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पालघर : ‘’कवी’’ को लेकर पालघर कलेक्टर ऑफिस पर मछुवारों का मोर्चा, खूनी संघर्ष के बाद भी सरकार की नहीं खुली आंख

केशव भूमि नेटवर्क ,पालघर,14 जनवरी  :मुंबई से सटे पालघर जिला के दमन से दातिवरे के मछुवारों ने ‘’दमन ते दातिवरे मच्छिमार धंदा संरक्षण समिति’’ के बैनर तले पालघर कलेक्टर ऑफिस पर मोर्चा निकाल कर अरब समुन्द्र में पर्सनेट और ‘’कवी’’ तरीके से मछली पकड़ने का विरोध करते हुए इसे तुरंत बंद करने की मांग करते हुए अपना रोष प्रगट किया .

बता दे की अरब समुंद्र में पालघर जिला के मछुवारो द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरिक तरीके से मछली पकड़ने का व्यवसाय चला आरहा है . लेकिन पिछले कुछ सालो से वसई,उत्तन ,अर्नाला,मढ़ व आस पास के कुछ मछुवारे लावादा के निर्णय को ताख पर रख कर वसई से लेकर दमन तक  ‘’कवी’’ तरीके से मछली पकड़ने का काम कर रहे है .

 जिसके कारण परंपरिक तरीके से मछली पकड़ने वालो को मछलिया नहीं मिल रही है .जिसे देखते हुए मछुवारो ने अपनी कुछ संघटना की सहयता से प्रशासन से इसकी शिकायत भी किया है. लेकिन शिकायत मिलने के बाद प्रशासन की तरफ से कोई उचित कदम नहीं उठाये जाने के कारण मछुवारो ने पालघर कलेक्टर ऑफिस पर मोर्चा निकाल कर ‘’कवी’’ तरीके मछली पकड़ने का विरोध करते हुए इसे तुरंत बंद करने की मांग करते हुए कहा की अगर इस तरीके को जल्द से जल्द बंद नही किया गया तो आने वाले समय में हम तीव्र आन्दोलन करेंगे .

साथ ही उनका कहना था की समुन्द्र के किनारे बसे मछुवारों को उनके घर,जमीन का सातबार प्रशासन के निर्णय अनुसार तुरंत उनके नाम किया जाय , मत्सव्यवसाय खाते के तरफ से मछुवारो द्वारा खरीदी किया गया डीजल का सब्सिडी तुरंत दी जाए,मछली बेचने वाली महिलाओ को मछली बेचने के लिए मार्किट बनाया जाय ऐसे अन्य कई मांगो को लेकर मोर्चा निकाला गया था।इस मोर्चे में महिलाओ समेत बड़ी संख्या में मछुवारे मौजूद थे .

क्या है मछली पकड़ने का ‘’कवी’’ तरीका

समुंद्र के अंदर बोंबील ,पापलेट मछली पकड़ने के लिए ‘’कवी’’ तरीके का प्रयोग किया जाता है .इस तरीके से समुंद्र के अंदर करीब 20 से 60 लकड़े का टुकड़ा व लोहे का एंगल समुंद्र में गाड  करके उसमे दो खंबे में डोल नेट तरीके से जाल लगाया जाता है साथ ही इसमें 30 से 40 फिट लम्बा डोरी में तरंगते फ्लोट्स लगया जाता है .जिसके सहायता से कम समय में ज्यादा मछलिया पकड़ी जाती है .और एक नाव के मालिक करीब करीब 30 से 40 ‘’कवी’’ लगाकर रखते है .

लावादा के तहत हुआ समझौता ताख पर ….

मछुआरों के कुछ नेताओं का कहना है की 1980 के दरमियान वसई तहसील के कुछ मछुवारो द्वारा दातिवरे ,वडराई ,सातपाटी गांव के सामने समुंदर के अंदर खुटा गाड़ कर अतिक्रमण किया गया था जिसके कारण इस क्षेत्र के मछुवारों के साथ एक बड़ा संघर्ष  हुआ था।

उसके बाद 1982 में पालघर तहसील व आस पास के करीब 28 गांव के लोगो ने मिलकर (लवादा ) नियुक्त करके सबके सहमति से निर्णय लेते हुए वसई ,अर्नाला ,क्षेत्र के मछुवारों को दातिवरे ,वडराई ,सातपाटी  गांव के क्षेत्र को छोड़कर बाहर के क्षेत्र में ‘’कवी’’ तरीके से मछली पकड़ने का आदेश  दिया गया था।जिसके बाद सभी मछुवारे लवादा द्वारा लिये गए निर्णय का पालन करते आरहे है । लेकिन वसई तहसील के उत्तन ,अर्नाला , मढ़ व आस पास क्षेत्र के कुछ मछुवारे लावादा के निर्णय को ताख पर रख कर धीरे धीरे दीव – दमण तक अपना जाल बिछा रखा है।

वही 2004 में सातपाटी के मछुवारों ने सातपाटी गांव के सामने समुन्द्र के अंदर 329 डिग्री क्षेत्र में करीब 42.5 नॉटिकल अंदर डाले गए जाल को निकालने आदेश दिया था. जिसके बाद वसई तहसील के कुछ मछुवारो ने मुंबई हाईकोर्ट का दरवाजा खट खटाते हुए इस मामले को लाकर कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया था .मुंबई हाई कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को इस पर कानून बनाने का आदेश दिया था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद भी करीब 15 साल बीत जाने के बाद भी सरकार इस पर कोई कानून नही बना पाई है. जिसके कारण ‘’पर्सनेट’’ और ‘’कवी’’ तरीके से मछली पकड़ने वालो के हौसले बुलंद है.

हालांकि की देखा जाए तो ‘’पर्सनेट’’ और ‘’कवी’’ तरीके से मछली पकड़ने के तरीके को लेकर अरब समुंद्र के अंदर कई बार मछुआरों में खूनी संघर्ष हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार की अभी तक आंख नहीं खुली है.

 

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