भारत में कामकाज के दौरान यहाँ होती हैं सबसे ज्यादा मौत !
मुंबई, 21 नवंबर : भारत में निर्माण उद्योग को श्रमशक्ति का दूसरा सबसे बड़ा नियोक्ता कहा जाता है, लेकिन भारत में कार्यस्थल पर होने वाली मौतों को रोकने के लिए ख़ास ध्यान नहीं दिया जाता। अपनी ताजा रिपोर्ट में ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल ने पाया कि कार्यक्षेत्र में लगभग 24.20 प्रतिशत मौत होती है। यह सालाना तौर पर देश में सबसे अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का 80 प्रतिशत कार्यबल अब भी असुरक्षित माहौल में कार्य करता है। इंग्लैंड के मुकाबले भारत में कार्यक्षेत्र में 20 गुना अधिक मौतें होती हैं। अध्ययन के अनुसार, भारत में करीब 48,000 कामगार कार्यक्षेत्र में होने वाली दुर्घटनाओं से मरते हैं, जिनमें से निर्माण क्षेत्र में रोज 38 जानलेवा दुर्घटनाएं होती हैं। यह यूनाइटेड किंगडम के ठीक विपरीत है, जहां 2016 में सभी क्षेत्रों में 137 घटनाएं दर्ज हुईं। कार्यक्षेत्र में होने वाली मौतें भारत में यूनाइटेड किंगडम की तुलना में 20 गुना अधिक हैं।
ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 506 पंजीकृत फैक्टरियों की जांच का जिम्मा केवल एक फैक्टरी इंस्पेक्टर पर है। कई उद्योग क्षेत्रों में दुर्घटनाओं और खराब स्वास्थ्य को रिपोर्ट करने की जरूरत ही नहीं समझी जाती। सरकारी आंकड़ों में भी यह आंकड़ें शामिल नहीं हो पाते। इसके अलावा, सेहत और सुरक्षा कार्यों के लिए प्रोत्साहन संरचना भी काफी खराब है। ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल के मुख्य कार्यकारी माइक रॉबिन्सन के अनुसार 1.25 अरब आबादी के साथ भारत के पास 465 मिलियन लोगों की मजबूत कार्यशक्ति है। हालांकि, इनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत स्वास्थ्य और सुरक्षा के मौजूदा कानूनी ढांचे के दायरे में आते हैं।
सेहत, सुरक्षा और पर्यावरण-प्रबंधन के मामले में दुनिया में सबसे अधिक भरोसेमंद नेतृत्वकर्ताओं में से एक ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल ने भारत में कार्यस्थलों में होने वाली मौतों के परिदृश्य को उजागर किया है। कौंसिल ने अपना दफ्तर मुंबई में खोला है और इसे सेहत व सुरक्षा की अहमियत पर जागरूकता फैलाने की पूरी उम्मीद है। रॉबिन्सन का कहना है कि शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में सेहत और सुरक्षा को कम अहमियत दी जाती है, जो अक्सर हितधारकों की उदासीनता तथा‘आपकी सुरक्षा आपकी समस्या है’, जैसे व्यवहार से सामने आती है ।
भारत में ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल का लक्ष्य परंपरागत दृष्टिकोण और व्यवहार को चुनौती देना है, और नियोक्ताओं के लिए उन तरीकों को अपनाने में मदद करना है, जो उनके कामगारों की सेहत व सुरक्षा का अधिक ख्याल रखे। कौंसिल अब लेखा, प्रशिक्षण, ई-प्रशिक्षण, योग्यताऔर सदस्यता जैसी सेवाएं देगा। एनआईएसटी संगठन के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन एंटनी सेल्वराज ने इस बारे में बताया कि ब्रिटिश कौंसिल न सिर्फ अपने लक्ष्य के समर्थन में हमारे व्यवसाय को बढ़ाने का अवसर देता है, बल्कि इस संगठन के मूल्य हमारी कंपनी के मूल्यों से काफी हद तक जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सेफ्टी कौंसिल सभी औद्योगिक क्षेत्रों में स्वास्थ्य व सुरक्षा की कवरेज बढ़ाने संबंधी कानून के क्रियान्वयन और निर्माण की भारत सरकार की कोशिश का भी समर्थन करेगा। (हि.स.)।