पालघर जिला : नगर परिषद चुनाव में बीजेपी के मंत्री विष्णु सवरा समेत कई लोगो की अग्निपरीक्षा,
पालघर , केशव भूमि नेटवर्क (8 दिसंबर ) दहानू : उत्तरप्रदेश में हुए नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को भले ही बड़ी सफलता मिली हो लेकिन मुंबई से सटे पालघर जिला के दहानू ,जव्हार नगर परिषद व वाडा में 17 दिस्मबर को होने वाले नगर पंचायत चुनाव में महाराष्ट्र के आदिवासी विकास मंत्री व पालघर जिला के पालक मंत्री विष्णु सवरा ,सांसद चिंतामण वनगा ,बिधायक व बीजेपी के पालघर जिला अध्यक्ष पास्कल धनारे के लिए यह चुनाव अग्निपरीक्षा माना जा रहा है . क्योंकी 15 महीने बाद महाराष्ट्र में होने वाले लोकसभा और बिधान सभा चुनाव में इसका असर सीधा पड़ने वाला है .
चुनाव आयोग ने पालघर जिला में स्तिथ दहानू ,जव्हार नगर परिषद का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद 17 दिस्मबर को चुनाव की तारीख घोषित किया है . साथ ही इसी तारीख को वाडा में भी पहली बार नगर पंचायत का चुनाव होने वाला है . इस चुनाव के लिए बीजेपी ,शिवसेना ,कांग्रेस ,एनसीपी ,बविआ व अन्य पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार कर चुनाव प्रचार में जोर शोर से जुट गए है .
वही यह तीनो चुनाव बीजेपी के महाराष्ट्र के आदिवासी विकास मंत्री व पालघर जिला के पालक मंत्री विष्णु सवरा ,सांसद चिंतामण वनगा ,बिधायक व बीजेपी के पालघर जिला अध्यक्ष पास्कल धनारे के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है .
क्योकि दहानू नगर परिषद बीजेपी के बिधायक व जिला अध्यक्ष पास्कल धनारे के मतदार संघ में आता है. साथ ही यह केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का ससुराल भी है जिसके कारण स्मृति ईरानी यहा हमेशा आती जाती रही है .और जव्हार नगर परिषद बीजेपी के महाराष्ट्र आदिवासी विकास मंत्री व पालघर जिला के पालक मंत्री विष्णु सवरा का मतदार संघ है . जबकि वाडा नगर पंचायत में मंत्री जी का घर है .
देखा जाय तो जव्हार ,दहानू नगर परिषद पर काफी सालो से एनसीपी का कब्जा है . और इस बार इन नगर परिषद में सीधा नगराध्यक्ष का चुनाव हो रहा .जहा दहानू में भरत राजपूत और जव्हार में भरत पाटिल बीजेपी से नगराध्यक्ष चुनाव लड़ रहे है. जिनका एनसीपी और शिवसेना के नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवारों से काटे की टक्कर मानी जा रही .खास बात यह है की वाडा नगर पंचायत चुनाव में मंत्री विष्णु सवरा की पुत्री निशा सावरा नगराध्यक्ष चुनाव लड़ रही है .
जिसके कारण यह चुनाव बीजेपी के इन नेतावो के लिए अग्निपरीक्षा मानी जा रही है . साथ ही करीब 15 महीने बाद महाराष्ट्र में होने वाले लोकसभा और बिधान सभा चुनाव में इसका असर सीधा पड़ने वाला है .