दहानू विधान सभा सीट पर सीपीएम और भाजपा में कांटे की टक्कर , महायुति पर महाअघाड़ी पड़ सकती है भारी,मुलभुत सुबिधा और जीरो विकास काम से मतदाता विधायक पास्कल धनारे से है नाराज
संजय सिंह ठाकुर , पालघर 12 अक्तूबर : मुंबई से सटेपालघर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली दहानू विधान सभा सीट पर महायुति ( भाजपा ,शिवसेना ,आर पी आई श्रमजीवी व अन्य पार्टी ) से भाजपा के टिकट पर दुबारा चुनाव लड़ रहे विधायक पास्कल जान्या धनारे और महाअघाड़ी ( एनसीपी ,कांग्रेस ,बविआ ,सीपीएम व अन्य पार्टी ) से सीपीएम के टिकट पर पर पहली बार चुनाव लड़ रहे डॉ.विनोद भिवा निकोले के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है .इन दो उम्मीदवारों के अलावा इस सिट से मनसे से सुनिल लहान्या ईभाड , भारतीय ट्रायबल पार्टी से ॲङ प्रविण नवशा वळवी ,बहूजन मूक्ती पार्टी से विजय काकड्या घोरखाना , वंचित बहूजन आघाडी से शिलानंद बिना काटेला , आबेडंकर राईट पार्टी ऑफ इंडिया से संतोष किसन पागी , दामोदर शिराड रांधे और रमेश जानू मलावकर निर्दलीय चुनाव लड़ अपनी अपनी किस्मत आजमा रहे है .मतदाताओ की नाराजगी देखते यह इस सिट पर महायुति पर महाअघाड़ी भारी पड़ती दिखाई दे रही है .
10 उम्मीदवार आजमा रहे है अपनी किस्मत
बता दे की पालघर लोकसभा सिट के अंतर्गत आने वाली गुजराता – महाराष्ट्र राज्य के बोर्डर पर स्तिथ दहानू विधानसभा सिट आदिवासी बाहुल्य सिट है और यह एसटी समाज के लिए रिजर्व है. इस विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी समाज के साथ मच्छीमार समाज ,गुजराती व अन्य समाज के साथ साथ हिंदी भाषी वोटर भी है . यहा के लोग खेती ,वाडी , अरब समुन्द्र से मछली पकड कर और गुजरात के बोर्डर पर स्तिथ जीआईडीसी पालघर जिले के अलग अलग क्षेत्रो में फैले औद्दोगिक क्षेत्रो मर काम करके अपनी जीवका चलाते है .
इस विधान सभा क्षेत्र में टोटल 2,72,069 वोटर है जिसमे महिला 1 ,34, 838 पुरुष 1,37,227 व 4 अन्य मतदाता सामिल है.
आप को बता दे की अगर पिछला इतिहास देखा जाय तो यह एनसीपी और सीपीएम की परम्परा गत सिट है यहा से अक्सर इन दोनों पार्टियों के उम्मीदवार जीतकर आते थे .लेकिन 2009 में हुए परिसीमन के बाद बनी इस सीट का मतदार क्षेत्र बट गया और इसका ज्यदा तर भाग पालघर विधानसभा क्षेत्र में चला गया . परिसीमन के बाद 2009 हुए चुनाव में फिर से सीपीएम के राजा ओझर चुनकर आये थे. लेकिन 2014 के चुनाव में यह सिट भाजपा के खाते में चली गई और पहलीबार पास्कल धनारे यहा से भाजपा के टिकट पर विधायक चुनकर आये .
जिसके बाद चिकित्सा ,सडक ,पिने का पानी जैसी मुलभुत सुबिधा और विकास काम को लेकर यहा की जनता को पास्कल धनारे से काफी उम्मीद थी .लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद मुलभुत सुबिधा से जूझ रहे और विकास कामो से बंचित होने के नाते यहा के लोगो में धनारे के प्रति नाराजगी फ़ैली है. वही इस नाराजगी को लेकर जब हमने पास्कल धनारे से बात करके उनका पक्ष जानने का कोशिश किया तो उनका कहना था की हमने जो विकास काम किया है वह हमने हमारे चुनावी पत्र में लिखा है .
दो दिन पहले धनारे का प्रचार करने पहुंचे भाजपा के मंत्री विनोद तावडे से जब पत्रकारों ने धनारे द्वारा किये गए विकास कामो को लेकर सवाल किया तो विनोद तावडे ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया था की इसका जबाब धनारे देंगे .
क्या है आम जनता का मुड…
इस विधान सभा क्षेत्र के आम मतदाताओ में पास्कल धनारे को लेकर मतदाताओ में काफी रोष देखने को मिला . उनका कहना है की इस क्षेत्र में धनारे ने कोई विकास काम नहीं किया है जबकि पिछड़े और आदिवासी इलाको में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई योजनाये चलाई जा रही है .इन योजनाओ के बावजूद इस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समाज के लोगो का इन योजनाओ का कोई फायदा नहीं हुवा .हम लोगो को सरकारी चिकित्सा ,कालेज व अन्य मुलभुत सुबिधा का कोई लाभ नहीं मिल रहा है .बीमार पड़ने पर हमें इलाज के लिए गुजरात के अस्पतालों में जाना पड़ता है . यहा की सडको की हालत हमेशा खस्ता रहती है , चुनकर आने के बाद हमारे विधायक कभी जमीन पर नहीं दिखाई दिए और अब जब चुनाव आया तो जमीन पर आगये .
वही सीपीएम समेत पास्कल धनारे के प्रतिद्वंदी उम्मीदवारों ने इन मुद्दों को अपना चुनावी मुद्दा बनाया है .