श्रीनगर : डीएसपी की पीट-पीट कर हत्या के बाद अब कर्फ्यू जैसे हालात
जम्मू, 23 जून : श्रीनगर में जामिया मस्जिद के बाहर गुरुवार रात को भड़की हिंसा में लोगों ने डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की पीट-पीट कर हत्या कर दी। घटना के बाद पुराने शहर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार देर रात श्रीनगर की सबसे बड़ी जामिया मस्जिद में सैकड़ों लोग नमाज अदा करने में व्यस्त थे। उस समय हिंसक प्रदर्शनकारियों ने वहां सादे कपड़ों में तैनात अयूब पंडित पर हमला कर दिया। अपने बचाव में डीएसपी ने तीन गोलियां भी चलाईं जिससे तीन लोग घायल हो गए। इसके बाद हिंसक प्रदर्शनकारियों ने डीएसपी को तब तक पीटा जब तक उनकी मौत नहीं हो गई। इसी बीच उनका सुरक्षाकर्मी भीड़ को बेकाबू होते देख वहां से भाग गया। इसके बाद सुरक्षाबलों तथा प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें शुरू हो गई। रात में डीएसपी की पहचान नहीं हो पाई क्योंकि वह सादे कपड़ों में थे।
इस घटना के बाद श्रीनगर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। प्रशासन ने शहर के सात थाना क्षेत्रों में एहतियाती तौर पर लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध लागू कर दिया है और भारी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया है जिससे कफर्यू जैसे हालात पैदा हो गए हैं। वहीं जुमे की नमाज़ के बाद अलगावादियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। वीरवार रात अयूब पंडित को नौहाटा की प्रसिद्ध जामा मस्जिद के बाहर पीट-पीट कर मार डालने वाले तीन हिंसक प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी एसपी वैद ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि शुरुआती जांच से पता चला है कि कुछ शरारती तत्व नारेबाजी कर रहे थे। इन लोगों ने नौहाटा स्थित जामा मस्जिद से बाहर निकल रहे डीएसपी अयूब पंडित को पकड़कर पीटना शुरू कर दिया। उस समय डीएसपी सादे कपड़ों में अपनी डयूटी कर रहे थे। इन लोगों ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी। तीन नागरिकों को गोली लगने से घायल होने के सवाल पर डीजीपी ने कहा कि मोहम्मद अयूब पंडित के पास अपनी पिस्तौल थी और उन्हें अपने बचाव का पूरा अधिकार था लेकिन शरारती तत्वों के हमले से वह खुद को बचा नहीं सके।
राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफती ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर अयूब पंडित को श्रद्धांजलि अर्पित की और ऐसे लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पुलिस ने अपना धैर्य खो दिया तो मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है कि लोगों ने पुलिस अधिकारी को ही पीट-पीट कर मार डाला। यह बहुत ही निंदनीय और दुखद कृत्य है। महबूबा ने कहा कि मुझे यह कहने में गर्व है कि जम्मू कश्मीर पुलिस देश की सबसे बेस्ट पुलिस है। वे बहादुर हैं क्योंकि प्रदर्शनों से निपटते वक्त भी वे धैर्य का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि पुलिस जानती है कि वो अपने ही लोगों से निपट रही है, पर कब तक। जब उनका धैर्य समाप्त हो जाएगा फिर क्या होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि अभी भी समय है और वे ऐसे कृत्यों से दूर रहें अन्यथा मुश्किल हो जाएगी।
वहीं डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की भीड़ द्वारा हत्या करने पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस घटना की निंदा की है। उमर ने डीएसपी की हत्या पर अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट में लिखा कि डीएसपी की मौत एक त्रासदी है और जिस तरीके से उनकी मौत हुई है वह शर्मनाक है। जिन लोगों ने डीएसपी पंडित को मारा है वो अपने पापों के लिए नरक की आग में जलेंगे।
घटना के वक्त मस्जिद में ही मौजूद अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारुख ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि इस तरह की घटना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती। मीरवाइज ने कहा कि इस तरह की हिंसा हमारे धर्म में के अनुसार पूरी तरह से गलत है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ अर्सें से सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों को मार गिराने व उनकी धरपकड़ के लिए चलाए जा रहे तलाशी अभियानों के दौरान आतंकी व अलगाववादी समर्थक सुरक्षाबलों को पथराव कर अपना निशाना बनाते आ रहे हैं जिसके चलते कई बार आतंकी सुरक्षा घेरा तोड़ भागने में सफल हो रहे हैं। हिंसक प्रदर्शनकारियों द्वारा किए जा रहे पथराव के दौरान कई सुरक्षाबल घायल हुए हैं। डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित भी बीती रात इसी अलगाववादी हिंसक भीड़ का शिकार हुआ है जो पैसा लेकर आतंकियों के समर्थन में सुरक्षाबलों को निशाना बनाती है। हिंसक प्रदर्शनकारियों से निपटने की नरम नीति के चलते ही इन प्रदर्शनकारियों के हौंसले बुलंद होते जा रहे हैं। पुलिस व सुरक्षाबलों का डर इनके दिमाग से जैसे निकल ही गया हो। कश्मीर घाटी में पुलिस, अद्धसैनिकबलों व सेना पर हिंसक प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव, पेट्रोल बम व हिंसक हमले करना आम बात हो गई है। इनसे निपटने की कोई ठोस नीति न होने के चलते सुरक्षाबल कई बार अपने को असहाय महसूस करते हैं। अलगाव, आतंक व पाकिस्तान के के इन समर्थकों के आगे सुरक्षाबल आए दिन निशाना बन रहे हैं।