प्रधानमंत्री का जीएसटी पर संसद में भाषण
नई दिल्ली, 01 जुलाई : 30 जून- 01 जुलाई की मध्यरात्रि को संसद के केंद्रीय कक्ष में हुए भव्य कार्यक्रम में जीएसटी को लागू करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक नए युग की शुरूआत कहा। अपने वक्तव्य के दौरान पीएम मोदी ने आचार्य चाणक्य, तिलक और उनके द्वारा लिखी पुस्तक गीता रहस्य, महान वैज्ञानिक आइंस्टिन का भी जिक्र किया। पीएम ने आजादी के पहले से केंद्रीय कक्ष के उन ऐतिहासिक क्षणों को याद किया, वर्तमान भारत की नींव साबित हुए। साथ ही उन्होंने अबतक की देश की यात्रा में योगदान देने वाली महान विभूतियों जैसे सरदार पटेल, बाबा अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, आचार्य कृपलानी को याद किया।
पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी लागू होने के साथ ही एक नए युग की शुरुआत हो गई है। देश अब विकास और उन्नति की एक नई राह पर चल पड़ा है और देश के 125 करोड़ लोग इसके गवाह बन रहे हैं। जीएसटी लागू करने में सफलता किसी एक सरकार की सिध्दी नहीं है, ना ही किसी एक राजनैतिक दल की सिध्दी है, यह तो हम सब की सांझी विरासत है,हमारे सांझे प्रयासों का परिणाम है।
पीएम मोदी ने केंद्रीय कक्ष के ऐतिहासिक क्षणों को याद करते हुए कहा कि इसी स्थान पर 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी, जिसके बाद देश को गणतंत्र बनाने के लिए देशभर के विद्वानों के बीच विचार-विमर्श का लंबा दौर चला था। इसी सदन में 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को देश ने आजाद राष्ट्र के युग में प्रवेश किया था। यहीं 26 नवंबर, 1949 को संविधान को स्वीकार किया गया था। इसीलिए जब आजादी कोे 70 साल बाद देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा-दशा देने का क्षण आया, जब देश के वित्तीय ढांचें को सुदृढ़ संघीय रूप देने का वक्त आया तो इस स्थान से पवित्र स्थान दूसरा कोई और मन-मस्तिष्क में नहीं आया।
संसद में बटन दबाकर राष्ट्रपति, पीएम ने जीएसटी लागू किया
पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह से संविधान को लेकर 2 साल 11 महिनें 17 दिन तक देश के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क विचार विमर्श करते रहे, उसी तरह जीएसटी के लिए भी एक लंबी विचार प्रक्रिया चली। जिसमें यहां मौजूद जीएसटी काउंसिल के सदस्यों ने, सांसदों ने, पूर्व सांसदों ने और उनसे भी पहले इस सदन के सदस्य रहे साथियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन सभी के योगदान के चलते आज जीएसटी कोआपरेटिव फेडरेलिज्म की मिसाल बन गया है। जीएसटी टीम इंडिया के कर्म और शक्ति का परिचायक है।
अपने उद्बोधन में गीता का संदर्भ लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह गीता के 18 अध्याय हैं, उसी तरह जीएसटी की भी ऐतिहासिक 18 बैठकें हुई हैं। जिस तरह लोकमान्य गंगाधर तिलक ने अपनी किताब ‘गीता रहस्य’ में समान लक्ष्य, समान विचार, समान प्रयास की बात की है, जीएसटी को लेकर भी ये पूरी यात्रा ऐसी ही रही। पीएम मोदी ने चाणक्य के सूत्रवाक्य को सामने रखते हुए उस महान अर्थशास्त्री से प्रेरणा लेने की बात स्वीकारी। वहीं सरदार पटेल का जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से आजादी के बाद 500 से ज्यादा रियासतों का एकीकरण कर पटेल ने देश में राजनैतिक एकरूपता की स्थापना की थी, जीएसटी उसी तरह 29 राज्य और 7 केंद्रशासित प्रदेशों के राजस्व ढांचें का एकीकरण कर वित्तीय एकरूपता की स्थापना करने की ओर अग्रसर है।