योगी सरकार के नौकरशाह नहीं सुनते जनप्रतिनिधियों की बात : अभाविप
लखनऊ, 24 जनवरी (हि.स.)। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने बुधवार को अपने ’प्रदेश के वर्तमान परिदृश्य’ प्रस्ताव में जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को क्लिनचीट दी है, वहीं उनकी नौकरशाही पर जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने पर जोर दिया है। प्रस्ताव में पूर्ववर्ती गैर भाजपा सरकारों पर निशाना साधते हुए सपा, बसपा समेत अन्य पिछली सरकारों को प्रदेश की बदहाली के लिए जिम्मेदार ठहराया है। संगठन ने कहा है कि पिछली सरकारों ने सत्ता दुरुपयोग के साथ समाज को भ्रष्टाचार, जातिवाद, परिवारवाद तथा भयपूर्ण वातावरण में जीने को विवश किया।
सबसे अहम बात है कि अभाविप ने योगी सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी, भूमाफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही, एण्टी रोमियो दल, महिला हेल्पलाइन, अवैध कत्लखाने के बंद करने, सांस्कृतिक धरोहरों को पुनः प्रतिष्ठित करने तथा यूपीकोका को जनहित में लिया गया निर्णय बताया है।
इसके साथ ही परिषद ने योगी सरकार से किसानों के लिए रियायती दरों पर आवश्यक बीज, उर्वरक ब्याजरहित ऋण, अनाज व बाजार के बीच बिचौलियों को समाप्त करने, प्रदेश में बंद पड़े चीनी मिल या उद्योगों को चालू कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है।
एबीवीपी ने योगी सरकार से बाढ़ की विभिषिका झेल रहे श्रावस्ती, गोण्डा, बहराइच, लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी, सिद्धार्थनगर समेत अन्य जनपदों को भविष्य में होने वाली इन प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए व्यापक कार्ययोजना बनाये जाने तथा बेपटरी हुई कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिए आवश्यक एवं ठोस कदम उठाए जाने की भी मांग की है।
इसके अलावा प्रस्ताव में अभाविप ने युवाओं की बेरोजगारी के लिए पूर्व सरकारों पर पक्षपातपूर्ण, अन्यायपूर्ण व अदूरदर्शी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। परिषद ने योगी सरकार को युवाओं के पलायन रोकने के लिए शीघ्र प्रभावी एवं पारदर्शी योजना बनाकर अधिकाधिक युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की भी मांग की है।
संगठन ने प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा को बदहाल बताते हुए कहा है कि चिकित्सा विभाग में व्याप्त घूसखोरी, कमीशनखोरी और घोर लापरवाही के कारण असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। परिषद ने मांग की है कि चिकित्सा सेवाओं को दुरुस्त करते हुए महिलाओं के प्रति अपराध व कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराधों को जघन्यतम अपराध की सूची में डालकर दोषियों पर कठोरतम कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
इसके अलावा परिषद ने योगी आदित्यनाथ सरकार के नौकरशाहों पर भी हमला बोलते हुए अपने प्रस्ताव में उन पर जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया है। कहा गया है कि ये प्रशासनिक अधिकारी जनता की सेवा करना तो दूर उनसे सीधे मुंह बात तक नहीं करते। ऐसे में अधिकारियों को यह सिखाना आवश्यक है कि वे जनता के सेवक हैं और जनता की सेवा के साथ-साथ उनकी भावनाओं का सम्मान करना उनका कर्तव्य है। इसके अलावा पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने की मांग की है।