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लागू है जीएसटी और स्टूडेंट अब भी पढ़ रहे हैं पुराना टैक्स

सिद्धार्थनगर, 02 फरवरी (हि.स.)। एक देश-एक टैक्स के लिए वर्ष 2017 में 1 जुलाई से (जीएसटी) गुड्स एन्ड सर्विस टैक्स लागू तो कर दिया गया लेकिन विश्वविद्यालयों में छात्र अभी भी पुरानी टैक्सो यानि इनडायरेक्ट टैक्स की पढ़ाई करने को मजबूर है। क्योंकि टैक्स का सिस्टम तो बदल दिया गया, लेकिन छात्रों की पढ़ाई का सिलेबस पुराना ही है। आज भी स्टूडेंट सैट और वैट टैक्स की पढ़ाई कर रहे हैं जिसका अब कोई मतलब नहीं है। जिले के सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी का यही हाल है।

जीएसटी लागू होने के बाद सभी इनडायरेक्ट टैक्स को खत्म कर जीएसटी में ही समाहित कर दिया गया है। इन टैक्स की पढ़ाई का कोई मतलब ही नहीं रह गया। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय अभी बीकाम में जीएसटी का पाठ्यक्रम शामिल नहीं कर सका। सूत्रों की मानें तो अभी जीएसटी पाठ्यक्रम को शासन से अनुमति ही नहीं मिल पाई है। लिहाजा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कैम्पस एवं सम्बद्ध महाविद्यलयों में संचालित बीकॉम में जीएसटी का पाठ्यक्रम इस सत्र में संचालित नहीं हो सका।

भारत सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के बाद हर वर्ग में उत्पन्न होने वाली परेशानियों को लेकर प्रदेश सरकार के अनुरूप सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने अन्य विश्व विद्यालयों की भांति इसी सत्र 2017-18 में ही कैम्पस एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में संचालित बीकॉम के थर्ड ईयर के पाठ्यक्रम के ग्रुप एफ में फर्स्ट पेपर के रूप में जीएसटी पाठ्यक्रम पढ़ाये जाने का निर्णय लिया था, लेकिन इस सत्र में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कालेजों एवं कैम्पस में जीएसटी का पाठ्यक्रम नहीं संचालित हो सका।

बताते चलें आठ सितम्बर को समस्त सम्बद्ध महाविद्यालयों एवं कैम्पस में संचालित बीकाम के लिए कुल सचिव द्वारा एक सर्कुलर जारी किया गया था कि ‘बीकॉम अंतिम वर्ष के ग्रुप एफ के प्रथम प्रश्न पत्र का परिवर्तित पाठ्यक्रम,पाठ्यक्रम समिति द्वारा पारित होने के उपरान्त कुलपति द्वारा उप्र राज्य विश्व विद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 13(6)के अंतर्गत प्राप्त अनुमति के क्रम में सत्र 2017-18 से लागू करने हेतु आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया जा रहा है।”जिसके साथ पाठ्यक्रम को भी अटैच किया गया था जिसमे जीएसटी से सम्बंधित पाठ्यक्रम थे, लेकिन बिना तैयारी के विश्वविद्यालय द्वारा यह निर्णय ले लिया गया कि 2017-18 में जीएसटी की पढ़ाई हो जाएगी। लेकिन जब परीक्षा फार्म भरने का समय आया तो छात्रों से इस ग्रुप में शामिल यानी जीएसटी पाठ्यक्रम को छोड़ कर फार्म भरने के लिए कहा गया।

यही नहीं सूत्रों की मानें तो आन लाइन भरे जा रहे परीक्षा फार्म की साइट से भी इस पाठ्यक्रम को पत्राचार कर हटाने के लिए विश्वविद्यालय ने एनआईसी से पत्राचार किया है। इस मामले में जब विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ दीपक मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जीएसटी से सम्बंधित कोई स्टडी मैटेरियल ही नहीं था इसलिए पढ़ाई नहीं जा रही है और जैसा मुझे विश्वविद्यालय द्वारा दिशा निर्देश दिया गया है उसी के निर्देशानुसार शिक्षा छात्रों को दी जा रही है। 

इस सम्बंध में कुलपति डॉ रजनीकान्त पाण्डेय ने बताया कि संसाधनों के अभाव में यह पाठ्यक्रम नहीं संचालित हो सका, लेकिन अगले सत्र से इस पाठ्यक्रम को लागू कर दिया जाएगा।

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