देश के एकमात्र रावण मंदिर के 364 दिन बाद खुले पट, रावण की मूर्ति की पूजा आरती कर दशहरे का पर्व मनाया गया .
कानपुर, 30 सितम्बर : दशहरा का त्योहार में वैसे तो पूरे देश में रावण का पुतला जलाया जाता है लेकिन कानपुर में आज दशहरे में सबसे पहले रावण के मंदिर के पट खुलते हैं और वहां स्थापित रावण की मूर्ति की पूजा आरती कर दशहरे का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यहां पर रावण की पूजा भगवान के रूप में करने वालों की भीड़ जुटती है।
पूरे देश में विजयदशमी में रावण का प्रतीक रूप में वध कर उसका पुतला जलाया जाता है,लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद में एक ऐसी जगह है, जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं यहां पूजा करने के लिए रावण का मंदिर भी मौजूद है। जो केवल वर्ष में एक दिन के लिए दशहरे के मौके पर खोला जाता है और रावण जलने से पहले मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
शिवाला में है मंदिर
कानपुर जिले के बीचो-बीच कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित शिवाला मोहल्ले में यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराने कैलाश मंदिर परिसर में हैं। मंदिर के पुजारी पं. केके तिवारी ने बताया कि विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधि-विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया। उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की गई। पूजा अर्चना के बाद मंदिर के पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिये गये। पुजारी ने कहना है कि, रावण ब्राह्मण के साथ विद्वान थे और वो भगवान शंकर का भक्त था। इसलिए उनकी पूजा साल में एक बार की जाती है। यह मंदिर 1868 में स्थापित हुआ था। इस मंदिर में महिलायें तरोई के फूल चढ़ती है। इसके पीछे मान्यता है कि इससे उनके पति की आयु लम्बी होती है।
मंदिर में दर्शन करने आये श्रद्धालु अभिषेक मिश्रा ने बताया कि रावण एक महान ब्राह्मण थे। उनकी पूजा से ज्ञान वृद्धि होती है। उनके मंदिर में शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। शुद्ध खोये की मिठाई चढ़ाई जाती है। जिससे वह प्रसन्न हो भक्तों की हर इच्छायें पूर्ण करते हैं।(हि.स.)।
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