इस्लामाबाद, 11 अगस्त : पाकिस्तान की ‘मदर टेरेसा’ कही जाने वाली जर्मन डॉ. रूथ फॉ का काराची के एक निजी अस्पताल में गुरुवार को निधन हो गया। वह 87 साल की थीं। वह 1960 में पाकिस्तान आईं थीं। यहां कुष्ठ से पीड़ित लोगों के दर्द को देखकर उनका हृदय पिघल गया था, जिसके बाद उन्होनें उनके उपचार के लिए यहीं बसने का फैसला लिया था।
स्थानीय टीवी चैनल के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने डॉ. फॉ की तारीफ करते हुए कहा कि वह भले ही जर्मनी में पैदा हुई थीं, लेकिन उनका दिल हमेशा पाकिस्तान में रहा। साथ ही यह भी कहा कि वह यहां कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों का जीवन बेहतर बनाने आई थीं। ऐसा करते हुए वह यहीं की होकर रह गईं।
विदित हो कि डॉ.फॉ का जन्म 1929 में जर्मनी के लिपजिक शहर में हुआ था 1939 के द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बमबारी में उनका घर तबाह हो गया था। मेडिसीन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें दक्षिण भारत जाने के लिए कहा गया, लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें कराची में ही रुकना पड़ा।
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उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनका पहला मरीज एक युवा पठान था जो घिसटते हुए उनकी डिस्पेंसरी में आया था और उसी ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया था। कुष्ठ रोग उन्मूलन के क्षेत्र में उत्कष्ट कार्य करने के लिए उन्हें कई बार पाकिस्तान और जर्मनी में सम्मानित भी किया गया था।