नहीं रही अभिनेत्री रीमा लागू , दिल का दौरा पड़ने से निधन
मुंबई, 18 मई = मराठी रंगमंच से लेकर हिन्दी और मराठी फिल्मों और टेलीविजन में अभिनय का लंबा सफर तय करने वाली अभिनेत्री रीमा लागू का गुरुवार को मुंबई में देहांत हो गया। वे 59 साल की थीं।
बुधवार को देर शाम रीमा लागू को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अंधेरी के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक, तड़के 3:30 बजे के आसपास उनको दिल का दौरा पड़ा और डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा पाए। उनके शोकाकुल परिवार में एक बेटी मरुमई लागू हैं। खबरों के मुताबिक, अंधेरी में गुरुवार शाम को उनका अंतिम संस्कार होगा। रीमा लागू के निधन पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से शोक जताया गया है। अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार सहित बॉलीवुड के कई सितारों ने दुख जताते हुए दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है।
रीमा लागू का जन्म तीन फरवरी 1958 को पुणे में हुआ था। उनकी मां मंदाकिनी भाड़ढाबे मराठी रंगमंच से जुड़ी हुई थीं और कई मराठी नाटकों का हिस्सा रही थीं। मां के पदचिन्हों पर चलते हुए रीमा ने स्कूली पढ़ाई के दिनों से ही मराठी नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। 80 के दशक में रीमा की शादी मराठी अभिनेता विवेक लागू से हुई, जिससे उनकी बेटी मरुमई हैं। शादी के कुछ सालों बाद उनके वैवाहिक जीवन में अलगाव हो गया था।
फिल्मों में रीमा का सफर 1979 की मराठी फिल्म ‘सिंहासन’ से शुरू हुआ था। अगले साल 1980 में उनको बतौर निर्माता शशि कपूर की फिल्म ‘कलियुग’ में रीमा को हिन्दी फिल्मों में पहला मौका मिला। गोविंद निहलानी की फिल्म ‘आक्रोश’ में काम करने के बाद रीमा लागू को पहली पहचान आमिर खान और जूही चावला की फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ से मिली, जिसमें वे जूही की मां के रोल में थी। इसके बाद सलमान खान की फिल्म ‘मैनें प्यार किया’ में वे उनकी मां के रोल में नजर आईं और यहां से उनको उस पीढ़ी के युवा सितारों की मां के रोल मिलने का सिलसिला शुरू हो गया।
1980 से लेकर 2016 तक अपने लम्बे सफर में रीमा ने बॉलीवुड में ग्लैमरस मां की छवि के साथ तमाम बड़ी फिल्मों में काम किया, जिसमें करण जौहर की ‘कुछ कुछ होता है’, राजश्री की ‘हम आपके हैं कौन’, संजय दत्त-सलमान की फिल्म ‘साजन’ के नाम प्रमुख रहे। फिल्मों में रीमा को सलमान खान की मां की सबसे बड़ी पहचान मिली। ‘मैंने प्यार किया’ के बाद रीमा ने कई फिल्मों में सलमान की मां का रोल किया। उनके करियर में महेश मांजरेकर की फिल्म ‘वास्तव’ में संजय दत्त की मां के किरदार को काफी चुनौती भरा माना गया और इसकी तुलना ‘मदर इंडिया’ के नरगिस के किरदार से की गई, क्योंकि दोनों में मां अपने बेटे को गोली मारकर उसे मौत देती है।
फिल्मों के अलावा रीमा लागू का छोटे परदे पर भी लंबा सफर रहा। 1985 में रमेश सिप्पी के धारावाहिक ‘खानदान’ से उनके छोटे परदे का सफर शुरू हुआ और पहली सफलता 1994 के सीरियल ‘श्रीमान श्रीमती’ से मिली। इसके अलावा ‘तूतू मैं मैं’ (सास-बहू की नोकझोंक) में उनको बहुत पसंद किया गया। महेश भट्ट लिखित स्टार प्लस का’ नामकरण’ रीमा का आखिरी टेलीविजन का शो रहा।