देश में पहली बार बालकों के यौन शोषण पर कराया जाएगा शोध
नई दिल्ली (ईएमएस)। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बाल यौन शोषण के मामलों में लड़कों के यौन शोषण और दुष्कर्म पर भी लड़कियों जैसे ही कड़े कानून बनाने की पैरवी की है। उन्होंने इसके लिए मौजूदा कानून में संशोधन की सिफारिश की है। उन्होंने यौन शोषण के शिकार छोटे लड़कों पर एक शोध किए जाने की भी घोषणा की है। यह अपनी तरह का पहला शोध होगा। मेनका गांधी ने यह बातें फिल्मकार इन्सिया दरीवाला की चेंज ओआरजी पर बालकों के यौन शोषण पर दायर याचिका के जवाब में कहीं। उन्होंने कहा कि बाल यौन शोषण का सबसे दरकिनार हिस्सा यौन शोषण के शिकार बालक हैं।
बालक जीवन भर इस पर मौन धारण किए रहते हैं, क्योंकि यह कलंक और शर्म उन्हें इस बारे में बोलने से रोकती है। यह एक गंभीर समस्या है और इसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस याचिका पर बाल अधिकारों के संरक्षा के राष्ट्रीय आयोग (एनसीपीसीआर) को सितंबर, 2017 में निर्देश दिए थे कि वह इस शोषण के शिकार बालकों के मुद्दों को देखें। विचार-विमर्श के बाद फैसला किया गया है कि सीएसए के पीड़ितों की मौजूदा योजनाओं संशोधन करके यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म के शिकार बालकों को मुआवजा दिलाया जाए। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर एक सम्मेलन के दौरान देश भर में 160 पीड़ित बालकों पर दरीवाला के एक प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया है कि यौन शोषण के शिकार बालकों और महिलाओं व बच्चों के प्रति बढ़ती हिंसा में संबंध है।
इसी शोध के आधार पर एनसीपीसीआर ने इन्सिया को एड्रियन फिलिप्स ऑफ जस्टिस एंड केयर की सहायता से बालकों के यौन उत्पीड़न पर एक बड़ा शोध करने को कहा है। यह शोध निरीक्षण गृहों और स्पेशल नीड होम्स से शुरू किया जाएगा। फरवरी, 2018 में मंत्रालय ने यह घोषणा भी की है कि यौन शोषण के शिकार बालकों को वयस्क होने पर भी मदद की जरूरत पड़ती है। लिहाजा, वह कनाडा में बसी वैज्ञानिक पूर्णिमा गोंविंदाजुलु की चेंज ओआरजी की याचिका पर अपने दुष्कर्मी के बारे में रिपोर्ट कर सकते हैं।