नई दिल्ली, 21 दिसम्बर (हि.स.)। बहुचर्चित टूजी घोटाला मामले पर पटियाला हाउस कोर्ट की स्पेशल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अभियोजन कोर्ट के समक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा। गुरुवार को इस मामले के अभियुक्त पूर्व केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री ए राजा, सांसद कनिमोझी, शरद कुमार, करीम मोरानी के अलावा सभी अभियुक्त जज ओपी सैनी की कोर्ट में उपस्थित थे। पिछले 26 अप्रैल को कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले को 1,76,000 करोड़ रुपए का बताया गया था। हालांकि सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में करीब 31,000 करोड़ रुपए के घोटाले का उल्लेख किया था। 2014 के आम चुनाव में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन बड़ा मुद्दा बना था।
जानें कब क्या-क्या हुआ
मई 2007: ए.राजा ने दूरसंचार मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
अगस्त, 2007: दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा यूएएस लाइसेंस के साथ 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई।
25 सितंबर, 2007: दूरसंचार मंत्रालय आवेदन के लिए 1 अक्तूबर, 2007 की डेडलाइन तय करता है।
1 अक्तूबर, 2007: डीओटी 46 कंपनियों द्वारा 575 आवेदन प्राप्त करता है।
2 नवंबर, 2007: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ए.राजा को निष्पक्ष लाइसेंस आवंटन और शुल्क के समुचित संशोधन सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखा। ए. राजा प्रधानमंत्री की कथित तौर पर कई सिफारिशों को खारिज कर देते हैं।
22 नवंबर, 2007: वित्त मंत्रालय लाइसेंस आवंटन मामले में अपनाई जा रही प्रक्रिया पर चिंता जाहिर करते हुए डीओटी को लिखता है।
10 जनवरी , 2008: डीओटी ने फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार (एफसीएफएस) पर लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया, जिसके बाद कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर कर दी गई. बाद में इसी दिन, डीओटी ने कहा कि 3.30 से 4.30 के बीच आवेदन करने वालों को लाइसेंस जारी किया जाएगा।
2008: स्वान टेलीकॉम, यूनिटेक और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने शेयरों के कुछ हिस्सों को Etisalat, Telenor और DoCoMo को उच्च दरों पर बेच दिया।
4 मई, 2009: एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लूप टेलीकॉम के लिए 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितताओं को लेकर शिकायत की।
2009: सीवीसी ने सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए निर्देश दिए।
21 अक्तूबर 2009: सीबीआई ने टू जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच के लिए मामला दर्ज किया।
22 अक्तूबर 2009: सीबीआई ने दूरसंचार विभाग के कार्यालयों पर छापेमारी की।
16 नवंबर, 2009: सीबीआई ने लॉबीस्ट नीरा राडिया के बारे में जानकारी और 2 जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए मध्यस्थों से संबंधित रिकॉर्ड के लिए आयकर महानिदेशालय से मदद मांगी।
20 नवंबर, 2009: आईटी विभाग द्वारा दी गई जानकारी में दूरसंचार विभाग की नीतियों को गैरकानूनी तरीके से प्रभावित करने में कॉर्पोरेट खिलाड़ियों की भूमिका का पता चलता है. सामने आता है कि राडिया सीधे राजा के संपर्क में थे।
31 मार्च, 2010: कैग की रिपोर्ट में लिखा जाता है, “लाइसेंस जारी करने की पूरी प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता का अभाव रहा”.
6 मई, 2010: राजा और राडिया के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को मीडिया द्वारा सार्वजनिक किया जाता है।
मई 2010: सरकार ने 3 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए GoM का गठन किया, राजा के अधीन डीओटी को सिर्फ क्रियान्वयन का काम मिला।
13 सितंबर, 2010: सुप्रीम कोर्ट, सरकार और ए राजा से 10 दिनों के अंदर घोटाले से संबंधित तीन याचिकाओं पर जवाब मांगता है।
अक्तूबर 2010: सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले के बारे में कैग की रिपोर्ट पर सरकार से जवाब देने को कहा।
10 नवंबर, 2010: कैग ने 2जी स्पेक्ट्रम पर सरकार को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें घोटाले के कारण सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए के घाटे की जानकारी दी गई।
2010: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2जी लाइसेंस आवंटन में दूरसंचार विभाग को कई नीतियों के उल्लंघन का दोषी पाया।
नवंबर 2010: दूरसंचार मंत्री ए. राजा को हटाने की मांग को लेकर विपक्ष ने संसद की कार्रवाई ठप्प की।
14 नवंबर, 2010: ए. राजा ने इस्तीफा दिया।
15 नवंबर, 2010: मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया।
नवंबर 2010: टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग को लेकर संसद में गतिरोध जारी रहा।
13 दिसंबर 2010: दूरसंचार विभाग ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराज वी पाटिल समिति को स्पेक्ट्रम आवंटन के नियमों एवं नीतियों को देखने के लिए अधिसूचित किया। इसे दूरसंचार मंत्री को रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।
24 और 25 दिसंबर 2010: राजा से सीबीआई ने पूछताछ की।
31 जनवरी 2011: राजा से सीबीआई ने तीसरी बार फिर पूछताछ की। एक सदस्यीय पाटिल समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
2 फरवरी 2011: 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में राजा, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा और राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। बाद में राजा और कनिमोझी को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
21 दिसंबर 2017: सीबीआई) की पटियाला हाऊस स्थित विशेष अदालत ने सबूतों के आभाव में सभी आरोपियों को बरी कर दिया।