यूपी में सर्द हवाओं के साथ घने कोहरे की चादर ने रोकी जीवन की रफ्तार
वाराणसी, 20 दिसम्बर (हि.स.)। धर्म नगरी वाराणसी में पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी और घने कोहरे के साथ पछुवा हवाओं ने जनजीवन की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया हैं। दिसम्बर माह में पहली बार बुधवार को लोगों को सर्द हवाओं के साथ घने कोहरे से दो चार होना पड़ा। सुबह आठ बजे के लगभग भगवान भास्कर की कमजोर किरणों ने उपस्थिति दर्शायी तब धीरे धीरे कोहरे की चादर सिकुड़ती चली गयी।
सुबह घने कोहरे के चलते पचास मीटर की दूरी भी घुंधली दिख रही थी। सुबह साढ़े सात बजे तक वाहन चालक हेडलाइट जलाकर धीमी रफ्तार से चल रहे थे। घने कोहरे और सर्द मौसम में सुबह स्कूल आने जाने वाले छोटे बच्चों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही थी। वहीं रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर भी ट्रेन और वाहन के इंतजार में खड़े यात्रियों का कोई पुरसाहाल नहीं था। हालांकि लोग भरपूर गर्म कपड़ों, मफलर, टोपी व दस्ताने के साथ घर से निकले लेकिन सर्द हवाओं के आगे वह बेहाल दिखे।
शहर के प्रमुख चौराहों पर अलाव नहीं जलने से बढ़ रही नाराजगी
दिसम्बर के तीसरे सप्ताह में बढ़ रही गलन लोगों को कंपाने लगी है। बावजूद इसके शहर के किसी चौराहे पर नगर निगम प्रशासन ने अलाव की व्यवस्था नहीं की है। निगम से जुड़े सूत्र बताते हैं कि अलाव की लकड़ी के लिए आपूर्ति टेंडर जारी कर दिया है। लेकिन अलाव के लिए लकड़ी पहुंचने में अभी समय लग सकता है।
रैन बसेरे में भी व्यवस्था नहीं सुधरी
सर्द मौसम में गरीबों के लिए बने रैन बसेरे में भी नगर निगम प्रशासन ने अभी कोई व्यवस्था नहीं की है। यहा तक की रैन बसेरे में धान की पुवाल भी नहीं डाली गयी हैं। रैन बसेरे में गरीब पुरानी दरी व फटे कम्बल के सहारे रात गुजार रहे हैं। बताते चलें रैन बसेरे में गरीब दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, कूड़ा बीनने वाले बच्चे महिलाएं रात गुजारती हैं। टाउनहाल स्थित रैन बसेरे का हाल भी कुछ ऐसा ही हैं। यहां रात गुजारने वाले अखबारों का कतरन और लकड़ी का इंतजाम कर खुद को गर्म रखते हैं। रैन बसेरे में रात गुजारने वाले शिवनारायण ने बताया कि अभी कम्बल और दरी नहीं मिल रही हैं। अपने से जो व्यवस्था हो पाती है उसी से किसी तरह रात गुजारते हैं। उधर गंगा घाटों पर रहने वाले भिखारियों के लिए स्थिति थोड़ी बेहतर है। उन्हें कोई न कोई दानी या संगठन गर्म कपड़े और कम्बल ओढ़ा जाता है। लेकिन घाट पर खुले आसमान के नीचे रात गुजारने के दौरान काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।