पटना, सनाउल हक़ चंचल-14 जून : पटना। थाने में एफआइआर दर्ज कराने के बाद लोग परेशान रहते हैं कि हुआ क्या? केस वाकई दर्ज हुआ कि नहीं? शिकायत पर कौन सी धारा लगी? आइओ कौन है? जांच कहां तक बढ़ी? इसके लिए लोग थाने का चक्कर लगाते हैं और पुलिस वालों का गुस्सा झेलते हैं।
जुलाई से इसकी नौबत नहीं आएगी। पुलिस वालों के व्यवहार बदलने की गारंटी तो नहीं, लेकिन बिहार के थाने ऑनलाइन होंगे और एफआइआर का अपडेट पब्लिक डोमेन पर आ जाएगा। इससे थोड़ी राहत होगी।
क्या होगा बदलाव
जुलाई से राज्य के कुल 894 थानों में दर्ज होने वाली एफआइआर ऑनलाइन हो जाएंगी। हालांकि थानों में फिलहाल ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की सुविधा फिलहाल नहीं मिलेगी। एफआइआर दर्ज कराने के लिए थाना जाना ही होगी।
राज्य के कुल 1064 थानों को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) से जोड़कर उन्हें ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। मई में राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई वीडियो कान्फ्रेंसिंग में उन्हें जानकारी दी थी कि जुलाई से राज्य के थानों को ऑनलाइन कर दिया जाएगा।
ऑनलाइन मिलेगा अपडेट
राज्य के एडीजी (मुख्यालय) संजीव कुमार सिंघल के मुताबिक जुलाई से दर्ज होने वाली प्राथमिकी में अभियुक्त बनाए बनाए गए लोगों के नाम, उनके खिलाफ लगाई गई धाराएं और पुलिस कार्रवाई के संबंध में जानकारी उपलब्ध होगी। बिहार सरकार ने केंद्र से अपने सभी 1064 थानों को सीसीटीएनएस से जोडऩे के लिए एक साल से भी अधिक का समय मांगा है। इस अवधि में राज्य के सभी थानों को ऑनलाइन कर दिया जाएगा, इसके बाद लोग घर बैठे ही थानों में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करा सकेंगे।
894 थानों को मिली थी स्वीकृति
थानों को ऑनलाइन करने की योजना वर्ष 2009 की है। तब राज्य में केवल 894 थाने ही थे। केंद्र सरकार ने इतने ही थानों को ऑनलाइन करने की इजाजत दी थी। लेकिन उसके बाद राज्य में 170 नए थानों की स्थापना की गई। इन सभी नए थानों को ऑनलाइन करने का कार्य दूसरे चरण में किया जाएगा।