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पालघर जिला : कोर्ट से दहानू चुनाव अधिकारी को झटका ,उम्मीदवारों को मिला चुनाव लड़ने का ग्रीन सिग्नल .

केशव भूमि नेटवर्क , दहानू (7 दिसम्बर ) : पालघर कोर्ट व हाईकोर्ट ने दहानू चुनाव अधिकारी आंचल गोयल को झटका देते हुए सभी उम्मीदवारों को सही ठहराते हुए उन्हें  चुनाव लड़ने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया है .

 दहानू नगर परिषद में 13 दिसम्बर को होने वाले चुनाव में चुनाव लड़ने के लिए दहानू के इन उम्मीदवारों ने उम्मीदवारी फार्म भरा था .लेकिन फार्म जांच के दौरान चुनाव अधिकारी आंचल गोयल 31 उम्मीदवारों के फार्म रद्द कर दिया था . चुनाव आधिकारी के रवैये से नाराज एनसीपी के उम्मीदवार नगरसेवक राजेन्द्र माच्छी ,रानी पवार ,कांग्रेस के उम्मीदवार नगर सेवक सईद शेख ,नैनेश्वर चौधरी , बीजेपी के उम्मीदवार यसवंत कडू . शिवसेना के दीपक कडवी ने पालघर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पालघर कोर्ट ने इनके मामले व वकीलों की दलील सुनने के बाद चुनाव अधिकारी को फटकार लगाते हुए इन्हें चुनाव लड़ने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया .लेकिन कांग्रेस के नगर सेवक सईद शेख का मामला रिजेक्ट कर दिया .जिसके बाद सईद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहा कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया कोर्ट का फैसला आने के बाद सभी उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर गए .

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 वही इनके वकील सुधीर गुप्ता व दहानू के लोगो का कहना है कि पालघर के कलेक्टर ने जिस अधिकारी को दहानू का चुनाव अधिकारी बनाया है . उन्हें चुनाव के कानून का अनुभव नही है वह अपनी मनमानी करती है . और चुनाव अधिकारी ने 31 लोगो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है .पालघर के कलेक्टर प्रशांत नारनवरे को अनुभवी चुनाव अधिकारी को दहानू में तैनात करना चाहिए था और उनके सहयोग में आंचल गोयल को लेकिन उन्हों ने ऐसा नही किया .

 साथ ही उन्हों ने कहा की चुनाव एक लोकतंत्र त्यौहार होता है जो पांच साल में एक बार आता है.चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार कई सालो से उम्मीद लगाकर बैठे रहते है .और जब चुनाव आता है तो ऐसे बिना अनुभव के चुनाव आधिकरी चंद मिनटों उनके अरमानो पर पानी फेर देते है . यह उम्मीदवार सक्षम थे इस लिए उन्हें कोर्ट से न्याय मिल गया लेकिन जो उम्मीदवार सक्षम नहीं है उन्हें कौन न्याय देगा .चुनाव एक ऐसा त्यौहार जिसमें मतदाता अपने नेताओं के प्रति अपना गुस्सा या ख़ुशी जाहिर करके अपने मनपसंद उम्मीदवार को चुन सकते है.लेकिन अनुभव बिहीन आधिकारियो के कारण उनका सपना सपना रह जाता है .ऐसे में सही तरीके से चुनाव होगा इस बात की गारंटी कौन लेगा .  

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