देहरादून, 03 फरवरी (हि.स.)। देश की प्रगति के लिए बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देना आवश्यक है। बच्चों में विज्ञान के प्रति रूचि जागृत कर उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित की जाए। राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने झाझरा स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र (विज्ञान धाम) की दूसरी वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। इस अवसर पर विज्ञान धाम में ही राज्यपाल ने जैव विविधता उद्यान का भी उद्घाटन किया।
राज्यपाल ने जैव विविधता उद्यान के शुभारम्भ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे जड़ी बूटियों व पौधों की विभिन्न प्रजातियों की पहचान एक ही स्थान पर करना सम्भव होगा। इससे छात्रों, शोध छात्रों, वनस्पतिशास्त्रियों व आयुर्वेद से जुड़े लोगों को लाभ होगा। यह उद्यान उŸाराखण्ड की प्रमुख धरोहर हो सकता है। तमाम प्रजातियों के पौधों की पहचान व विस्तृत जानकारी के लिए यह संदर्भ केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। राज्यपाल ने कहा कि देश की तरक्की के लिए वैज्ञानिक सोच विकसित करनी होगी। इसके लिए बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए पे्ररित करना आवश्यक है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 51(ए) में संवैधानिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। इनमें एक संवैधानिक दायित्व यह भी है कि वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान व अन्वेषण की भावना विकसित करें। कहा कि किसी भी देश का विकास, वहां विज्ञान के स्तर पर ही निर्भर करता है। बच्चों में विज्ञान की मानसिकता जाग्रत करने से देश का आने वाला कल सुनहरा होगा। आंचलिक विज्ञान केंद्र इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। राज्यपाल ने सुझाव दिया कि आंचलिक विज्ञान केंद्र की वीडियो फिल्म बनाकर इसे विभिन्न स्कूलों में बच्चों को दिखाई जाए।
इस अवसर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, विमला बहुगुणा, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी रविनाथ रमन, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र के निदेशक डी रामा शर्मा, आईसीएफआरई के महानिदेशक डाॅ. एससी.गैरोला, यूकोस्ट के महानिदेशक डाॅ. राजेंद्र डोभाल सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।