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चोटी कटवा के बाद अब रहस्यमयी पत्थरों से लोगो में दहशत , डरे-सहमे लोग रातभर पहरा देने को मजबूर

कानपुर, 04 सितम्बर : शहर में जहां अभी चोटी कटवा की दहशत से लोग उबर नहीं पाए थे कि उन्हें एक नई मुसीबत ने घेर लिया है। घाटमपुर के कुष्मांडा नगर में पांच दिन से रात और दिन में आसामन से पत्थरों की बारिश से लोगों के बीच दहशत फैल गई है और रात भर जागने के लिए मजूबर हैं। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल की और इलाके में पुलिस कर्मियों को तैनात कर दिया है। मोहल्ले के लोग इसे शरारती तत्व की करतूत बता रहे है और इसकी निगरानी भी करनी शुरू कर दी है। 

घाटमपुर कोतवाली के कुष्मांडा नगर में पांच दिन पहले एकाएक बड़े-बड़े पत्थर लोगों की छतों पर गिरने लगे। छत में सो रहे लोगों ने जब पत्थर गिरते देखा तो शोर मचा दिया। सैकड़ों की संख्या में लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए और पत्थर कहां से आ रहे हैं, खोजबीन शुरू करने लगे, पर रहस्यमयी पत्थरों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। गुरुवार की रात भी एक साथ 50 घरों में आसमान से पत्थर गिरने लगे। डरे-सहमे लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी।

इंस्पेक्टर घाटमपुर मयफोर्स के मौके पर पहुंचे और पत्थर कहां से आ रहे हैं। इसकी जांच पड़ताल की, लेकिन उनके हाथ पत्थर बरसाने वाले नहीं लगे। एक बैंक शाखा के गार्ड राजेश परिहार ने बताया कि शनिवार की सुबह वो घर पर अखबार पढ़ रहे थे, तभी छत पर पत्थर गिरने लगे।

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मोहल्ले के लोगों ने बताया कि ईंट-पत्थर गिरने की घटना बीते तीन-चार दिन पहले शुरू हुई थी। शुरू में एक-दो छोटे कंकड़ गिरने पर कुछ ध्यान नहीं दिया। बताया कि शनिवार सुबह 10 बजे से अचानक ईंट-पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े गिरने शुरू हो गए। इस पर लोगों का ध्यान उस ओर गया। लोगों ने बताया कि ईंट-पत्थर के टुकड़े एक ही दिशा से आ रहे हैं। संयोग से अभी तक किसी को कोई चोट नहीं लगी है। उन्होंने गली में पड़े ईंटों के टुकड़े भी दिखाए। रविवार की दोपहर कस्बा चौकी पुलिस भी मौके पर गई। निगरानी के लिए एक लोगों की छतों में पुलिस की तैनाती कर दी गई है। वहीं, मोहल्ले के कुछ लोग भी घरों की छत से आसपास के इलाके में नजर रखे हुए हैं। 

पत्थर से घबराए ट्रक चालक रामबाबू, सुशील पांडेय, ललित संखवार और चंद्रपाल सोनी का कहना है कि ये इंसानी करतूत नहीं है, बल्कि शैतानी ताकत है। रामबाबू ने बताया कि शनिवार को सुबह आंख के सामने दर्जनभर पत्थर छत पर गिरे। हिम्मत कर छत पर गए और पत्थर कहां से आ रहे हैं, की पड़ताल की। देखा जहां से पत्थर आ रहे थे, वहां एक भी इंसान नहीं दिखा। ललित संखवार ने बताया कि 15 साल पहले भी मोहल्ले में ऐसे ही लोगों के घरों में पत्थरों की बारिश हुई थी। जिसके चलते कई लोग चुटहिल भी हुए थे। ये इंसानी करतूत नहीं हो सकती।

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