‘मन की बात’ में बोले PM मोदी खत्म हो VIP कल्चर , श्रमिक दिवस और डिजिटल लेन-देन पर भी की चर्चा
नई दिल्ली, 30 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा वीआईपी कल्चर के खिलाफ जनता में नफरत में थी। उन्होंने कहा कि लाल बत्ती के चलन को खत्म करने का मकसद कुछ लोगों के दिमाग से वीआईपी संस्कृति खत्म करना और ईपीआई ‘एवरी पर्शन इज इम्पोर्टेंट’ लाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्य़क्रम में कहा, लाल बत्ती के चलन को खत्म करने के फैसले का मकसद कुछ लोगों के दिमाग से वीआईपी संस्कृति खत्म करना है।‘
उन्होंने कहा कि लोगों में वीआईपी कल्चर से नाराजगी है। इसका अनुभव इसे हटाने के बाद हुआ। बत्ती गाड़ी पर लगती थी लेकिन मन में घुस जाती थी। दिमाग में जो बत्ती घुसी उससे निकलने में थोड़ा वक्त लगता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोगों ने लालबत्ती हटाने के निर्णय का स्वागत किया है। अब मन से भी इसे हटाना है। यह भी सफाई अभियान का हिस्सा भी है। उन्होंने कहा कि न्यू इंडिया का मतलब ईपीआई है। इसका अर्थ है ‘एवरी पर्शन इज इम्पोर्टेंट’। सभी देशवासी का महत्व है। यह सब हमें मिलकर करना है।
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हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार की मंत्रीमंडल बैठक में लाल बत्ती कल्चर खत्म करने का फैसला किया गया है।
‘श्रमिक दिवस’ पर किया याद
PM ने 1 मई को होने वाले ‘श्रमिक दिवस’ पर बोलते हुए महान श्रमिक नेता दत्तोपंत ठेंगड़ी को याद किया। प्रधानमंत्री ने श्रमिकों के लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के योगदान को याद किया। अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में पीएम मोदी ने कहा-
‘1 मई का एक और भी महत्व है | दुनिया के कई भागों में उसे ‘श्रमिक दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। और जब ‘श्रमिक दिवस’ की बात आती है, श्रम की चर्चा होती है, श्रमिक की चर्चा होती है तो मुझे बाबा साहब अम्बेडकर की याद आना बहुत स्वाभाविक है I और बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि आज श्रमिकों को जो सहुलियतें मिली हैं, जो आदर मिला है, उसके लिये हम बाबा साहब के आभारी हैं। श्रमिकों के कल्याण के लिये बाबा साहब का योगदान अविस्मरणीय है।
आज जब मैं बाबा साहब की बात करता हूँ, संत रामानुजाचार्य जी की बात करता हूँ तो 12वीं सदी के कर्नाटक के महान संत और सामाजिक सुधारक ‘जगत गुरु बसवेश्वर’ जी की भी याद आती है। कल ही मुझे एक समारोह में जाने का अवसर मिला। उनके वचनामृत के संग्रह को लोकार्पण का वो अवसर था I 12वीं शताब्दी में कन्नड़ भाषा में उन्होंने श्रम, श्रमिक उस पर गहन विचार रखे हैं।
कन्नड़ भाषा में उन्होंने कहा था – “काय कवे कैलास”, उसका अर्थ होता है – आप अपने परिश्रम से ही भगवान शिव के घर कैलाश की प्राप्ति कर सकते हैं यानि कि कर्म करने से ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है | दूसरे शब्दों में कहें तो श्रम ही शिव है I मैं बार-बार ‘श्रमेव-जयते’ की बात करता हूँ | ‘डिग्निटी ऑफ लेबर’ की बात करता हूँ। मुझे बराबर याद है भारतीय मज़दूर संघ के जनक और चिन्तक जिन्होंने श्रमिकों के लिए बहुत चिंतन किया ऐसे श्रीमान दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहा करते थे – एक तरफ़ माओवाद से प्रेरित विचार था कि “दुनिया के मज़दूर एक हो जाओ” और दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहते थे “मज़दूरों आओ दुनिया को एक करें” । एक तरफ़ कहा जाता था- ‘वर्कर्स ऑफ द वर्ल्ड यूनाइट’। भारतीय चिंतन से निकली हुई विचारधारा को ले करके दत्तोपन्त ठेंगड़ी कहा करते थे – ‘वर्कर्स यूनाइट द वर्ल्ड’। आज जब श्रमिकों की बात करता हूँ तो दत्तोपन्त ठेंगड़ी जी को याद करना बहुत स्वाभाविक है।’
डिजिटल लेन-देन में युवाओं ने अच्छा प्रयास किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवाओं ने डिजिटल लेन देन को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, ‘इस बार भारत सरकार ने भी आपके लिये बड़ा अच्छा अवसर दिया है। नई पीढ़ी तो नकद से करीब-करीब मुक्त ही हो रही है। उसको कैश की ज़रूरत नहीं है। वो डिजिटल करेंसी में विश्वास करने लग गई है। आप तो करते हैं लेकिन इसी योजना से आप कमाई भी कर सकते हैं-आपने सोचा हैI’
उन्होंने कहा, ‘भारत सरकार की एक योजना है। अगर भीम ऐप जो कि आप डाउंलोड़ करते होंगे। आप उपयोग भी करते होंगे लेकिन किसी और को रैफर करें। किसी और को जोड़ें और वो नया व्यक्ति अगर तीन ट्रांजेक्शन करे, आर्थिक कारोबार तीन बार करे, तो इस काम को करने के लिये आपको 10 रुपये की कमाई होती है।
आपके खाते में सरकार की तरफ से 10 रुपये जमा हो जायेगा। अगर दिन में आपने 20 लोगों से करवा लिया तो आप शाम होते-होते 200 रुपये कमा लेंगे। व्यापारियों को भी कमाई हो सकती है, विद्यार्थियों को भी कमाई हो सकती है और ये योजना 14 अक्टूबर तक है। डिजिटल इंडिया बनाने में आपका योगदान होगा। न्यू इंडिया के आप एक प्रहरी बन जाएंगे।’