बुंदेलखंड के चित्रकूट में कुटीर उद्योग का रूप ले रहा है कच्ची शराब का कारोबार
–जिले के आधा सैकड़ा गाँवो में धड़ल्ले से फल फूल रहा है कच्ची शराब बनाने का धंधा
चित्रकूट, 18 जनवरी(हि.स.)। देश और प्रदेश में जहरीली शराब पीने कई बड़ी-बड़ी घटनायें होने के बाद गंभीर हुए उच्च न्यायालय और प्रदेश की योगी सरकार द्वारा अवैध शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ कड़े कानून का प्रावधान किया है। इसके बाद भी बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े जिले चित्रकूट में आबकारी विभाग की उदासीनता के चलते आधा सैकड़ा से अधिक गाँवो में खुलेआम कच्ची शराब की भठ्ठियाँ धधक रही है।
कच्ची शराब का यह अवैध कारोबार जिले में कुटीर उद्योग का रूप लेता जा रहा है। सबसे बड़ी हैरानी वाली बात तो यह है की इस अवैध कारोबार की कमान महिलाओं के हाथ में है। डकैतों,सूखा और बेरोजगारी जैसी बुनियादी समस्याओं के लिये हमेशा पूरे देश में सुर्खियों में रहने वाला उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा जिला चित्रकूट इन दिनों कच्ची शराब के पनपते अवैध कारोबार के लिए चर्चा में है। देश और प्रदेश में जहरीली शराब पीने से हो चुकी कई घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायलय और प्रदेश सरकार द्वारा अवैध शराब को बनाने और बेचने पर कड़े कानून का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद आबकारी विभाग की उदासीनता के चलते जिले में कच्ची शराब बनाने का धंधा जोरों पर हैं। ग्रामीण क्षेत्र तो दूर जिला मुख्यालय के आसपास करीब एक दर्जन से गांवों में अवैध शराब बनाने का धंधा कुटीर उद्योग की तरह फल फूल रहा है। पुलिस और आबकारी विभाग समय-समय पर अभियान चलाते रहते हैं पर जैसे ही अभियान ठंडा पड़ता है शराब की भट्ठियां फिर सुलगने लगती हैं।
विभागीय सूत्रों की मानें तो कच्ची शराब बनाने के धंधे में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं भी जुड़ी हैं।जिला मुख्यालय से सटे मन्दाकिनी नदी और नालो और तालाबों के किनारे बसे गांव कपसेठी, कुली तलैया, गोबरिया, कर्वी माफी, टिकुरा, सोनेपुर, बनाडी, सिद्वपुर सहित शहर के लक्ष्मणपुरी, द्वारिकापुरी, शंकरगंज, तरौंहा व भैरोपागा में कच्ची शराब बनाने का धंधा चलता है।इसके अलावा जिले के यमुना पट्टी के किनारे बसे राजापुर और मऊ के दर्जनों गाँवो में सर्वाधिक कच्ची शराब बनाने का कारोबार चल रहा है। वही मानिकपुर और पहाड़ी क्षेत्र के गाँवो में भी अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से फलफूल रहा है। इन ठिकानों से शराब पीकर आने वाले दर्जनों शराबी रोज शाम को सड़क किनारे लुढ़के पड़े रहते हैं। कच्ची शराब बनाने की दर्जनों भट्ठियां मंदाकिनी नदी किनारे बसे गांवों में सुबह से सुलगने लगती हैं।
शराब को अधिक नशीली बनाने के लिए यूरिया,धतुरा,नशीली गोलियां आदि तरह-तरह के केमिकल भी मिलाए जाते हैं। अब तक जनपद में दर्जन भर से अधिक लोगों की अवैध शराब को पीने से मौत हो चुकी है। इसके बाद भी आबकारी विभाग इस पर प्रभावी रोक नही लगा पा रहा है। कच्ची शराब के धंधे में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं। जो घर के पुरुषों के साथ शराब बनाने में सहयोग करती हैं।कच्ची शराब बनाने के धंधे को रोकने के लिए समय-समय पर पुलिस और आबकारी विभाग संयुक्त रुप से अभियान चलाते हैं। पर शराब बनाने वाले भी इतने शातिर हैं कि पुलिस पहुंचने से पहले ही इनको भनक लग जाती हैं और यह भट्टी छोड़कर भाग जाते हैं। पुलिस पहुंचकर भट्ठी और लहन को नष्ट करती हैं। चार दिन बाद फिर भट्ठी सुलगने लगती है।ताज्जुब की बात है कि कई दशक से इन्हीं गांवों में कच्ची शराब बनाने का काम चल रहा है पर इस पर प्रभावी रोक के उपाय नही किए गए।
जिला आबकारी अधिकारी चतरसेन का कहना है कि मुख्यालय से सटे गाँवो सहित जहां पर भी अवैध शराब का कारोबार हो रहा है समय समय पर विभागीय निरीक्षकों विनोद कुमार और श्याम गुप्ता की टीमों द्वारा छापेमारे कर अवैध कच्ची शराब की भठियो और मिलने वाले लहन को नष्ट किया जाता है।उन्होंने बताया कि विभाग में स्टाफ की भारी कमी है। विभाग में पांच की बजाय मात्र दो सिपाहियों की तैनाती है।उन्होंने बताया की कच्ची शराब के कारोबार में सर्वाधिक महिलाएं शामिल है,ऐसे में विभाग के पास एक भी महिला सिपाही न होने के कारण भी उनके विरुद्ध प्रभावी तरीके से निरोधात्मक कार्यवाई नहीं हो पाती।उन्होंने स्वीकार किया कि शराब तो तमाम गाँवो में बनती है ,लेकिन जिले के 20 -30 ऐसे गांव है जहाँ शराब का अवैध कारोबार पड़े पैमाने पर फलफूल रहा है। जल्द ही पुलिस फोर्स मिलते ही सम्बंधित चिन्हित ठिकानो पर दबिश देकर कार्यवाई की जायेगी।