वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है मोदी की स्वीडन यात्रा
नई दिल्ली (ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टॉकहोम पहुंच चुके हैं, जहां वह पहले भारत-नॉर्डिक समिट के तहत डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन के प्रधानमंत्रियों से मुलाकात करेंगे। इसमें स्मार्ट सिटीज, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार, विकास, वैश्विक सुरक्षा, निवेश और जलवायु परिवर्तन अहम मुद्दे रहेंगे। मोदी नॉर्डिक देशों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए उत्सुक हैं और इनसे कुछ महत्वपूर्ण परिणामों की भी उम्मीद है।
प्रधानमंत्री सोमवार देर रात अपने बिजनेस डेलिगेशन के साथ स्टॉकहोम के अरलांडा एयरपोर्ट पहुंचे थे, जहां उनका स्वागत स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टेफान लोफवेन ने किया। यह पहली संयुक्त बैठक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है, जब यूरोपियन यूनियन अब भी उस तरीके को खोजने की कोशिश में जुटी है, जिससे उसे स्टील और एल्युमिनियम पर अमेरिकी टैरिफ से हमेशा के लिए छूट मिल जाए। नॉर्डिक देशों की सरकारों के प्रमुख द्वारा, जो पहले से ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों से परेशान हैं, शिखर सम्मेलन के दौरान मुक्त व्यापार पर बात करेंगे। मुक्त व्यापार को लेकर हालांकि, मोदी विरोधाभासी संदेश दे रहे हैं। जनवरी में ही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में मोदी ने घोषणा की थी कि भारत व्यापार के लिए खुला है, लेकिन इसके एक महीने बाद ही आयात शुल्क को तीन दशक में सबसे ऊंचे स्तर तक ले जाकर उन्होंने अपनी इस घोषणा से यू-टर्न ले लिया। निर्यात पर जोर देने वाले नॉर्डिक देश विश्व की उन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से सावधान हो रहे हैं, जिन्होंने संरक्षणवाद का रवैया अपना लिया है। डेनमार्क के विदेश मंत्री ऐंडर्स सैमुअलसन ने कहा, हम अमेरिका की विपरीत दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं और मुक्त व्यापार को लेकर सकारात्मक उदाहरण पेश करना चाहते हैं। यह समिट नॉर्डिक देशों के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ व्यापार करने का भी बहुत बड़ा अवसर है। नॉर्डिक देशों की आबादी करीब दो करोड़ 70 लाख है, जिसकी अर्थव्यस्था कनाडा से भी छोटी है।
स्वीडिश इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के शोधकर्ता हेनरिक ऐसपेंग्रेन के मुताबिक, नॉर्डिक सरकारों को यह एहसास है कि आने वाले वर्षों में चीन की तुलना में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत ने 110 एयरक्राफ्ट बनाने की डील पाने के लिए डेडलाइन जुलाई तक रखी है। ऐसे में स्वीडन के पास अपने ग्रिपन लड़ाकू जेट दिखाने का भी मौका है। साब कंपनी ने मोदी के मेक इन इंडिया प्लान के तहत देश में जेट बनाने के लिए ऐरोस्पेस इकोसिस्टम स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया था। हालांकि, भारत के साथ साझेदारी इन देशों के लिए आसान नहीं होगी। भले ही विदेशी निवेश से भारत में नौकरियां आएंगी, लेकिन बीजेपी सरकार ऐसे व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने से परहेज करेगी, जिनकी वजह से विदेशी सामान की भारत में बाढ़ आ जाए। स्वीडन के प्रधानमंत्री भी भारत के साथ समझौतों को लेकर काफी उत्साहित हैं। डैनिश इंस्ट्री लॉबी के ऑफिस के प्रमुख कुनाल सिंगला कहते हैं कि डेनमार्क अपने विंडमिल्स और फूड प्रॉसेसिंग मशीनरी भारत को बेचने का इच्छुक है। डेनमार्क के विदेश मंत्री ने कहा, स्वीडन या डेनमार्क जैसे देश भारत के साथ व्यापार बढ़ाना चाहते हैं। इन देशों को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में भी भारत की रुचि बढ़ेगी।