Home Sliderखबरेदेशनई दिल्लीविशेष खबर

प्लास्टिक कचरा जीवन में घोल रहा है जहर , प्लास्टिक कचरे से कब मिलेगी मुक्ति?

सुरेश हिन्दुस्थानी,(लेख ): वर्तमान में प्लास्टिक कचरा बढ़ने से जिस प्रकार से प्राकृतिक हवाओं में प्रदूषण बढ़ रहा है, वह मानव जीवन के लिए तो अहितकर है ही, साथ ही हमारे स्वच्छ पर्यावरण के लिए भी विपरीत स्थितियां पैदा कर रहा है। हालांकि इसके लिए समय-समय पर सरकारी सहयोग लेकर गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा जागरण अभियान चलाए जा रहे हैं, परंतु परिणाम उस गति से मिलता दिखाई नहीं देता।

ऐसे में प्रश्न यह है कि गैर सरकारी संस्थाओं के यह अभियान अपेक्षित परणिाम क्यों नहीं दे पा रहे हैं। इसके पीछे की कहानी कहीं केवल कागजी तो नहीं हैं। भारत में कागजों में काम होने की बीमारी लगातार बढ़ रही है। कागजों के आंकड़ों को वास्तविक धरातल पर उतारा जाता है, तो कहीं भी काम दिखाई नहीं देता। प्लास्टिक से मुक्ति के अभियान को गैर सरकारी संस्थाओं ने बलि चढ़ा दी। अगर प्लास्टिक प्रदूषण बढऩे की यही गति बरकरार रही तो एक दिन हमें शुद्ध हवा से वंचित होना पड़ सकता है।

kbn 10 news ....01

हम जानते हैं कि वर्तमान में वायु प्रदूषण के चलते हमारे शरीर में कई प्रकार के विषैले कीटाणु प्रवेश कर रहे हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं और नई-नई बीमारियां जन्म ले रही हैं। भारत में कई बीमारियां केवल गंदगी के कारण हो रही हैं, चाहे वह प्लास्टिक कचरे से उत्पन्न गंदगी हो या फिर इसके कारण जाम नालियों के गंदे पानी से प्रदूषण से पैदा होने वाले वातावरण से पैदा होने वाली गंदगी हो।

प्लास्टिक पॉलीथिन में बहुत से लोग घर का कचरा भरकर बाहर फेंक रहे हैं, जिसे हमारी गौ माता खाती है और हम जाने-अनजाने में गोहत्या का पाप कर रहे हैं। इसके साथ ही बहुत बड़ा सच यह भी है कि प्लास्टिक के सामान रासायनिक पदार्थों के इस्तेमाल के कारण हमें जहर भरे खाना खाने के लिए विवश कर रहे हैं। इसके कारण हमारा स्वास्थ्य विकरालता की ओर जा रहा है। हालांकि हमारे देश में स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन क्या हम जानते हैं कि प्लास्टिक कचरा स्वच्छ भारत अभियान की दिशा में बहुत बड़ा अवरोधक बनकर सामने आ रहा है।

प्लास्टिक कचरे से मुक्ति पाने के लिए भाजपा की छत्तीसगढ़ सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। पहले 2014 में छत्तीसगढ़ की सरकार ने पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाकर इससे मुक्ति का सूत्रपात किया था और अब प्लास्टिक से निर्मित प्रचार सामग्री और खाद्य पदार्थों के लिए उपयोग में लाई जाने वाली डिस्पोजल वस्तुओं पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम सभी राज्यों के लिए एक पाथेय है। हम जानते हैं कि छत्तीसगढ़ क्षेत्र लम्बे समय से पिछड़ा हुआ माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। छत्तीसगढ़ से पिछड़ेपन का यह ठप्पा धीरे-धीरे हटने लगा है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियानों के कारण वहां की जनता में चेतना जगी है। इसका असर दिखाई देने लगा है। 

kbn 10 news ....03

प्लास्टिक कचरे के बारे में यह सबसे बड़ा सच है कि यह वास्तव में आयातित कचरा है। हमारे देश में कागज और कपड़े के बैग ही प्रचलन में रहते थे, लेकिन विदेशियों की नकल करने के कारण हम भी प्लास्टिक का उपयोग करने की ओर प्रवृत होते चले गए। यही प्रवृति आज हमारे देश की सबसे विकराल समस्या बनकर उभर रही है। हमने एक कहावत भी सुनी है कि अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। यह सोच किसी प्रकार से भारतीय संस्कृति का संवाहक नहीं हो सकता। यह सोच विदेशों की नकल है। आज प्लास्टिक कचरे का उपयोग भी कुछ इसी तर्ज पर किया जा रहा है। लोग अपना काम बनाने के लिए प्लास्टिक के सामान का प्रयोग कर रहे हैं।

बाद में यही सामान कचरा बन जाता है, जो जनता के लिए गंभीर समस्याओं को पैदा कर रहा है। कचरा फेंकने वाले लोगों का इतना नहीं मालूम कि यह कचरा हमारे लिए भी समस्या बन रहा है, देश के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर रहा है। इस स्थिति को और आगे बढऩे से रोकने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार ने अभूतपूर्व कदम उठाया है, लेकिन क्या सरकार के कदम उठाने मात्र से यह सफल हो सकेगा। सच्चाई तो यही है कि इसके लिए जनता की भागीदारी भी बहुत मायने रखती है। 

kbn 10 news ....02

वास्तव में जिस देश की जनता अपने देश के प्रति तादात्म्य स्थापित करते हुए कार्य करती है, वह देश बहुत सुंदर और स्वच्छ होता है। हम भारत देश के निवासी हैं। इसलिए हमारे आचरण और कार्य में भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन होना चाहिए। हमारी संस्कृति यही कहती है कि सर्वे भवन्तु सुखिन: अर्थात सभी सुखी हों, लेकिन आज के दौर में हमें यह भी चिंतन करना होगा कि क्या हमारे कार्यों से जनता को सुख की अनुभूति होती है, हम देश को स्वस्थ बनाने के लिए अपनी ओर से कितना योगदान दे रहे हैं, अगर इसका उत्तर नहीं में है तो हमारे अंदर भारतीयता का अभाव है। लोग कितना भी कहें कि हम भारतीय नागरिक हैं, लेकिन जब तक हमारी दिनचर्या में भारतीयता दिखाई नहीं देगी, तब तक हम भारतीय नहीं हैं। आज हम देख रहे हैं कि हम भारत के नागरिक ही जाने- अनजाने में एक दूसरे के लिए समस्याओं का निर्माण करते जा रहे है। 

kbn 10 news ....04

देश में वातावरणीय समस्याओं का प्रादुर्भाव हमारी अपनी देन है, जो जाने या अनजाने में हमने ही पैदा की हैं। हम यह भी जानते हैं कि प्लास्टिक कचरे के कारण जिन बस्तियों में पानी भर जाता है, उसका एक मात्र कारण भी तो हम ही हैं। नालियां जाम होने की वजह से ही ऐसे हालात बन रहे हैं। स्वच्छ हवा प्रदान करने वाले पेड़- पौधे भी प्रदूषित वातावरण का शिकार हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में हमें ताजी हवा कैसे मिल सकती है, आज यह सबसे बड़ा सवाल है। इस सवाल का एकमात्र जवाब यही है कि हमें चैतन्य शक्ति का जागरण करके देश को स्वच्छ वातावरण देने के लिए प्लास्टिक कचरे से मुक्ति पाना है। अगर हम ऐसा कर सके तो यह तय है कि हमारा देश फिर से तरोताजा हवा प्रदान करने वाला देश बन जाएगा। इसके लिए सरकार की योजना में हमें भी पूरी तरह से सहभागी बनना होगा।(हि.स.)।

आगे पढ़े : महिला कैदियों ने रखा करवा चौथ का व्रत, जेल प्रशासन ने की पूर्ण व्यवस्था.

Related Articles

Back to top button
Close