मालदह जिला में 365 दिन पूजी जाती हैं मां दुर्गा
मालदह, 09 सितम्बर : मालदह जिला के एक प्राचीन साहापुर ग्राम पंचायत स्थित नागेश्वरपुर में मुकुल परिवार रहता है, जहां सालों भर पूजी जाती हैं मां दुर्गा। इस घर में आश्विन महीने के सिर्फ चार दिन ही नहीं बल्कि पूरे साल यानि 365 दिन ही मां दुर्गा की पूजा की जाती है। स्थानीय निवासी इस घर को मुकुलबाड़ी सिद्धेश्वरी दुर्गा ठाकुरन मंदिर के नाम से जानते हैं।
सूत्रों के अनुसार इस परिवार के पूर्वज उत्तर प्रदेश स्थित आजमगढ़ जिले के रहने वाले थे। मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल से ही यहां पारम्परिक रूप से इस परिवार में पूजा शुरू हुई। उस समय परिवार के दो धुरन्धर मुकुल एवं वंशधर मुकुल भाईयों ने मां दुर्गा की पूजा शुरू की थी। इसके बाद आजमगढ़ से मुकुल परिवार अधुना बांग्लादेश राजशाही चला गया। वहां भी उन्होंने दुर्गा पूजा शुरू की। वहां परिवार के मुख्य कर्ता थे कुंजबिहारी मुकुल। ऐसा कहा जाता है कि देश के बंटवारे के समय राजशाही से मुकुल परिवार मालदह जिले के नागेश्वरपुर चला आया। दौड़-भाग के चलते उस साल दुर्गापूजा नहीं हो पाया। एक दिन मां दुर्गा ने मुकुल परिवार को स्वप्न दिखाया कि नए घर में दुर्गापूजा जरूरी है।
इसके बाद मुकुल परिवार के तत्कालीन कार्यकर्ता तारापद बाबू ने घर के नजदीक ही महानन्दा नदी में एक लकड़ी को डूबते-उतरते देखा। उसे घर लाये और फिर से मां सिद्धेश्वरी ठाकुरन की दुर्गा पूजा की। वर्तमान की वही धारा पारम्परिक रूप से अब तक चली आ रही है। 2017 साल की दुर्गा पूजा का 956वां वर्ष है।
यहां पारम्परिक रूप से तंत्र-मंत्र के साथ कृष्ण नवमी को मां के भक्त मानसी मुकुल पूजा का आयोजन करते हैं। उनके अनुसार उनके यहां साईंथिया के पुरोहित गौतम भट्टाचार्य पूजा करते हैं। मण्डप की सजावट केतुयाली गांव के प्रह्लाद दास करते हैं। यहां बलि देने की प्रथा है। इसलिए सप्तमी के दिन छोटे बकरी की यहां बलि चढ़ाई जाती है। नवमी के दिन बलि के प्रसाद के साथ अन्नकूट की भोग वितरण की जाती है। मानसी मुकुल के अनुसार हर साल करीब 70 बलि चढ़ाई जाती है। यहां बलि देने के लिए भक्तगण तारापीठ से आते हैं। इसके अलावा कोलकाता, बर्दवान, दोनों मेदिनिपुर, झाड़खण्ड एवं ओड़िसा से भक्तगण आते हैं।