शुरू हो गई दुनिया के सबसे ऊंचे शिवधाम कैलास मानसरोवर की यात्रा , एक माह तक चलेगी यह यात्रा
नई दिल्ली (ईएमएस)। कैलास मानसरोवर की यात्रा शुक्रवार से शुरू हो गई है। दुनिया के सबसे ऊंचे शिवधाम कैलास मानसरोवर को 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे श्रेष्ठ माना गया है। मान्यता है कि यह भगवान शिव का निवास है। हर साल कैलास मानसरोवर की यात्रा के लिए लाखों श्रद्धालु जाते हैं। कैलास मानसरोवर चीन के तिब्बत में स्थित है। इसके अलावा एक छोटा कैलास धाम भी है जो उत्तराखंड की सीमा पर भारत के इलाके में है। कैलास मानसरोवर की यात्रा के लिए 2 रास्ते हैं। पहला उत्तराखंड का लिपुलेख दर्रा है और दूसरा सिक्किम का नाथुला दर्रा। कैलास मानसरोवर पहुंचने के लिए नेपाल से होकर जाना पड़ता है। पिछले साल चीन ने नाथुला दर्रे को बंद कर दिया था,जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार नाथुला दर्रा खुला है।
कैलास मानसरोवर की यात्रा ठंडे और ऊंची पर्वतीय इलाकों से तय होती है। इस यात्रा पर जाने के लिए शारीरिक रुप से फिट होना बहुत जरूरी है। शारीरिक फिट के आधार पर ही यात्रा पर जाने के लिए श्रद्धालुओं का चुनाव सरकार करती है। यह यात्रा करीब एक महीने में पूरी होती है। अगर आप कम समय में यात्रा पूरी करना चाहते हैं तो आपको थोड़ा बजट बढ़ाना पड़ेगा। कैलास मानसरोवर के लिए कई कंपनियां हवाई सेवा उपलब्ध करती हैं। इसमें एक से सवा लाख रुपये का खर्च आता है। हालांकि इस बार हवाई यात्रा थोड़ा मुश्किल है।
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लखनपुर से नजंग के मध्य खराब मार्ग को लेकर चल रहे असमंजस के बीच कैलास मानसरोवर यात्रियों को अब पैदल ही शिव धाम तक पहुंचना होगा। हेलीकॉप्टर द्वारा पिथौरागढ़ से गुंजी उतारे जाने का प्रस्ताव स्थगित हो चुका है। पूर्व की भांति कैलास मानसरोवर यात्रा श्रीनारायण आश्रम से पैदल होगी। पांच पैदल पड़ाव पार कर यात्रा दल तिब्बत में प्रवेश करेगा। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कैलास मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार के संबंध में आयोजित बैठक में इसकी घोषणा की।
बुधवार को आयोजित बैठक में कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में लखनपुर से नजंग के मध्य 1600 मीटर मार्ग को लेकर चर्चा की गई। कैलास मानसरोवर यात्रा, भारत चीन व्यापार और माइग्रेशन को देखते हुए सीमा सड़क संगठन को इस अवधि के मध्य इस स्थान पर मार्ग निर्माण का कार्य रोकने के निर्देश दिए गए। पिथौरागढ़ के डीएम ने कहा कि कैलास मानसरोवर यात्रा अपने परंपरागत मार्ग से ही हो रही है। जनप्रतिनिधियों ने चीन सीमा लिपूलेख तक निर्माणाधीन सड़क में अनावश्यक विलंब के लिए बीआरओ को जिम्मेदार ठहराया।