बिहार

मनोज तिवारी ने अपना अकादमी सम्मान बिहार सरकार को क्यू लौटाया .

सपना सिंह.

मुंबई :=बिहार की भोजपुरी अकादमी द्वारा मालिनी अवस्थी को सांस्कृतिक राजदूत चुने जाने पर मनोज तिवारी ने एतराज जताते हुए अपना भोजपुरी अकादमी सम्मान बिहार सरकार को वापस सौंप दिया। इस मामले पर प्रख्यात भोजपुरी लोकगायिका शारदा सिन्हा ने पहली बार कुछ कहा है। शारदा सिन्हा कहती हैं कि मालिनी अवस्थी को भोजपुरी की ब्रांड अंबेसडर बनाया जाए, इससे भला मुझे क्यों एतराज होगा? मैं खुश हूं। मालिनी अच्छा गाती हैं। देश में उनका नाम है। हां, मुझे इस बात को एक अखबार में पढ़कर और दूसरे लोगों से पता चलने पर दुख पहुंचा। मुझे दर्द हुआ। एक बार हमसे भी पूछ लिया जाता..।

मैं बिहार की हूं। बिहार की भोजपुरी अकादमी इस पद पर मालिनी जी को बैठा रही थीं तो भोजपुरी भाषा और लोकसंस्कृति एवं भोजपुरी गीत-संगीत को विकसित करने वाले और इसे आगे बढ़ाने वाले लोगों से जरूर सलाह मश्वरा लिया जाना चाहिए था। मैं पिछले 40 सालों से इस भाषा का प्रतिनिधित्व कर रही हूं। मुझे एक बार बता ही दिया होता तो मैं इसे अपना सम्मान मानती। अकादमी को भोजपुरी से जुड़े दूसरे कलाकारों से भी इस बारे में जरूर पूछना चाहिए था।

मैंने सुना मनोज तिवारी ने इसके लिए मेरा नाम लिया। वो उम्र से मुझसे काफी छोटे हैं। खुद भी बड़े कलाकार हैं। बचपन से मुझे सुनते आ रहे हैं। उन्हें लगा होगा कि बिहार में रह रही दीदी को यह सम्मान दिया जाना चाहिए था। आम बिहार के लोगों ने भी मेरे नाम के नारे लगाए। मैं किसी पद की इच्छुक नहीं हूं। लेकिन यह जानकर कि कितने लोग मुझ पर इतना भरोसा करते हैं और इतना प्यार करते हैं, जानकर गर्व महसूस होता है।

मैं आज तक किसी कंट्रोवर्सी में नहीं रही। लेकिन इस विवाद के चलते मेरा नाम उभरा है। मुझे इस बात से मलाल नहीं कि मालिनी को भोजपुरी की अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक राजदूत बनाया गया। मुझे मालिनी से कोई शिकायत नहीं है। शिकायत है तो बिहार भोजपुरी अकादमी से। अपने राज्य की सरकार से। इतना बड़ा फैसला लेते हुए मुझे इसमें शामिल नहीं किया गया। यहां तक कि बिहार भोजपुरी अकादमी द्वारा हालिया आयोजित अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव-2013 कार्यक्रम का इनविटेशन कार्ड तक हमें नहीं दिया गया, ना ही भोजपुरी अकादमी द्वरा कभी किसी मुद्दे पर बात की गई, ना ही हमें कभी बुलाया गया।

मैंने कहीं सुना कि कृष्ण कुमार वैष्णवी (भिखारी ठाकुर संस्थान के सचिव) को अकादमी के अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर एसएमएस किया, हमनी के कवनो अइसन महिला आइकॉन के चुने के रहे जे सक्रिय रूप से भोजपुरी मूल्य के प्रचार करे। शारदा जी के सहयोग कबो ना मिलल।

फेसबुक पर किसी को इंटरव्यू देते हुए दूबे जी ने यह लिखा है कि आखिर कब तक शारदा सिन्हा जी को ढोइएगा? फिर इस बात के तुरंत बाद दूबे जी ने मेरे पति को फोन किया कि दीदी को ठेस पहुंची हो तो मैं माफी मांगता हूं। मुझे ऐसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के ऐसे रवैये के चलते शिकायत है। हां, मैं जानती हूं कि उन्हें मुझसे खुन्नस है।

मैं उनकी आंख की किरकिरी हूं क्योंकि मैंने अपने सामने कभी भी किसी मंच से अश्लील या फुहड़पने वाले प्रोग्रामों को ना चलने देने का साहस के साथ मुकाबला किया। बिहार भोजपुरी अकादमी सरकार के तहत काम करती है। मैं ऐसा मानती हूं कि किसी भी भाषा के विकास एवं उसके प्रचार-प्रसार के लिए उसी भाषा के मूल कलाकार को इसकी जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए क्योंकि वो उस माटी की खुशबू से ओतप्रोत होता है। वह जड़ से जुड़ा होता है। मैं मैथिली परिवार में पैदा हुई लेकिन मेरी रगों में भोजपुरी का ही प्रवाह है।

मुझे याद है कि एक बार आसनसोल में एक प्रोग्राम चल रहा था। मैंने वहां जमकर भोजपुरी गीत गाए। इसे लेकर विवाद तक हो गया। कुछ लोग मुझे मैथिली बेल्ट की कह रहे थे तो ज्यादातर मुझे भोजपुरी कह रहे थे। मैं तो यही कहूंगी, स्टेट की तरह भाषाओं को नहीं बांटो।

कौम को कबीलों में मत बांटो, सफर को मीलों में मत बांटों, बहने दो पानी जो बहता है, अपनी रवानी में उसे कुओं, तालाबों, झीलों में मत बांटो।। अवधी और भोजपुरी दोनों बहने हैं। इनमें प्यार बने रहने दो। मेरे जहन में सवाल उठ रहा है कि आखिर भोजुपरी का ब्रांड अंबेसडर बनाने की जरूरत ही क्यों महसूस की जा रही है?

यह तो सभी कलाकारों को सामूहिक दायित्व है कि वे इस भाषा को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। यह सभी कलाकारों, संस्थाओं एवं सरकार नैतिक जिम्मेदारी होती है। हां, एक बात यहीं मैं जरूर कहना चाहूंगी कि अर्काइव (आलेखों) का संरक्षण होना बहुत जरूरी है।

वरना आने वाली पीढ़ियों को पता ही नहीं होगा कि हमारे बुजुर्ग उनके लिए विरासत में क्या छोड़कर गए। अकादमी फालतू की राजनीति करने की बजाय धरोहरों को बचाने का काम करें तो श्रेष्ठ होगा। अंत में मैं यही कहना चाहूंगी कि मैं खुद को इस ब्रांड अंबेसडर विवाद से अलग करती हूं।

इस मुद्दे पर कौन क्या बोला

प्रो रविकांत दुबे कहते हैं कि शारदा सिन्हा का स्थान ऐसे सम्मान से परे और आदरणीय है। अकादमी को एक ऐसे कलाकार की तलाश थी जो अपने आचारण-व्यवहार, पहनावे और अभिव्यक्ति से भोजपुरी माटी का लगे। ऐसे मानकों पर मालिनी अवस्थी का मनोनयन ब्रांड एम्बेस्डर के लिए सर्वथा उपयुक्त है। इसलिए मालिनी के चयन को जायज है।

मनोज तिवारी ने कहा कि मालिनी अवस्थी अवधी गायिका हैं और उन्हें भोजपुरी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए एम्बेसेडर नियुक्त करना गलत है भोजपुरी को बढ़ावा देने के लिए शारदा सिन्हा, भारत शर्मा या अभिनेता रवि किशन हैं तो दूसरी भाषा के कलाकार को क्यों भोजपुरी का ब्रांड अंबेसडर बनाया गया। मालिनी की नियुक्ति करना उन जैसे कलाकारों का अपमान है जिन्होंने पूरी दुनिया में इस भाषा के प्रसार के लिए बहुमूल्य योगदान दिया है|

मालिनी अवस्थी कहती हैं कि मैं तीस वर्षों से भोजपुरी लोकसंस्कृति के प्रचार प्रसार निस्वार्थ भाव से कर रही हूं। मैंने बिहार के पटना, आरा, गया, चंपारण, मोतिहारी, बक्सर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुज्जफरपुर, कैमूर, समस्तीपुर, नवादा, मधुबनी, नालंदा, भागलपुर, वैशाली आदि शहरों के अनेक मंचो पर भोजपुरी की सेवा प्रदान की है। झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं हिंदुस्तान ही नहीं विदेश के मंचों से भी मैंने पारंपरिक भोजपुरी लोक प्रस्तुति दी है। ऐसा सम्मान मिलना मेरा सौभाग्य है लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते।

मालिनी अवस्थी का खुला पत्र भी पढ़िए 

प्रो रविकांत दुबे जी,

मै विगत तीस वर्षों से भोजपुरी लोकसंस्कृति के प्रचार प्रसार में निस्वार्थ भाव से अहर्निश लीन हूं। मेरे द्वारा बिहार राज्य में पटना, आरा, गया, चंपारण, मोतिहारी, बक्सर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुज्जफरपुर, कैमूर, समस्तीपुर, नवादा, मधुबनी, नालंदा, भागलपुर, वैशाली आदि अनेक मंचो पर समय समय पर भोजपुरी की सेवा प्रदान की गई है. झारखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं हिंदुस्तान का कोई भी नगर एवं मंच नहीं है जिस से मैंने पारंपरिक भोजपुरी लोक प्रस्तुति न की हो।

इसके अतिरिक्त हमारे आदरणीय कर्मठ भोजपुरिया पूर्वज सात समंदर पार जिन देशों मे जा बसे है मैंने वहां भी भोजपुरी परंपरा का प्रसार किया उनमे प्रमुख है मारीशस , हालैंड, फिजी एवं अमेरिका। मुझे छह अंतर्राष्ट्रीय विश्व भोजपुरी सम्मेलनों में अपनी प्रस्तुति देने का अवसर प्राप्त हुआ इन सम्मेलनों में मुझे “भिखारी ठाकुर सम्मान” एवं “महेंद्र मिश्र सम्मान” प्रदान किया गया है। दिल्ली मे आयोजित बिहार दिवस पर भी मुझे प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया था।

मैं पूरब की बेटी हूं और पूरब में पली बढ़ी हूं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में भोजपुरी की गंगा बहती है. मुझे गर्व है की उन्ही भोजपुरी संस्कारों ने सींचा और निखारा है एवं लोकप्रियता दिलाई है। मै जब भी बिहार कार्यक्रम देने आई हूं। यहाँ की जनता का असीम आशीर्वाद एवं दुलार मिला है। महोदय, आपने भोजपुरी के प्रति मेरा समर्पण एवं योगदान देखकर मुझे बिहार भोजपुरी अकादमी का “अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक राजदूत” नियुक्त किया था, जिसका स्वागत बिहार एवं समस्त देश के भोजपुरी प्रेमियों द्वारा हर्ष निनाद से किया गया किन्तु कुछ व्यक्तियों ने स्वार्थवश इस नियुक्ति पर अकारण सवाल खड़े कर दिए हैं। जिसे देखकर मेरा अंतर्मन मुझसे कहता है कि मुझे यह पद स्वीकार नहीं करना चाहिए। बिहार एवं भोजपुरी के सम्मान के लिए मै अपनी स्वीकृति वापस लेती हूं। आपके इस प्रस्ताव के लिए मै बहुत आभारी हूं। महोदय मैंने गरिमामय जीवन व्यतीत किया है और अपनी गरिमा को अक्षुण बनाये रखना चाहती हूं। मेरे संस्कार एवं शिक्षा भोजपुरी में गरिमा बनाए रखने के पक्षधर हैं। मै मानती हूं कि कलाकार अपने परिश्रम से अपनी लगन से व समाज की स्वीकार्यता से बनता है। मै अपनी लोक प्रस्तुतियों द्वारा भोजपुरी के शालीन सुसंस्कृत एवं समृद्ध स्वरूप को आजीवन गौरवशाली बनाए रखना चाहती हूं। बिहार में जब भी मुझे स्मरण किया गया है, मैंने अपनी प्रस्तुतियां दी हैं और आगे भी देती रहूंगी।

आखिर कौन हैं मालिनी अवस्थी अधिक जानकारी के लिए यंहा क्लिक करे ….

 

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