माल्या के वकील ने भारतीय न्याय प्रणाली पर उठाये सवाल
लंदन, 12 दिसंबर (हि.स.)। धन शोधन और धोखाधड़ी के आरोपित और भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने भारत की न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। यह जानकारी मंगलवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।
सुनवाई के चौथे दिन लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में माल्या (61)मौजूद थे। उनकी वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और उच्चतम न्यायालय के फैसलों पर अपनी राय देने के लिए डॉ मार्टिन लाउ को पेश किया। वह दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ हैं।
डॉ लाउ ने सिंगापुर और हांग कांग के तीन अकादमिकों द्वारा किए गए एक अनाम अध्ययन का हवाला देते हुए सेवानिवृत्ति के करीब पहुंचे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए।
विदित हो कि बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से लिए गए कर्ज को नहीं चुकाने और धोखाधड़ी करने के मामले में माल्या भारत में वांछित हैं। इस मामले में करीब 9,000 करोड़ रुपये की कर्ज देनदारी शामिल है।
माल्या के वकील यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि एयरलाइन का ऋण नहीं चुका पाने का मामला कारोबार की विफलता का परिणाम है ना कि यह कोई ‘बेईमानी’ अथवा ‘धोखाधड़ी’ का मामला है।
इसी बीच यह सामने आया है कि भारतीय बैंकों के समूह ने माल्या की वैश्विक परिसंपत्तियों पर रोक लगाने के लिए इंगलैंड के उच्च न्यायालय के तहत वाणिज्यिक अदालत में मामला दायर किए हुए है। इस मामले की भी वाणिज्यिक अदालत की क्वीन्स पीठ में भी समानांतर एक सुनवाई चल रही है।
माल्या के खिलाफ इस दावे में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कारपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड,आईडीबीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंशियल एसेट रीकंस्ट्रक्शंस कंपनी प्राइवेट लिमिटेड सूचीबद्ध आवेदक हैं। अन्य संबंधित मामलों में लेडीवाक एलएलपी, रोज कैपिटल वेंचर्स लिमिटेड और ऑरेंज इंडिया होल्डिंग्स का नाम शामिल है।
माल्या पर प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के चलते उनके वकीलों को इस मामले में जवाब देने के लिए और समय दे दिया गया है। प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई गुरुवार को खत्म होने की संभावना है।