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जे. डे हत्‍याकांड: छोटा राजन दोषी करार, जिग्‍ना वोरा बरी

मुंबई (ईएमएस)। पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या के करीब सात वर्ष बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को इस सनसनीखेज मामले में अपना फैसला सुना दिया। कोर्ट ने माफिया सरगना छोटा राजन को दोषी करार दिया है और पत्रकार जिग्‍ना वोरा और जोसेफ पाल्‍सन को बरी कर दिया है। भारत लाने के बाद पहली बार किसी मामले में छोटा राजन को दोषी ठहराया गया है। इससे पहले जे डे की बहन लीना ने अपने भाई की हत्‍या में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ फांसी की सजा देने की मांग की थी। उन्‍होंने कहा था कि फांसी की सजा मिलने के बाद ही उन्‍हें शांति मिलेगी। लीना ने कहा, मेरे भाई की हत्‍या के बाद मेरा परिवार समाप्‍त हो गया। पिछले साल मेरी मां की मौत हो गई और उन्‍हें अस्‍पताल ले जाने के लिए घर पर कोई नहीं था। बता दें कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर अडकर ने तीन अप्रैल को फैसले की तारीख दो मई मुकर्रर की थी। इस मामले में डॉन राजेंद्र एस. निखलजे ऊर्फ छोटा राजन और मुंबई की पत्रकार जिग्ना वोरा आरोपी थे। राजन इस समय दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में बंद है।

बता दें कि ज्योतिर्मय डे की 11 जून, 2011 को मुंबई के पवई इलाके में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। छोटा राजन के दो साल पहले भारत आने के बाद यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया था। लेकिन इसकी प्रारंभिक जांच लोकल पुलिस, मुंबई सीपी के स्क्वॉड से जुड़े वसंत ढोबले, राकेश शर्मा के अलावा मुंबई क्राइम ब्रांच की एक विशेष टीम ने की थी। हालांकि, केस डिटेक्ट क्राइम ब्रांच ने किया था और सीबीआई को ट्रांसफर होने से पहले इस केस में दो चार्जशीट भी उसी की तरफ से ही कोर्ट में दायर की गई थीं। क्राइम ब्रांच की इस विशेष टीम के एक सदस्य तब के यूनिट-वन के सीनियर इंस्पेक्टर रमेश महाले थे। महाले के अनुसार, हमने इस केस में सतीश कालिया, अनिल वाघमारे, अभिजीत शिंदे, नीलेश शेडगे, अरुण डाके, मंगेश आगवने, सचिन गायकवाड, विनोद असरानी, दिलीप सिसौदिया, पॉल्सन जोसेफ को पहले गिरफ्तार किया। कुछ महीने बाद पत्रकार जिग्ना वोरा को भी पकड़ा। भारत डिपोर्ट होने के बाद जब सीबीआई ने छोटा राजन को जे. डे केस में अपनी कस्टडी में लिया, तो रवि रितेश्वर को भी आरोपी बना दिया।

क्राइम ब्रांच के पास जब यह केस था, तब वह क्राइम ब्रांच का गवाह था। रवि रितेश्वर को कुछ महीने पहले विदेश में गिरफ्तार कर लिया गया है, पर जे. डे मर्डर केस में मुकदमा खत्म होने तक उसका भारत प्रर्त्यपण संभव नहीं हो पाया था। इस केस में नयन सिंह बिष्ट नामक भी एक आरोपी है। वह अभी फरार है। क्राइम ब्रांच की जांच में जो बातें सामने आई थीं, उनके मुताबिक इस केस के प्रमुख आरोपी सतीश कालिया ने छोटा राजन के कहने पर इस हत्या की साजिश रची थी। उसने छोटा राजन से बात की। जे. डे पर उसी ने गोलियां चलाईं। उसी ने इस हत्या की साजिश में अन्य आरोपी जमा किए। वह ही अनिल वाघमोरे, नीलेश शेडगे, अभिजीत शिंदे को लेकर नैनीताल गया। पॉल्सन जोसेफ नामक आरोपी से उसने ग्लोबल रोमिंग सिम कार्ड लिया। इसी सिम कार्ड से छोटा राजन से बात की। वारदात से पहले करीब तीन दिन तक जे. डे पर नजर रखी। लेकिन जे. डे दिखे नहीं। 11 जून-2011 को जब वह दिखे, तो अपने साथी द्वारा ड्राइव की गई बाइक पर पीछे बैठकर सतीश कालिया ने उनका पीछा किया और फिर दोपहर बाद पवई में जे. डे पर गोलियां चला दीं। उनकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।

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