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तालमेल नहीं बैठा तो सपा के गढ़ में दूसरी पार्टियों को होगा फायदा

आजमगढ़, 30 दिसम्बर =  चुनाव के ऐन मौके पर समाजवादी पार्टी में छिडे घमासान के बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ में दो सीटों पर डबल प्रत्याशी घोषित होने से मामला काफी दिलचस्प हो गया है। अगर प्रदेश स्तर पर मामला नही सुलझा तो इन दोनो सीटो पर दूसरी पार्टी का कब्जा होना तय माना जा रहा है ।

गौरतलब है कि जिले में कुल 10 विधानसभा सीटे है जिसमें 9 सीटो पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्धारा घोषित उम्मीदवारो में सभी सीटो पर सामजस्य नही बैठ पाया। जिले के मेंहनगर और फुलपुर विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायको का टिकट काट दिया गया तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की लिस्ट इन दोनो सिटींग विधायको को जगह दी गयी। मेंहनगर विधानसभा क्षेत्र से सपा के मौजूदा विधायक बृजलाल सोनकर अखिलेश यादव के करीबी माने जाते है। पहले पार्टी में छिडे सग्राम के बाद मुख्यमंत्री ने इन्हे लालबत्ती से नवाजा भी था लेकिन सपा सुप्रिमों और प्रदेश अध्यक्ष ने इन्हे किनारे लगा कर दो वर्ष पूर्व भाजपा छोड़कर सपा का दामन थमें पूर्व विधायक कल्पनाथ पासवान को टिकट दिया।

तो मुख्यमंत्री ने अपनी लिस्ट में अपने विधायक बृजलाल सोनकर को गले लगाया। राजनीति के जानकारो की माने तो इस सुरक्षित सीट पर मौजूदा सपा विधायक बृजलाल सोनकर की स्थित जनता में अच्छी नही है, वे हमेशा छोटे-मोटे विवादो में रहते है। जिसके कारण साफ-सुथरी और सादगी की छवि वाले पूर्व विधायक कल्पनाथ पासवान को टिकट दिया गया। 90 के दशक में कल्पनाथ पासवान ने भाजपा को यहां जीत दिलाई थी। उसके बाद से यह सीट सपा और बसपा के पास ही रही। लोगों की माने तो अगर सपा के दोनो प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरते है तो भाजपा को तब इस सीट का फायदा होगा जब वह यहां से किसी मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारती है नही तो बसपा क्लीन स्वीप करेगी।

वही दूसरी सीट फुलपुर पर मुलायम सिंह और शिवपाल यादव ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व मध्यप्रदेश के राज्यपाल स्व. रामनरेश यादव के पुत्र अजय नरेश यादव को उम्मीदवार बनाया है लेकिन मुख्यमंत्री ने यहां से अपने मौजूदा विधायक श्याम बहादुर यादव को उम्मीदवार बनाया है। राजनीति के जानकारो का मानना है कि सपा के राष्टीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और स्व. रामनरेश यादव के सम्बन्ध काफी अच्छे रहे। इन्ही सम्बन्धो के कारण इस सीट से उनके पुत्र अजय नरेश यादव को उम्मीदवार बनाया गया। इनके प्रत्याशी होने से जनता में सहानुभूति की लहर से सपा को लाभ होगा। लेकिन इस सीट पर मुख्यमंत्री ने अपने मौजूदा विधायक पर ही दाव लगाया है। जिससे इन दोनो स्थानो पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं व वोटरो में हलचल मची हुई है। बहरहाल कुल मिलाकर अगर समाजवादी पार्टी में सामजस्य नही बैठा तो दोनो सीटो पर दूसरी पार्टीयों को फायदा मिलना तय है ।

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