पालघर और विदर्भ के गोंदिया – भंडारा लोकसभा उपचुनाव में CM देवेंद्र फडणवीस का होगा बड़ा इम्तहान, बविआ देगी कड़ी चुनौती, राजनितिक सरगर्मिया हुई तेज
मुंबई ,24 फ़रवरी : विदर्भ के गोंदिया – भंडारा के बीजेपी सांसद नाना पटोले के इस्तीफा देने और इधर पालघर के बीजेपी सांसद चिंतामण वनगा के निधन से रिक्त हुई लोकसभा की दो सिट के उपचुनाव होने है .बीजेपी छोड़कर पटोले ने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है .कांग्रेस –एनसीपी समझौते में यह सिट एनसीपी की है और चुनाव में यहां के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल की इच्छा से ही उम्मीदवार तय होगा .
पटोले लोकसभा का उपचुनाव नहीं लड़ेंगे .वे दावा कर रहे है कि प्रत्याशी उनकी मर्जी से उतारा गया तो सिट कांग्रेस के खाते में डाल देंगे .उधर पालघर लोकसभा सिट पर भी उप चुनाव को लेकर सरगर्मिया तेज हो गई है .
वही पालघर लोकसभा सिट पर होने वाले उपचुनाव में बुलट ट्रेन ,रेलवे कैरिडोर ,बडौदा –मुंबई एक्सप्रेसवे ,जैसे अन्य प्रोजेक्ट के मुवाबजे को लेकर नाराज चल रहे किसान को देखते हुए व 1.5 लाख बढे नए मतदाता को देखते हुए बीजेपी की राह आसान नहीं दिखाई दे रही है .इस उप चुनाव में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है .
उपचुनाव को लेकर राजनितिक सरगर्मिया हुई तेज..
बता दे की पालघर लोकसभा सिट से बीजेपी के टिकट पर चुनकर आये सांसद चिंतामण वनगा का 30 जनवरी को दिल का दौरा पड़ने से दिल्ली में निधन हो गया था. अभी चिंतामण वनगा के चिता की आग ठंडी भी नहीं हुयी थी की पालघर लोकसभा सिट पर उप चुनाव को लेकर राजनितिक सरगर्मिया तेज हो गई .
जहा कांग्रेस ,बविआ व अन्य दूसरी पार्टी के नेता अंदर ही अंदर चुनाव लड़ने के लिए अपनी अपनी पार्टी से टिकट पाने व चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं , वही चिंतामण वनगा के परिवार की तरफ से उसी दिन उनके बेटे श्रीनिवास को उनका वारिस घोषित कर दिया गाय .इसे देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है की राजनितीक पार्टिया इस उप चुनाव को लेकर कितनी जल्दबाजी में है .हालांकि सवाल किये जाने पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है .
2008 के परिसीमन में पालघर बना नया लोकसभा सिट ..
देखा जाय तो 2008 के परिसीमन में उत्तर –मुंबई से अलग होकर बने पालघर लोकसभा सिट पर 2009 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में बविआ के बलराम जाधव ने बीजेपी के चिंतामण वनगा को हराकर इस सिट पर कब्ज़ा कर लिया था .इस चुनाव में बलराम जाधव को 223234 वोट और चिंतामण वनगा को 210874 वोट मिले थे .लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में चल रहे मोदी लहर के कारण यह चित्र बदल गया .
इस चुनाव में बीजेपी के चिंतामण वनगा ने बविआ के बलराम जाधव को 239,520 वोट से हराकर इस सिट पर जित हासिल कर लिया .देखा जाय तो मोदी लहर में भी बविआ के बलराम जाधव का जनाधार बढ़ा है जो बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है .इस चुनाव में बीजेपी को 533201 और बविआ के जाधव को 293681,सीपीएम के खरपडे लाडक्या रूपा को 76890 वोट मिले थे .इस चुनाव में बीजेपी –शिवसेना और बविआ,कांग्रेस ,एनसीपी गठबंधन करके चुनाव लड़े थे .
बढे मतदाताओ का निर्णय होगा महत्वपूर्ण …
2014 के चुनाव में मतदाताओ की संख्या करीब 15 लाख 78 हजार थी. लेकिन होने वाले इस उप चुनाव में करीब 1.5 लाख बढे नए मतदाताओ के कारण अब यह संख्या 17 लाख 24 हजार तक पहुंच गई है .इस उप चुनाव में बढ़े हुए मतदाताओ के निर्णय काफी महत्वपूर्ण होंगे.
बविआ देगी कड़ी चुनौती..
देखा जाय तो 2014 चुनाव में मोदी की लहर होने के बाद भी बहुजन विकास आघाडी (सिटी ) के मतदाताओ में कोई कमी नहीं आई हैं , उल्टा उसका जनधार बढ़ा . साथ ही बविआ के अध्यक्ष और बिधायक हितेंद्र ठाकुर भी वसई – विरार और पालघर में अपना गढ़ बचाने और अपनी खोयी हुयी पालघर लोकसभा सिट को फिर से हासिल करने के लिए कड़ी चुनौती देने के लिए तैयारी में जुट गए है .वही कांग्रेस –राष्ट्रवादी कांग्रेस का कहना है की पालघर और विदर्भ के गोंदिया – भंडारा की दोनो सीटों के परिणाम भविष्य की राजनितिक का ट्रेंड तय करेंगे .
किसानो की नाराजगी बीजेपी को पड़ सकती है मंहगी .
केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार आने के बाद पेशा कानून के अंतर्गत आने वाला पालघर जिला की जनता को बीजेपी सरकार से काफी उम्मीदे थे की यह सरकार पालघर जिले में विकास करेगी बेरोजगार युवाओ को रोजगार मिलेगा. लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे लोगो के सपनो पर पानी फिर गया और लोगो का बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी बढती गई .
पालघर जिला में चल रहे बुलट ट्रेन ,रेलवे कैरिडोर ,बडौदा –मुंबई एक्सप्रेसवे ,जैसे अन्य प्रोजेक्ट के लिए सरकार द्वारा किसानो की जमीन ली जा रही है .साथ ही सूर्या प्रकल्प से किसानो का पानी विरार –वसई शहर व मिरारोड़ –भाईंदर महानगर पालिका को दिया गया है . जिसका विरोध करते हुए नाराज आदिवासी किसान व अन्य किसानो ने कई बार पालघर कलेक्टर ऑफिस पर मोर्चा निकालकर अपना रोष भी प्रगट किया है . उनका कहना है की सरकार हमें बिना उचित मुवाबजा दिए जबरदस्ती हमारे जमीन को हड़प कर रही हैं .
सरकार अपने फायदे के लिए इस प्रोजेक्ट को लगने वाली जमीन को पेशा कानून से अलग कर दिया है , जबकी पेशा कानून के तहत कोई भी जमीन लेने से पहले ग्राम सभा की मंजूरी जरुरी होती है .मिरारोड़ –भाईंदर महानगर पालिका में हुए चुनाव में देवेन्द्र फड़नवीस ने अपना वचन पूरा करने के लिए सूर्या प्रकल्प से 182.83 दलघमी हमारे पानी को इन महानगर पालिकाओ को दे दिया .
बीजेपी सरकार के प्रति लोगो की चल रही नाराजगी को देखते हुए इस उप चुनाव की राह बीजेपी के लिए आसान नहीं दिखाई दे रही है .इस नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है जिसे विरोधी पक्ष के नेता चुनावी मुद्दा बना सकते है .जिसे देखते हुए यह उप चुनाव बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है .