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पर्यावरण नियमों का उल्लघंन , नेशनल ग्रीन ट्रिबनल कोर्ट की कार्रवाई,वसई-विरार पालिका को 80 करोड़ का दंड

नालासोपारा(आर एन सिंह)  पर्यावरण नियमों का उल्लघंन का उल्लंघन करने के जुर्म  नेशनल ग्रीन ट्रिबनल कोर्ट ने  कार्रवाई करते हुए वसई-विरार पालिका को 80 करोड़ दंड और प्रतिदिन 10 लाख 50 हजार रूपये का जुर्माना लगाया हैं .

    विरार, डंपिग व्यवस्थापन, दूषित जल निवारण, वायु प्रदुषण और समुद्र किनारे आदि के पर्यावरण नियंत्रण को लेकर वसई-विरार शहर महानगर पालिका पूरी तरह से असफल होती दिखाई दे रही है| पर्यावरण नियंत्रण व उसके व्यवस्थापन की नाकामी को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रीबनल कोर्ट ने वसई-विरार पालिका को मई 2019 से प्रतिदिन 10लाख 50 हजार रूपये का दंड लगाया है, जिसके कारण दंड की राशी बढ़कर 80 करोड़ रूपये तक जा पहुँचा है| वसई-विरार शहर महानगर पालिका क्षेत्र में पालिका ने पर्यावरण का सर्वनाश किया है| शहर से प्रतिदिन निकलने वाले सैकड़ों टन कचरे को बिना किसी प्रक्रिया के कचरा डंपिंग करना, शहर में पर्यावरण की कोई व्यवस्था नहीं और इसी तरह से शहरों से निकलने वाले दूषित जल को सीधे तौर पर समुद्र में छोड़ने आदि तीन प्रमुख मुद्दों पर ग्रीन रिफ्लेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष चरण भट्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिबनल कोर्ट में एक विविसिएमसी के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गयी थी|

12 जुलाई 2021 को इस याचिका की कोर्ट की ओर से सुनवाई की गयी, जिसमें वसई-विरार महापालिका क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी, डंपिग व्यवस्था और वायु प्रदुषण रोकथाम को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाने की बात कही गयी, जिसके कारण वसई-विरार शहर महानगर पालिका को मई 2019 से प्रतिदिन 10 लाख 50 हजार रूपये का दंड के रूप में जुर्माना लगाया गया है| मई 2019 से अब तक दंड की रकम बढ़कर 80 करोड़ रूपये के आसपास हो गयी है| वही पर्यावरण नियमों के उल्लघंन को लेकर कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदुषण नियंत्रण मंडल से उक्त संबंधी व्यवस्थापनों को लेकर स्पष्टीकरण करने की बात कही गयी है| और जिलाधिकारी और राज्य के मुख्य सचिव को गंदे पानी, कचरा डंपिग और वायु प्रदुषण को लेकर युद्धस्तर पर रुपरेखा बनाकर एक्शन प्लान तैयार करने का आदेश दिया गया है| नेशनल ग्रीन ट्रिबनल कोर्ट की ओर से मंडल को उक्त स्थान की छानबीन कर पूरी जानकारी प्रस्तुत करने का सूचना दिया गया है| पालिका शहरों के गंदे पानी प्रक्रिया योजना के लिए रिजर्व 12 स्थानों और उस पर हुए अतिक्रमण पर कार्रवाई करने के लिए कोर्ट ने संबंधित प्रशासन को आदेश दिया है|

याचिका की सुनवाई के दरम्यान नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कामकाज को लेकर खरी खोटी भी सुनाई गई। पालिका की ओर से शहरों से निकलने वाले मल-मूत्र व गंदे पानी को किसी प्रक्रिया के बगैर ही छोड़ दिया जाता है, जिसके कारण पर्यावरण का काफी क्षति होती है। वर्ष 2019 में सूचना अधिकार-2005 के तहत एक जानकारी मांगी गयी थी, जिसमें पालिका शहरों से प्रतिदिन 185 एमएलडी गंदा पानी छोड़ा जाता है। शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले गंदे पानी को बगैर किसी प्रक्रिया के ही वसई की खाड़ी, अरब सागर और वैतरणा कि खाड़ी में छोड़ने से बड़े पैमाने पर जल प्रदूषण होता है। इसी तरह 15 लाख टन कचरा प्रतिदिन बिना किसी प्रक्रिया के ही डंपिंग किया जाता है।

डंप कचरों में रासायनिक क्रिया होने आग लगती है और उसका जहरीला गुबार पालिका क्षेत्र के 15 किमी दूर तक फैलता है, जिसके कारण वायु प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण मापने के लिए पालिका ने एक भी यंत्र स्थापित नहीं किया है। वर्ष 2015 से पालिका ने पर्यावरण संबन्धी कोई जानकारी तैयार नहीं किया गया है। पालिका द्वारा पर्यावरण की अनदेखी करने के कारण आज की स्थिति काफी पर्यावरण को लेकर काफी विषम हो गयी है। वसई-विरार शहर महानगर पालिका के लिए गंदे पानी प्रकल्प के लिए रिजर्व भूमि पर कोई योजना को क्रियान्वित नहीं करने के कारण उस पर अतिक्रमण किया जा चुका है। याचिका की अगली सुनवाई अक्टूबर माह में होने वाली है।

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