हरिद्वार, 30 अक्टूबर : चार माह से भगवान शिव के हाथों में चल रही सृष्टि की सत्ता बुधवार को भगवान विष्णु को हस्तांतरित हो जाएगी। अवसर होगा देव दीपावली यानि देवोत्थान एकादशी।
देव दीपावली जिसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है, भगवान विष्णु चार माह बाद शेष शैय्या पर निद्रासन होने के बाद जागृत होंगे। इसी के साथ चार माह से बंद पड़े मांगलिक कार्यों का भी शुभारम्भ हो जाएगा। विदित हो कि सृष्टि की सत्ता का तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु व महेश बारी-बारी से संचालान करते हैं। शुरू के चार माह ब्रह्मा, दूसरे चार माह भगवान शिव और कार्तिक मास की एकादशी से चार माह तक सृष्टि की सत्ता का दायित्व भगवान विष्णु के पास होता है। इसके चलते बुधवार से सृष्टि की सत्ता भगवान विष्णु के हाथों चली जाएगी। देवोत्थान एकादशी को देव दीपावली भी कहा जाता है।
पं. प्रदीप जोशी के अनुसार, जिस प्रकार से मृत्युलोक में भगवान श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में दीप जलाकर दीपावली मनाई गई थी और यह परम्परा आज भी जारी है। उसी तरह भगवान विष्णु के जागृत होने पर देवलोक में भी दीपावली मनाई जाती है। इसीलिए देवोत्थान एकादशी को देव दीपावली कहते हैं। इस दिन सांयकाल लोग घरों में भगवान विष्णु को जागृत करते हैं। घरों को दीपावली के तरह दीपों से सजाया जाता है। भगवान को गन्ना, कपास, चने का साग, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा आदि समर्पित किया जाता है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सांयकाल पूजा-अर्चना के बाद व्रत का परायण किया जाता है। भगवान विष्णु के जागृत होने के साथ ही चार माह से बंद पड़े मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। (हि.स.)।