न्यूयॉर्क, 19 दिसंबर : विदेश जाने वालों में भारतीय अव्वल हैं। हाल यह है कि साल 2017 में 1.70 करोड़ भारतीय देश छोड़कर दूसरे देशों में निवास करने चले गए। इनमें 50 लाख भारतीय खाड़ी क्षेत्र में रहते हैं। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट से हुआ है।
इंटरनेशनल माइग्रेशन रिपोर्ट -2017 के मुताबिक, भारत के बाद मैक्सिको दूसरे स्थान पर है जहां के लोग बाहर जाकर बस रहे हैं। रूस, चीन, बांग्लादेश, सीरिया, पाकिस्तान और यूक्रेन से भी लोग बड़ी संख्या में विदेशों में जाकर बस रहे हैं। इन देशों के 60 लाख से 1.10 करोड़ लोग दूसरे देशों में रह रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में दुनिया भर के करीब 25.8 करोड़ लोग अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में बसने चले गए, जो साल 2000 की तुलना में 49 प्रतिशत अधिक है। इनमें भारत से सबसे ज्यादा 1.70 करोड़ लोग अपना देश छोड़ कर अन्य देशों में जाकर बस गए। इसके बाद मैक्सिको के 1.30 करोड़ लोग विदेशों में रहने गए।
बड़ी प्रवासी जनसंख्या वाले अन्य देशों में रूस के एक करोड़ दस लाख लोग, चीन के एक करोड़ लोग, बांग्लादेश और पाकिस्तान और यूक्रेन के साठ-साठ लाख लोग अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में रहने गए।
रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात में सबसे ज्यादा भारतीय प्रवासी रहते हैं। इनकी संख्या करीब 30 लाख है। साल 2000 में यह संख्या 9,78,992 थी। अमेरिका और सउदी अरब में करीब 20 लाख भारतीय रहते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘इंटरनेशनल माइग्रेशन’ सतत विकास के वर्ष 2030 के एजेंडा को लागू करने के लिहाज से चिंता का विषय है। वैसे अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन का विश्व के अधिकांश भागों की जनसंख्या वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान है। इतना ही नहीं इसके कारण उन इलाकों की जनसंख्या में हो रही गिरावट की प्रक्रिया भी प्रतिगामी हो गई है।
विदित हो कि साल 2000 से 2015 तक प्रवासन के कारण उत्तर अमेरिका की जनसंख्या में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि ओसेनिया की आबादी में 31 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। इतना ही नहीं इस दौरान अगर आव्रजन नहीं हो तो यूरोप की जनसंख्या कम हो गई होती।
उल्लेखनीय है कि साल 2017 में प्रवासन करने वालों में 74 प्रतिशत लोग कार्य करने योग्य हैं जिनकी उम्र 20 से 64 वर्ष के बीच है, जबकि वैश्विक कार्यशील आबादी महज 57 प्रतिशत है। अर्थात वैश्विक कार्यशील जनसंख्या की तुलना में म करने योग्य प्रवासियों की आबादी अधिक है। (हि.स.)।