राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने कहा, गुरु रविदास की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
नई दिल्ली, 31 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान संत कवि गुरु रविदास की समानता, एकता और सामाजिक सौहार्द की शिक्षा और संदेश को आज भी प्रासंगिक बताते हुए देशवासियों को उनकी जयंती की शुभकामनाएं दी हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जारी शुभकामना संदेश में कहा कि सभी देशवासियों को गुरु रविदास जयंती की शुभकामनाएं। समानता, एकता और सामाजिक सौहार्द की उनकी शिक्षा और सन्देश देश को प्रेरणा देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ‘गुरु रविदास जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। गुरु रविदास जी हमारी भूमि पर जन्मे सबसे महान संतों में से एक थे। वह समानता, न्यायोचित व दयालुपूर्ण समाज की स्थापना में विश्वास करते थे। उनकी शिक्षाएं शाश्वत हैं और समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए प्रासंगिक हैं।’ उन्होंने रविदास की कुछ पंक्तियां भी ट्वीट की हैं। गुरु रविदास ने कहा था, ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिलै सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।
मोदी ने एक अन्य ट्वीट संदेश में कहा, गुरु रविदास जी ने हमारे समाज में कई सकारात्मक बदलाव किए। उन्होंने उन प्रथाओं पर सवाल उठाया जो पुरानी और प्रतिगामी थी। उन्होंने लोगों को समय के साथ बदलने के लिए प्रेरित किया। उनकी समानता की भावना और समय के साथ आगे बढ़ना ही उन्हें महान बनाता है।
उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी सद्भाव और भाईचारे के मूल्यों में विश्वास रखते थे। वह किसी प्रकार के भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। जब हम ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आदर्श वाक्य के साथ काम करते हैं, तो हम हर इंसान, खासकर गरीबों की सेवा करने के लिए गुरु रविदास जी से प्रेरित होते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी के समृद्ध विचारों के मार्गदर्शन में, हम एक मजबूत, समावेशी और समृद्ध भारत का निर्माण करने के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं जहां विकास का फल सभी तक पहुंचता है और गरीबों को सशक्त बनाता है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा ‘गुरु रविदासजी को उनकी जन्म जयंती पर नमन। गुरुजी के आदर्शों ने हमारे समाज को एकता और समानता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है। सामाजिक समरसता के प्रति गुरु रविदासजी के विचार हमें आज भी एक सशक्त समाज के निर्माण के लिए प्रेरणा देते है।’