वैश्विकरण के नाम पर हो रहा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन: स्वामी अग्निवेश
नई दिल्ली, 19 दिसम्बर (हि.स.)। सामाजिक कार्यकर्ता और सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश के अनुसार दुनिया में वैश्विकरण की आड़ में प्राकृतिक संसाधानों को निजी अधिकार में लेकर उनके दोहन का षड्यंत्र चल रहा है। विकास के नाम पर हमारी सरकारें भी ऐसा करने वालों के सामने घुटने टेक रही हैं।
स्वामी अग्निवेश ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में कहा कि वेद का मंत्र है कि ‘यत्र विश्व भवेत् एक नीडम’ अर्थात् पूरा संसार एक घोंषला है। ये पृथ्वी मेरी मां है और मैं इसकी संतान हूं। संतान के नाते पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर सभी प्राणियों का बराबर का अधिकार है। जबकि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने वाली ताकतें पहले इन्हें अपने निजी अधिकार में ले रही हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) का पहला चरण प्राकृतिक संसाधनों का निजीकरण है। वह वैश्विकरण की आड़ में निजीकरण कर रहे हैं। यह लोग विकास के नाम पर निजीकरण कर रहे हैं लेकिन विकास वह स्वयं का कर रहे हैं डॉलर के रूप में मुनाफा कमा कर।
अग्निवेश ने कहा कि हमारी सरकारें विकास के नाम पर ऐसा करने वाले पूंजीपतियों को संसाधन सौंप देती हैं। बड़ी से बड़ी सरकारें अपने को सार्वभौम बता रही हैं। सेना पर खर्च करेंगी लेकिन सार्वभौमिकता वहां उस दिन चौपट हो जाती है जिस दिन ये मल्टीनेशनल कारपोरेशन आकर के उन्हें विवश कर देती है। इनके मालिकों की संख्या पूरी दुनिया में मात्र 50-60 ही है लेकिन यही लोग पूरी दुनिया की नीति को डिक्टेट कर रहे हैं। इन्हीं की किताबों को हम प्रबंधन संस्थानों में पढ़ रहे हैं ताकि उनके लिए हम सैनिक (काम करने वाले) तैयार करें जो उनका प्रॉफिट टियरिंग और मुनाफा उच्चतम सीमा तक ले जाने की सेवा कर सकें।
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि सारी दुनिया उनके एजेंडे पर काम कर रही है। उनका एजेंडा जरूरत (नीड) से नहीं लालच (ग्रीड) से संचालित हो रहा है। गांधी जी ने कहा था कि सारी दुनिया की जरूरत पूरी हो सकती है लेकिन एक इंसान का लालच पूरी नहीं हो सकती।