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विस में कांग्रेस उठाऐंगी कलेक्टर को रिश्वत देने का मामला.

भोपाल, 25 जनवरी= जमीन से संबंध में काम करवाने के एवज में श्योपुर कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल को मिठाई के डिब्बे में पांच लाख की रिश्वत देने का मामला अब विधानसभा में उठेगा। मप्र विधानसभा के प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने कहा कि भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का खुला संरक्षण हैं। वे सिर्फ अच्छा काम करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करते हैं, जबकि कलेक्टर जैसे अधिकारी खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं, उन्हें नोटिस तक नहीं दिया जाता हैं। श्योपुर का रिश्वतकांड शिवराज सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करता हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टों को खुला संरक्षण दे रही है। यही कारण के हर जगह लूट मची है। उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि अधिकारी खुलेआम लाखों रुपये की रिश्वत ले रहे हैं और सरकार उन्हें बचा रही है। प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि क्योकि श्योपुर का मामला उजागर हो गया था, इसलिए रिश्वत का पैसा वापिस कर दिया गया। उन्होंने कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिविल सेवा आचरण अधिनियम के अनुसार कलेक्टर का व्यवहार कदाचार की श्रेणी में आता है। क्योंकि कानूनन तौर पर रिश्वत देना और लेना दोनों ही अपराध हैं। यदि कलेक्टर इस मामले में ईमानदार हैं तो उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह खुलासा करना चाहिए कि उन्हें रिश्वत देने के लिए कौन आया था।

किसके द्वारा उन्हें रिश्वत पहुंचाई गई थी। बच्चन ने कहा कि शिवराज सरकार अफसरों को भ्रष्ट बना रही है। अफसरों के साथ सरकार जिस तरह से व्यवहार कर रही है उससे अफसरों को भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि जो अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं, उनका तबादला कर कर उन्हें डराया जा रहा है। जबकि भ्रष्टों को संरक्षण दिया जा रहा है। प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यदि सरकार ने श्योपुर रिश्वतकांड का खुलासा नहीं किया तो मामला विधानसभा में उठाया जाएगा।
ज्ञात हो कि 10 जनवरी को रविवार को श्योपुर कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल कार्यालय में बैठे थे। इसी दौरान होशंगाबाद के किसी नेता की सिफारिश की एक व्यक्ति कलेक्टर से मिलने आया और मिठाई का डिब्बा छोड़ गया।

जब कलेक्टर ने डिब्बा खोला तो उसमें पांच लाख के नये नोट मौजूद थे। खास बात यह है कि जिस समय कलेक्टर ने डिब्बा खोला था उस समय जमादार भोलाराम आदिवासी वहीं खड़ा था, पैस देखते ही कलेक्टर ने तत्काल उस व्यक्ति को बुलाया और पैसे वापस किए और फटकार लगाई। अगले दिन जब यह मामला सामने आया तब कलेक्टर ने रिश्वत की पेशकश करने वाले के खिलाफ एफआईआर कराने की बात कही, लेकिन बाद में कलेक्टर ने यह कहकर इनकार कर दिया कि रिश्वत देने वाले ने लिखित माफीनामा मांग लिया, अब कोई मतलब नहीं है। लेकिन कलेक्टर ने अभी तक न तो रिश्वत देने वाला की पहचान उजागर की और न ही वह माफीनामा उजागर किया। जिसको लेकर कलेक्टर की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

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