ने खनन विभाग में अनिमियताओं को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दे दिए, तो यूपी सरकार और गायत्री दोनों को जोरदार झटका लगा. 12 सितंबर, 2016 को सीएम अखिलेश यादव ने गायत्री प्रजापति को मंत्रीमंडल से बर्खास्त कर दिया. इसे बाद हुए सियासी ड्रामे के बाद अखिलेश सरकार ने उनको फिर से मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया. इस बार उनको फिर परिवहन मंत्रालय की कमान दे दी गई.

ये भी पढ़े : रेप मामले में पूर्व मंत्री गायत्री को एसटीएफ-पुलिस ने किया गिरफ्तार

साल 2014-2015 के बीच गायत्री प्रजापति और उनके परिवार के नाम पर कई कंपनियां रजिस्टर हुईं. गायत्री प्रजापति के सगे-संबंधियों के नाम से दर्ज एक दर्जन से अधिक कंपनियों का ब्यौरा दिया गया है. इनके दफ्तर बेशक एक कमरे में हो, लेकिन सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपये में है. इनमें से अधिकतर कंपनियों के डायरेक्टर गायत्री के बेटे अनिल और अनुराग हैं. उनके खनन मंत्री रहने के दौरान बनाई गई इन कंपनियों के द्वारा ही करोड़ों रुपयों का लेनदेन किया गया था. कई कंपनियों में तो उनके रिश्तेदार, ड्राईवर और नौकर तक डायरेक्टर हैं.

जब सुप्रीम कोर्ट ने दिया केस दर्ज करने का आदेश

यूपी में विधानसभा चुनाव के दौरान गायत्री प्रजापति एक बार फिर तब सुर्खियों में आए थे, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर रेप का केस दर्ज करने का यूपी पुलिस को आदेश दिया था. इसके बाद से गायत्री फरार चल रहे थे. उनकी तलाश में यूपी पुलिस भटक रही थी. कोर्ट के आदेश के बाद यूपी पुलिस ने गायत्री प्रजापति और उनके सहयोगियों अशोक तिवारी, पिंटू सिंह, विकास शर्मा, चंद्रपाल, रूपेश और आशीष शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 376डी, 511, 504, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज किया गया था.

गैंगरेप कर अश्लील वीडियो बनाने का आरोप

रेप पीड़िता के मुताबिक, साल 2014 में नौकरी और प्लॉट दिलाने के बहाने गायत्री प्रजापति ने उसे लखनऊ स्थित गौतमपल्ली आवास पर बुलाया. वहां चाय में नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया गया. इसके बाद वह होश खो बैठी. बेहोशी की हालत में मंत्री और उसके सहयोगी ने गैंगरेप किया था. इसका अश्लील वीडियो बनाया था. इसी अश्लील वीडियो और तस्वीरों के जरिए गायत्री और उनके सहयोगी 2016 तक उसे और उसकी बेटी को हवस का शिकार बनाते रहे. 7 अक्टूबर 2016 को उसने थाने में इसकी शिकायत की थी.

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