मोटापे से होती है कई बिमारियां
मोटापा एक ऐसी बीमारी है, जो स्त्री, पुरुष व बच्चे किसी को भी हो सकती है। ज्यादा मोटापा समाज में हास्यास्पद स्थिति पैदा कर देता है। मोटापा कई कारणों से हो सकता है जैसे- खान-पान, बैठक का काम करना, व्यायाम न करना आदि। कई बार मोटापा वंशानुगत भी होता है, परिवार में सभी मोटे लोग हैं तो आने वाली संतान भी मोटी हो सकती है।
जिस प्रकार खाँसी को, कब्ज को रोग का घर कहा जाता है, वैसे ही मोटापे को भी कई बीमारियों का जनक माना जाता है। दिल संबंधी, ब्लडप्रेशर संबंधी, गैस संबंधी, डायबिटीज संबंधी आदि कई तरह की बीमारियों का संबंध मोटापे से होता है।
शरीर में अतिरिक्त चर्बी जम जाने पर यह प्रकट होता है। मोटापा शरीर के कुछ अंगों पेट, जाँघ, हाथ, नितम्ब, कमर आदि को अनावश्यक रूप से फुलाते हुए अपने आस-पास के अंगों को दबाता चला जाता है, इस तरह यह पूरे शरीर को अपने कब्जे में ले लेता है।
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव दिल, दिल की धमनियों आदि पर होता है। मोटापे में दिल के आसपास धमनियों में चर्बी जमा हो जाती है और दिल की परेशानियाँ बढ़ जाती हैं। अधिक मोटे व्यक्ति के शरीर में चर्बी ही बढ़ती है, अन्य धातुएँ उतनी नहीं बढ़तीं। मोटे व्यक्ति अल्पायु तो होते हैं, भूख-प्यास से व्याकुल तथा अनेक बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। मोटा व्यक्ति भूख शांत करने के लिए नहीं खाता, बल्कि स्वाद के लिए कई प्रकार के भोजन करता है।
यूँ भी कह सकते हैं कि अतिरिक्त भोजन मिलने पर, आरामतलब होने पर तथा परिश्रम न करने पर हमारा शरीर अनावश्यक चर्बी एकत्र करने लग जाता है, यही चर्बी मोटापे का रूप होती है। चर्बी शरीर के लिए आवश्यक होती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा चर्बी हानिकारक होती है। चर्बी शरीर के सेल बनाने के लिए जरूरी है, सामान्य शरीर के लिए प्रतिदिन 60 ग्राम चर्बी जरूरी होती है। एक चौथाई चम्मच में 9 कैलोरी होती है। इसी प्रकार एक ग्राम प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट में मात्र 4 कैलोरी होती है।
मोटापे के कारण
मोटापे का सबसे प्रमुख कारण है आरामतलबी होना, अय्याशी का जीवन जीना और परिश्रम न करना।
चाहे जब भोजन करना, भोजन में वसा, मिठाई, तेल, घी, दूध, अंडे, शराब, मांस, धूम्रपान, अन्य तरह का नशा आदि की अति कर देना।
महिलाओं में मोटापा फैलने के कारणों में- भोजन में अति, भोजन पश्चात दिन में सोना व परिश्रम कम करना, गर्भवती स्त्रियों को गर्भवती के नाम पर अनावश्यक खिलाते रहना। प्रसव बाद भी मेवों का अति सेवन कराना और शरीरिक श्रम कम करना, हमेशा घर में ही बने रहना आदि। प्रायः बाहर काम करने वाली स्त्रियाँ हाउस वाइफ की अपेक्षा कम मोटी होती हैं।
बच्चों के मोटापे का कारण भी यही है कि माता-पिता लाढ़-प्यार में बच्चे को वसा, प्रोटीन से भरपूर पदार्थ अनावश्यक खिलाते रहते हैं। इससे पेट बचपन से ही निकल जाता है। कई बार दुबले माता-पिता के बच्चे इसी कारण मोटापे की गिरफ्त में आ जाते हैं।
शरीर की कुछ ग्रंथियाँ भी मोटापे का कारण होती हैं।
वंश परंपरा भी मोटापे का कारण है, यहाँ इसे रोग नहीं कह सकते।
मोटापे से बचाव –
बहुत से लोग मोटापे से पीड़ित हैं। मोटापा होने के कई कारण हैं जैसे भारी और मीठे खाद्य पदार्थ, ज्यादा खाना, शारीरिक व्यायाम में कमी आदि। अगर आपको अपना वजन कम करना है तो इसके लिए आपको अपने जीवन शैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होगी। ये स्वास्थ्य परिवर्तन आपके मोटापे की समस्या को कम करने में मदद करेंगे।
मोटापा कम करने के लिए क्या न खाएं
इस समस्या से बचने के लिए भारी, ठंडे और मीठे भोजन का जितना संभव हो सके, सेवन ना करें। चीनी इस समस्या के लिए हानिकारक होती है तो चीनी के स्थान पर शहद का उपयोग कर सकते हैं। आप अपने दिन की शुरुआत एक गिलास गर्म पानी से करें। गर्म पानी आपके लिए बहुत ही अच्छा होगा। अगर आप चाहें तो गर्म पानी में नींबू का रस और अदरक का पेस्ट भी डाल सकते हैं जो आपके मेटाबोलिक सिस्टम को सही से काम करने में मदद करेगा। ताजे फलों और सब्जियों का सेवन करें पर बिना पकी हुई सब्जियों का बहुत अधिक सेवन नहीं करें। अंकुरित अनाज का सेवन आपके लिए बहुत अच्छा होगा। आप को प्रतिदिन 2-3 कप हरी चाय का उपभोग करना चाहिए। गर्म दूध आप के लिए अच्छा है लेकिन चीज़ और मक्खन जैसे दूध उत्पादों के सेवन से बचें। ठंडे पेय के उपयोग से बचें और चाय और कॉफी जैसे गर्म पेय का सेवन करें।