नई दिल्ली : गूगल ने उर्दू और फारसी के महान शायर मिर्जा गालिब की 220 वीं जयंती पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। डूडल में मिर्जा गालिब लाल रंग का लबादा और तुर्की टोपी पहने नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मिर्जा गालिब का जन्म 27 दिसम्बर 1796 में आगरा के एक सैनिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने पिता और चाचा को बचपन में ही खो दिया था| गालिब का जीवनयापन मूलत अपने चाचा के मरणोपरांत मिलने वाले पेंशन से होता था। मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब” को उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है| फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जुबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है। यद्दपि इससे पहले के वर्षों में मीर तकी (मीर) भी इसी वजह से जाने जाते हैं। ग़ालिब के लिखे पत्र, जो उस समय प्रकाशित नहीं हुए थे, को भी उर्दू लेखन का महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है। ग़ालिब को भारत और पाकिस्तान में एक महत्वपूर्ण शायर के रूप में जाना जाता है| उन्हें दबीर-उल-मुल्क और नज़्म-उद-दौला का खिताब मिला था।
मिर्ज़ा ग़ालिब अपनी आसान और दिल में उतर जाने वाली शायरी की वजह से खास पहचान रखते हैं. मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन बेशक अभाव में रहा हो या फिर समृद्ध उन्होंने आजाद जीवन जिया और जीवन में कभी न तो अपने स्वाभिमान से समझौता किया, और न ही अपने शौक को लेकर. बेशक आमदनी ज्यादा नहीं थी लेकिन वे बाजार में कभी भी पालकी और हवादार के बिना नहीं निकलते थे. दो-दो नौकर उनके साथ रहते थे. टी.एन. राज ने अपनी किताब ‘गालिब’ में इस बारे में जानकारी दी है. उनको गोश्त, शराब और जुए का शौक था.
क्या आप ने सुने हैं मिर्ज़ा ग़ालिब के ये मशहूर शेर , जो रोजाना …….
किताब में बताया गया है कि मिर्ज़ा ग़ालिब गोश्त के बहुत शौकीन थे. वे गोश्त के बिना रह ही नहीं सकते थे. उन्हें गोश्त खाने में काफी जायकेदार लगता था. इसके अलावा वे पीने के भी बहुत शौकीन थे. उन्होंने रात को सोते समय शराब पीने की एक नियत मात्रा तय कर रखी और वे उससे ज्यादा कभी नहीं लेते थे. बताया जाता है कि वे कॉस्टेलीन और ओल्ड टॉम जैसी अंग्रेजी शराब पीने के शौकीन थे. राज ने लिखा है, “वे उसकी गर्मी को कम करने के लिए इसमें दो हिस्से गुलाब जल डाल लिया करते थे.” हालांकि उन्होंने शराब पर कई शेर लिखे हैं लेकिन वे इसे अच्छा नहीं मानते थे.
‘ग़ालिब’ छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में
गूगल ने डूडल बना महान शायर मिर्जा गालिब को दी श्रद्धांजलि
सबसे दिलचस्प किस्सा रहा उनके जुआ खेलने का. अगस्त, 1841 में तो वे अपने घर पर जुआ खेलने के आरोप में धर भी लिए गए और उनपर 100 रु. जुर्माना हुआ. लेकिन उनसे दुश्मनी रखने वालों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और 25 मई, 1847 को वे दोबारा पकड़े गए, और उन्हें छह महीने की सजा हुई. लेकिन उन्हें तीन महीने बाद रिहा कर दिया गया. लेकिन इस घटना ने उनपर काफी असर डाला.