दिल्लीवासी सिखाएं केंद्र को कड़ा सबक : मनीष सिसोदिया
नई दिल्ली, 22 जनवरी : चुनाव आयोग की सिफारिश पर आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा अयोग्य करार देने के बाद पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार पर हमलावर हो गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद अब सोमवार को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी अपने विधायकों को नसीहत देते हुए एक खुला पत्र जारी किया है।
20 विधायकों की सदस्यता खत्म किए जाने को आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल समेत तमाम नेताओं ने भाजपा द्वारा दिल्ली के विकास को ठप करने का षड्यंत्र करार दिया है। इसी सिलसिले में सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली की जनता के नाम खुला पत्र लिख केंद्र सरकार को 2 साल के लिए दिल्ली के विकास को ठप करने का आरोप लगाया है।
उपमुख्यमंत्री ने इस पत्र में कहा, ‘ केंद्र सरकार ने 20 विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव थोप कर एक तरह से दिल्ली के सभी कार्यों को दो साल के लिए ठप कर दिया है। दिल्ली में चुनाव आचार संहिता लागू होते ही लगभग सारे सरकारी काम रुक जाएंगे। उसके बाद लोकसभा के चुनाव होंगे, इसके लिए भी आचार संहिता लगेगी और काम फिर रुकेंगे। इस तरह दिल्ली में 2 साल तक काम रुके रहेंगे, लोगों का पैसा विकास की बजाय उपचुनावों पर खर्च होगा।’
सिसोदिया ने अपने पत्र में ये भी साफ करने का प्रयास किया है कि 20 विधायकों का मामला लाभ का पद जैसा मामला नहीं है। सिसोदिया ने दलील दी है कि विधायकों ने संसदीय सचिव बनने के बाद कोई तनख्वाह नहीं ली। सिसोदिया ने कहा, ‘हमने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया और उन्हें अलग-अलग काम दिए, जैसे हमने एक विधायक को सरकारी स्कूलों का काम दिया, विधायक स्कूलों में लगातार दौरा कर यह चेक करते कि टीचर आ रहे हैं या नहीं, पढ़ाई-लिखाई का हाल जानना भी उनका काम था, इस काम के लिए संसदीय सचिवों को न तो सरकारी गाड़ी दी गई और न बंगला या कोई वेतन। इन विधायकों ने अपनी जेब से खर्च कर अपने काम किए, ये नेता एंटी-करप्शन मूवमेंट से पैदा हुए थे और देश के लिए कुछ करना चाहते थे।’
सिसोदिया ने पत्र में सवाल उठाते हुए कहा, ‘जब विधायकों ने कोई लाभ लिया नहीं तो फिर मामला लाभ का पद का कैसे बनता है? इन विधायकों ने चुनाव आयोग से मिलने की गुहार भी लगाई, पिछले साल 23 जून को आयोग ने इनसे मिलने का भरोसा भी दिलाया, लेकिन, आयोग ने विधायकों को मिलने की कोई तारीख नहीं दी और बाद में बिना पक्ष सुने उन्हें अयोग्य करार दिया।’
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने केंद्र सरकार को दिल्ली के लोगों के लिए ‘अन्यायी’ करार देते हुए कहा, ‘इसका ग्राफ दिनोंदिन तेजी से गिर रहा है, समाज के सभी वर्ग-दलित, किसान, मजदूर, युवा, छात्र और अल्पसंख्यक सभी परेशान हैं।’ खास बात ये है कि मनीष सिसोदिया ने राजधानी वासियों से केंद्र सरकार को ‘कड़ा सबक सिखाने’ की अपील करते हुए ये पत्र समाप्त किया है। (हि.स.) ।