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पाक पीएम को बिपिन रावत का करारा जवाब, एक कदम तो सकारात्मक चलकर दिखाइए

नईदिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दोस्ती में हिंदुस्तान एक कदम आगे बढ़ाएगा तो मैं दो कदम बढ़ाऊंगा. सेना प्रमुख ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ वे (पाकिस्तान) एक कदम भी सकारात्मक रूप से उठाकर तो दिखाएं. हम भी जमीनी स्तर पर देखेंगे कि उसका क्या प्रभाव पड़ता है. आर्मी चीफ ने यह भी कहा कि जब तक पाक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाता है तब तक हमारे देश की नीति स्पष्ट है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने साफ कहा था कि अगर पाकिस्तान बातचीत चाहता है तो उसे पहले आतंकवाद पर रोक लगानी होगी. दरअसल, पड़ोसी देश के सार्क सम्मेलन में भारत को न्योता देने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दो टूक कहा था कि आतंक रोकने तक बातचीत नहीं हो सकती है. यहां एक प्रेस वार्ता में शुक्रवार को सेना प्रमुख ने भी पाकिस्तान को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने खुद को इस्लामिक देश बना लिया है. अगर उन्हें भारत के साथ मिलकर रहना है तो खुद को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में उभारना होगा. हम धर्मनिरपेक्ष देश हैं. अगर वे हमारी तरह बनते हैं, तभी वह इसके लिए (बातचीत) कोई मौका देख सकते हैं.

पाक प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए थल सेना प्रमुख रावत ने कहा कि वे (पाक) कह रहे हैं कि आप एक कदम बढ़ाइए तो हम दो कदम बढ़ाएंगे. पर, वे जो कह रहे हैं उसमें विरोधाभास साफ है. उनकी तरफ से एक कदम भी सकारात्मक रूप से उठाया जाना चाहिए, हम भी जमीनी स्तर पर देखेंगे कि उसका क्या प्रभाव पड़ता है. तब तक हमारे देश की नीति स्पष्ट है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते.

अभी महिलाओं को फ्रंटलाइन काम्बैट रोल की जिम्मेदारी नहीं

इस दौरान सेना में महिलाओं की भागीदारी पर रावत ने कहा कि आप सैन्य बलों में महिलाओं की भूमिका में बढ़ोतरी देखेंगे. हमने अभी उन्हें फ्रंटलाइन काम्बैट रोल की जिम्मेदारी नहीं सौंपी है. हमें लगता है कि हम इसके लिए अभी तैयार नहीं हैं. इसे लेकर पश्चिमी देश ज्यादा खुले हुए हैं. यहां बड़े शहरों में लड़के-लड़कियां साथ में काम कर रहे हैं, लेकिन सेना में लोग सिर्फ बड़े शहरों से नहीं आते हैं.

महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन पर विचार

सेना प्रमुख ने आगे कहा, हम महिलाओं को स्थायी रूप से कमीशन किया जा सके, इस पर विचार कर रहे हैं. कुछ क्षेत्र हैं जहां स्थायी नियुक्तियों की जरूरत है. कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां हम स्थायित्व चाहते हैं और पुरुष अधिकारी हर जगह फिट नहीं हो सकते. ऐसे में भाषा अनुवादक या सैन्य कूटनीति जैसे क्षेत्र में महिला अधिकारियों की तैनाती लाभदायक है. हम इस पर विचार कर रहे हैं.

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